कोलकाता : बंगाल में एसआईआर को लेकर बवाल मचा है। अब बंगाल के मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने भाजपा और चुनाव आयोग (ईसी) को खुलेआम धमकी दी है। उन्होंने कहा कि बंगाल में अगर सीएए लागू करने की कोशिश की गई तो मैं उन लोगों की टांगे तोड़ दूंगी। फिरहाद हाकीम ने आरोप लगाया कि राज्य में मतदाता सूची के आगामी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) से जोड़ने की साजिश रची जा रही है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर राजनीतिक दलों को जानकारी देने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में जमकर हंगामा हुआ। बैठक में भाग लेने के बाद फिरहाद हकीम ने कहा कि अगर भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर सीएए लागू करने की कोशिश करेंगे, तो मैं उनकी टांगें तोड़ दूंगा।
चुनाव आयोग की सफाईइस साल की शुरुआत में बिहार में पहली बार लागू की गई एसआईआर प्रक्रिया पहले ही विवाद का कारण बन चुकी है। अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की मतदाता सूची से लगभग 66 लाख नाम हटा दिए गए। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य गरीबों और अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करना है। चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सूची से केवल उन लोगों के नाम हटाए गए हैं जो पलायन कर गए हैं, जिनके पास डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है।
फिरहाद हाकीम का ऐलानमंगलवार को बंगाल में सर्वदलीय बैठक में तनाव बढ़ गया। मतदाता पहचान प्रक्रिया और नए गणना प्रपत्रों को लेकर पार्टी प्रतिनिधियों की सीईओ से झड़प हो गई। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए, फिरहाद हकीम ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसे उन्होंने वास्तविक मतदाताओं को सूची से बाहर करने का प्रयास बताया। बैठक के बाद फिरहाद हकीम ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी की ओर से स्पष्ट कर दिया है कि अगर एक भी वास्तविक मतदाता का नाम हटाया गया, तो हम एसआईआर का विरोध करेंगे।' हम बंगाल के एक भी वास्तविक व्यक्ति का नाम नहीं हटने देंगे।
फिरहाद ने आंदोलन की दी चेतावनीटीएमसी के वरिष्ठ मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने एसआईआर नाम से वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग और भाजपा बंगाल के मतदाताओं को परेशान करने के लिए मिलीभगत कर रहे हैं। हकीम ने कहा कि अगर एक भी वास्तविक मतदाता का नाम मतदाता सूची से छूट गया तो टीएमसी एक बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी।
एसआईआर को बताया सीएए और एनआरसी का रूपमंत्री अरूप बिस्वास ने कहा कि चुनाव आयोग को पानीहाटी में एक बुजुर्ग व्यक्ति की आत्महत्या की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। बिस्वास ने कहा, एसआईआर, एनआरसी और सीएए को लागू करने की यह एक पूर्व योजना है। जब तक ममता बनर्जी यहां हैं, वह बंगाल में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगी। टीएमसी, सीपीएम और कांग्रेस ने एसआईआर को मतदाताओं को परेशान करने का एक ज़रिया बताया।
सीपीएम के सुजन चक्रवर्ती ने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग नागरिकता के असली सबूत के तौर पर ग्यारह दस्तावेज़ों की सूचियों पर क्यों भरोसा कर रहा है। कांग्रेस के आशुतोष चटर्जी ने पूछा कि चुनाव आयोग 2002 के एसआईआर को पवित्र स्थल क्यों मान रहा है। चटर्जी ने यह भी सवाल उठाया कि एसआईआर के बाद जिसका नाम कट जाता है, उसे नए मतदाता के रूप में फ़ॉर्म 6 भरकर आवेदन क्यों करना पड़ता है। कांग्रेस ने मांग की कि गणना फ़ॉर्म कम से कम एक साल तक सुरक्षित रखे जाने चाहिए।
