आदमखोर बाघ..वो भी परिवार संग! यूपी के कई गांव इस समय दहशत में दिन काट रहे हैं। घर से बाहर निकलना हो या खेतों तक जाना हो, अकेले जाने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। दरअसल युवा किसान को मार देने वाला बाघ पिछले कई दिनों से खुला घूम रहा है। माना यह भी जा रहा है कि वह अकेला नहीं है बल्कि परिवार संग है। हालांकि वन विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है। लेकिन अधिकारियों का यह जरूर मानना है कि 21 साल के किसान सौरभ दीक्षित को मारने वाला बाघ अभी छोटा है।
पीलीभीत में दुधवा टाइगर रिजर्व के नजदीक सीतापुर वन विभाग के अंतर्गत आने वाले कई गांवों में बाघ का खौफ बना हुआ है। 22 अगस्त को नरनी कटिघारा में किसान को बाघ ने मार डाला। तभी से वन विभाग इस बाघ को पकड़ने की कोशिश में जुटा हुआ है, लेकिन अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी है। कहा जा रहा है कि बाघ खीरी जिले के साउथ खीरी जंगल से भटककर सीतापुर आ गया था। गांववालों का कहना है कि बाघ अकेला नहीं है बल्कि इसका पूरा परिवार है।
तलाश में जुटा वन विभाग वन विभाग के अधिकारी नवीन खंडेलवाल ने नवभारत टाइम्स से बातचीत में बताया कि बाघ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। इसकी तलाश में चप्पे-चप्पे पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। ट्रैप कैमरे के जरिए बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। हमारी कोशिश है कि बाघ को ट्रेस कर उसे ट्रैंक्युलाइज करके कैद में किया जाए। इसके लिए पहले से ही 10 कैमरे लगाए गए थे। अब दुधवा नेशनल पार्क से 10 कैमरे और मंगवाए हैं। इसके अलावा विशेष तरह के पिंजरे वाला ट्रैक्टर तैयार किया गया है, जिसमें जिंदा चारा रखा गया है। हालांकि वन विभाग को अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
हथियार लेकर खेतों में जा रहे किसान यहां के 10-15 गांवों में बाघ की दहशत इतनी ज्यादा है कि लोग खेतों में भी ग्रुप बनाकर जा रहे हैं। सीतापुर के रहने वाले सुधांशु ने बताया कि इस समय गन्ने की फसल खड़ी है और खेतों में जाने के लिए लोग समूह में जा रहे हैं। साथ में हथियार भी लेकर जा रहे हैं। इसके बावजूद हर किसी में डर का माहौल है।
कई साल से डेरा डाले हुए बाघ सुधांशु का यह भी कहना है कि यहां एक बाघ नहीं बल्कि पूरा परिवार है। कोरोना के समय के बाद यहां लोगों को लगातार बाघ दिखने लगा था। अक्सर लोगों के जानवरों के मारे जाने की खबरें तो आ ही रही थीं। अब पहली बार इंसान की भी मौत हो गई है। स्थानीय लोगों ने यहां बाघ-बाघिन के साथ बच्चे भी देखे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि इंसान को मारने का काम युवा बाघ का है क्योंकि वयस्क बाघ शिकार करता तो वो कुछ छोड़ता नहीं।
गन्ने के सीजन में आ जाते हैं बाघ स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि लंबे समय से जब भी बरसात का समय होता है और गन्ने की फसल तैयार होती है तो बाघ का गांव के आसपास टहलना शुरू हो जाता है। गन्ने के खेतों में बाघ के लिए छिपना आसान है। लोगों को वन विभाग से भी शिकायत है कि लंबे समय से शिकायत करने के बावजूद विभाग ने बाघों को पकड़ने के लिए गंभीरता नहीं दिखाई।
पीलीभीत में दुधवा टाइगर रिजर्व के नजदीक सीतापुर वन विभाग के अंतर्गत आने वाले कई गांवों में बाघ का खौफ बना हुआ है। 22 अगस्त को नरनी कटिघारा में किसान को बाघ ने मार डाला। तभी से वन विभाग इस बाघ को पकड़ने की कोशिश में जुटा हुआ है, लेकिन अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी है। कहा जा रहा है कि बाघ खीरी जिले के साउथ खीरी जंगल से भटककर सीतापुर आ गया था। गांववालों का कहना है कि बाघ अकेला नहीं है बल्कि इसका पूरा परिवार है।
तलाश में जुटा वन विभाग वन विभाग के अधिकारी नवीन खंडेलवाल ने नवभारत टाइम्स से बातचीत में बताया कि बाघ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। इसकी तलाश में चप्पे-चप्पे पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। ट्रैप कैमरे के जरिए बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। हमारी कोशिश है कि बाघ को ट्रेस कर उसे ट्रैंक्युलाइज करके कैद में किया जाए। इसके लिए पहले से ही 10 कैमरे लगाए गए थे। अब दुधवा नेशनल पार्क से 10 कैमरे और मंगवाए हैं। इसके अलावा विशेष तरह के पिंजरे वाला ट्रैक्टर तैयार किया गया है, जिसमें जिंदा चारा रखा गया है। हालांकि वन विभाग को अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
हथियार लेकर खेतों में जा रहे किसान यहां के 10-15 गांवों में बाघ की दहशत इतनी ज्यादा है कि लोग खेतों में भी ग्रुप बनाकर जा रहे हैं। सीतापुर के रहने वाले सुधांशु ने बताया कि इस समय गन्ने की फसल खड़ी है और खेतों में जाने के लिए लोग समूह में जा रहे हैं। साथ में हथियार भी लेकर जा रहे हैं। इसके बावजूद हर किसी में डर का माहौल है।
कई साल से डेरा डाले हुए बाघ सुधांशु का यह भी कहना है कि यहां एक बाघ नहीं बल्कि पूरा परिवार है। कोरोना के समय के बाद यहां लोगों को लगातार बाघ दिखने लगा था। अक्सर लोगों के जानवरों के मारे जाने की खबरें तो आ ही रही थीं। अब पहली बार इंसान की भी मौत हो गई है। स्थानीय लोगों ने यहां बाघ-बाघिन के साथ बच्चे भी देखे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि इंसान को मारने का काम युवा बाघ का है क्योंकि वयस्क बाघ शिकार करता तो वो कुछ छोड़ता नहीं।

गन्ने के सीजन में आ जाते हैं बाघ स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि लंबे समय से जब भी बरसात का समय होता है और गन्ने की फसल तैयार होती है तो बाघ का गांव के आसपास टहलना शुरू हो जाता है। गन्ने के खेतों में बाघ के लिए छिपना आसान है। लोगों को वन विभाग से भी शिकायत है कि लंबे समय से शिकायत करने के बावजूद विभाग ने बाघों को पकड़ने के लिए गंभीरता नहीं दिखाई।