नई दिल्ली: प्री दिवाली की तुलना में इस साल दिवाली के अगले दिन पीएम 2.5 के स्तर में 212 प्रतिशत का इजाफा हुआ। क्लाइमेट ट्रेंड की रिपोर्ट के अनुसार यह अब तक दिवाली पर पीएम 2.5 के स्तर में हुआ सबसे अधिक इजाफा है। बीते पांच साल के दौरान आतिशबाजी की वजह से पीएम 2.5 के स्तर में हर साल इजाफा हुआ है।
इतना रहा पीएम 2.5 का स्तर
रिपोर्ट के अनुसार हर साल ही आधी रात या सुबह सवेरे इसके स्तर में तेजी से इजाफा होता है। इस साल पीएम 2.5 का औसत स्तर 488 एमजीसीएम रहा। जबकि इसका अधिकतम स्तर 675.1 एमजीसीएम रहा। 2022 और 2023 में यह कम था। रिपोर्ट में प्रदूषण को तापमान से भी जोड़ा गया है। इसमें बताया गया है कि बीते पांच साल में दिवाली पर औसत तापमान 19 से 27 डिग्री तक रहता है।
इस कारण बढ़ा प्रदूषण
2023 में यह 19.6 डिग्री था। 2024 में यह 27.1 डिग्री रहा था। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोगों को जागरुक करने के अभियान, पटाखों पर लगी रोक और टीमों की कोशिशों की वजह से आतिशबाजी में कमी हो रही है। राजधानी कॉलेज के प्रॉफेसर डॉ एस के ढाका ने बताया कि यह लगभग तय है कि पीएम 2.5 में यह इजाफा आतिशबाजी की वजह से ही हुआ है।
पटाखों के कारण हेल्थ पर पड़ रहा असर
इस बार हवाओं की गति रात के समय काफी कम थी। यह एक मीटर प्रति सेकंड से कम रही। इसकी वजह से आतिशबाजी का धुंआ रात के समय जस का तस बना रहा। क्लइमेट ट्रेंड्स की फाउंडर और डायरेक्टर आरती खोसला ने कहा कि यह काफी दुखद है कि इतने साल बाद भी दिवाली के दौरान पटाखों की वजह से हेल्थ पर बहुत गहरा असर पड़ रहा है।
इस साल जमकर हुई आतिशबाजी
हम अब भी स्वास्थ्य की अनदेखी कर रहे हैं और गलतियों को दोहरा रहे हैं। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार लोग परेशान है। क्लाइमेट ट्रेंड की रिसर्च लीड पलक बालयान ने बताया कि इस बार की दिवाली साफ बता रही है कि इस बार काफी अधिक आतिशबाजी हुई है। बीते साल पीएम 2.5 के औसत स्तर में 156.6 का इजाफा हुआ था जो इस साल बढ़कर 488 एमजीसीएम तक हो गया।
इस बार पराली का असर रहा कम
क्लाइमेट ट्रेंड की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार दिवाली पर पराली के धुएं का असर काफी कम रहा। इस बार बाढ़ की वजह से भी पराली कम जल रही है। ऐसे में पराली जलाने के मामलों में 77.5 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी वजह से राजधानी का पीएम 2.5 भी 15.5 प्रतिशत तक कम रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि बाढ़ का असर साफ दिख रहा है।
पराली जलाने के मामलों में आई इतनी कमी
2025 में पराली जलाने के मामलों में 77.5 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी वजह मॉनसून में पंजाब और हरियाणा में आई भयंकर बाढ़ रही। बाढ़ की वजह से फसलो की कटाई देरी से शुरू हो रही है। खेतो में पानी भरा है और इसे सूखने में समय लगेगा। वहीं, पराली के मामलो में कमी आने से अक्टूबर के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में 15.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसे में बायोमास बर्निंग का असर प्रदूषण पर साफ है।
इतना रहा पीएम 2.5 का स्तर
रिपोर्ट के अनुसार हर साल ही आधी रात या सुबह सवेरे इसके स्तर में तेजी से इजाफा होता है। इस साल पीएम 2.5 का औसत स्तर 488 एमजीसीएम रहा। जबकि इसका अधिकतम स्तर 675.1 एमजीसीएम रहा। 2022 और 2023 में यह कम था। रिपोर्ट में प्रदूषण को तापमान से भी जोड़ा गया है। इसमें बताया गया है कि बीते पांच साल में दिवाली पर औसत तापमान 19 से 27 डिग्री तक रहता है।
इस कारण बढ़ा प्रदूषण
2023 में यह 19.6 डिग्री था। 2024 में यह 27.1 डिग्री रहा था। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोगों को जागरुक करने के अभियान, पटाखों पर लगी रोक और टीमों की कोशिशों की वजह से आतिशबाजी में कमी हो रही है। राजधानी कॉलेज के प्रॉफेसर डॉ एस के ढाका ने बताया कि यह लगभग तय है कि पीएम 2.5 में यह इजाफा आतिशबाजी की वजह से ही हुआ है।
पटाखों के कारण हेल्थ पर पड़ रहा असर
इस बार हवाओं की गति रात के समय काफी कम थी। यह एक मीटर प्रति सेकंड से कम रही। इसकी वजह से आतिशबाजी का धुंआ रात के समय जस का तस बना रहा। क्लइमेट ट्रेंड्स की फाउंडर और डायरेक्टर आरती खोसला ने कहा कि यह काफी दुखद है कि इतने साल बाद भी दिवाली के दौरान पटाखों की वजह से हेल्थ पर बहुत गहरा असर पड़ रहा है।
इस साल जमकर हुई आतिशबाजी
हम अब भी स्वास्थ्य की अनदेखी कर रहे हैं और गलतियों को दोहरा रहे हैं। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार लोग परेशान है। क्लाइमेट ट्रेंड की रिसर्च लीड पलक बालयान ने बताया कि इस बार की दिवाली साफ बता रही है कि इस बार काफी अधिक आतिशबाजी हुई है। बीते साल पीएम 2.5 के औसत स्तर में 156.6 का इजाफा हुआ था जो इस साल बढ़कर 488 एमजीसीएम तक हो गया।
इस बार पराली का असर रहा कम
क्लाइमेट ट्रेंड की रिपोर्ट के मुताबिक इस बार दिवाली पर पराली के धुएं का असर काफी कम रहा। इस बार बाढ़ की वजह से भी पराली कम जल रही है। ऐसे में पराली जलाने के मामलों में 77.5 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी वजह से राजधानी का पीएम 2.5 भी 15.5 प्रतिशत तक कम रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि बाढ़ का असर साफ दिख रहा है।
पराली जलाने के मामलों में आई इतनी कमी
2025 में पराली जलाने के मामलों में 77.5 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी वजह मॉनसून में पंजाब और हरियाणा में आई भयंकर बाढ़ रही। बाढ़ की वजह से फसलो की कटाई देरी से शुरू हो रही है। खेतो में पानी भरा है और इसे सूखने में समय लगेगा। वहीं, पराली के मामलो में कमी आने से अक्टूबर के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में 15.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसे में बायोमास बर्निंग का असर प्रदूषण पर साफ है।
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