क्या बोली बीजेपीभाजपा नेता शिशिर बाजोरिया ने दावा किया कि एसआईआर की घोषणा के बाद से टीएमसी का सुर बदल गया है। उन्होंने कहा कि अब वे असली मतदाताओं को न छूटने की बात कर रहे हैं। पहले वे कहते थे कि एक भी नाम नहीं हटाया जा सकता।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर राजनीतिक दलों को जानकारी देने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में जमकर हंगामा हुआ। बैठक में भाग लेने के बाद फिरहाद हकीम ने कहा कि अगर भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर सीएए लागू करने की कोशिश करेंगे, तो मैं उनकी टांगें तोड़ दूंगा।
चुनाव आयोग की सफाईइस साल की शुरुआत में बिहार में पहली बार लागू की गई एसआईआर प्रक्रिया पहले ही विवाद का कारण बन चुकी है। अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की मतदाता सूची से लगभग 66 लाख नाम हटा दिए गए। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य गरीबों और अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करना है। चुनाव आयोग ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सूची से केवल उन लोगों के नाम हटाए गए हैं जो पलायन कर गए हैं, जिनके पास डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है।
फिरहाद हाकीम का ऐलानमंगलवार को बंगाल में सर्वदलीय बैठक में तनाव बढ़ गया। मतदाता पहचान प्रक्रिया और नए गणना प्रपत्रों को लेकर पार्टी प्रतिनिधियों की सीईओ से झड़प हो गई। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करते हुए, फिरहाद हकीम ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसे उन्होंने वास्तविक मतदाताओं को सूची से बाहर करने का प्रयास बताया। बैठक के बाद फिरहाद हकीम ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी की ओर से स्पष्ट कर दिया है कि अगर एक भी वास्तविक मतदाता का नाम हटाया गया, तो हम एसआईआर का विरोध करेंगे।' हम बंगाल के एक भी वास्तविक व्यक्ति का नाम नहीं हटने देंगे।
फिरहाद ने आंदोलन की दी चेतावनीटीएमसी के वरिष्ठ मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने एसआईआर नाम से वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग और भाजपा बंगाल के मतदाताओं को परेशान करने के लिए मिलीभगत कर रहे हैं। हकीम ने कहा कि अगर एक भी वास्तविक मतदाता का नाम मतदाता सूची से छूट गया तो टीएमसी एक बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी।
एसआईआर को बताया सीएए और एनआरसी का रूपमंत्री अरूप बिस्वास ने कहा कि चुनाव आयोग को पानीहाटी में एक बुजुर्ग व्यक्ति की आत्महत्या की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। बिस्वास ने कहा, एसआईआर, एनआरसी और सीएए को लागू करने की यह एक पूर्व योजना है। जब तक ममता बनर्जी यहां हैं, वह बंगाल में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगी। टीएमसी, सीपीएम और कांग्रेस ने एसआईआर को मतदाताओं को परेशान करने का एक ज़रिया बताया।
सीपीएम के सुजन चक्रवर्ती ने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग नागरिकता के असली सबूत के तौर पर ग्यारह दस्तावेज़ों की सूचियों पर क्यों भरोसा कर रहा है। कांग्रेस के आशुतोष चटर्जी ने पूछा कि चुनाव आयोग 2002 के एसआईआर को पवित्र स्थल क्यों मान रहा है। चटर्जी ने यह भी सवाल उठाया कि एसआईआर के बाद जिसका नाम कट जाता है, उसे नए मतदाता के रूप में फ़ॉर्म 6 भरकर आवेदन क्यों करना पड़ता है। कांग्रेस ने मांग की कि गणना फ़ॉर्म कम से कम एक साल तक सुरक्षित रखे जाने चाहिए।
क्या बोली बीजेपीभाजपा नेता शिशिर बाजोरिया ने दावा किया कि एसआईआर की घोषणा के बाद से टीएमसी का सुर बदल गया है। उन्होंने कहा कि अब वे असली मतदाताओं को न छूटने की बात कर रहे हैं। पहले वे कहते थे कि एक भी नाम नहीं हटाया जा सकता।
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