पंजाबी सिनेमा के जाने-माने गायक और ऐक्टर बब्बू मान इन दिनों अपनी फिल्म 'शौंकी सरदार' को लेकर सुर्खियों में हैं। इसी को लेकर फिल्म की स्टार कास्ट दिल्ली पहुंची तो हमने उनसे खास बातचीत की।आज रीजनल फिल्मों के लिए सिनेमा मिलना मुश्किल होता जा रहा है। जिस वजह से कई रीजनल फिल्म इंडस्ट्रीज सिनेमा की बजाय ओटीटी की तरफ रुख कर रही हैं। इस बारे में सिंगर और ऐक्टर बब्बू मान कहते हैं, 'सिनेमा एक अलग स्टेशन है। आप पूरे दिन का काम करते हैं और उसके बाद अपने परिवार या दोस्तों के साथ आप सिनेमा देखने जाते हैं, तो आप दो-तीन घंटे सब कुछ भूल जाते हैं। फिल्म सिर्फ देखने के लिए ही नहीं होती, बल्कि आपको उसका बैकग्राउंड क्या है, संगीत कैसा है, ये भी देखने को मिलता है। आप सिनेमा पर डॉलबी साउंड में जब उसे सुनते हैं तो उसका मजा ही कुछ और होता है। ये चीज आपको ओटीटी पर नहीं मिल पाती।' रीजनल सिनेमा में बढ़े महिलाओं की भागीदारीबॉलिवुड में तो महिला किरदारों को सेंटर में रखकर कई फिल्में बन रही हैं, उनके किरदार भी मजबूत हो रहे हैं, लेकिन रीजनल फिल्मों में महिला किरदारों की मजबूती को निमृत अहलूवालिया किस तरह देखती हैं, इस बारे में वह कहती हैं, 'सबसे पहले तो महिलाओं के हिसाब से फीमेल टेक्नीशियंस के होने की जरूरत है। जैसे महिला लेखक हों। अगर आप देखेंगे तो महिला डायरेक्टर जिस तरह से एक्ट्रेस को कैप्चर करती है, वो अलग होता है। यानी कि हमारे लेंस ही अलग हैं। हालांकि बदलाव आ रहा है, लेकिन इसमें और सुधार आएगा, जब हमारी लेखनी में हमें बराबरी और प्रोग्रेसिव सोच देखने को मिलेगी। सिर्फ लेखक ही नहीं बल्कि हमारे पास ज्यादा महिला डायरेक्टर हों, महिला टेक्नीशियन हों तो इसमें और परिवर्तन आएगा।' 'फीमेल बेस फिल्मों को अलग जोनर नहीं चाहिए'कलाकारा हशनीन चौहान कहती हैं, 'मुझे लगता है कि जैसे-जैसे सोसायटी में महिलाओं के लिए जगह बनेगी, वैसे-वैसे सिनेमा में भी उनको उतना स्पेस मिलने लगेगा। अभी समाज में ये बदलाव शुरू हो रहा है। जरूरी नहीं है कि महिला बेस फिल्मों का कोई अलग जोनर बनाया जाए, बहुत सारी फिल्में पुरुष के नजरिए से भी बनेंगी। जैसे प्यार का पंचनामा फिल्म पुरुष के नजरिए वाली फिल्म थी, वहीं लापता लेडीज महिलाओं के नजरिए को आगे रखती है। तो अलग जोनर बनाने की कोई जरूरत नहीं है।' आजकल फिल्मों का बजट बढ़ता जा रहा है तो फिल्मों के कॉन्टेंट की क्वालिटी से भी समझौता होने लगता है। इस बारे में बब्बू मान कहते हैं, 'हमारी फिल्म शौंकी सरदार में ऐसा नहीं हुआ है। हमारी फिल्म का बजट तो ज्यादा हो गया था लेकिन कॉन्टेंट पर पूरा ध्यान दिया गया है। फिल्म में कोई भी आर्टिस्ट चाहे वो छोटा हो या फिर बड़ा सबका ख्याल रखा गया है।'
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