जयपुर: राजस्थान शुरू से प्राचीन सभ्यताओं का केंद्र रहा है। इस बीच नए जिले डीग में ऐसी ही सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जो महाभारत काल और मौर्य काल की याद दिलाते हैं। डीग के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई में 4500 ईसा पूर्व की यह विकसित सभ्यता होने का पता चला है। इनके अवशेष मिलने के बाद यह क्षेत्र सुर्खियों में है। इस दौरान खुदाई में महाभारत काल और मौर्य काल की मूर्तियां, शुभ वंश के सिक्के तथा ब्राह्मी लिपि की मोहरें भी प्राप्त हुई हैं। इसके अलावा खुदाई में एक प्राचीन नदी का तंत्र भी मिला है। इसको लेकर संभावना जताई जा रही है कि यह सरस्वती नदी हो सकती है।
नरकंकाल को जांच के लिए इजराइल भेजा गया
डीग जिले के बहज गांव में पिछले दिनों पुरातत्व विभाग ने खुदाई में इस सभ्यता की खोज की। यह क्षेत्र यूपी के मथुरा से 50 किलोमीटर और भरतपुर से 37 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां प्राचीन सभ्यता की संभावनाओं के देखते हुए पुरातत्व विभाग ने पिछले साल भी इसकी खुदाई की थी। इस साल मई में खुदाई के दौरान इस विकसित सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले है।
इधर, एएसआई ने अपनी रिपोर्ट संस्कृति मंत्रालय को सौंपी है। इसके बाद संभावना है कि यह क्षेत्र राष्ट्रीय पुरातात्विक संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। इस दौरान खुदाई में 23 मीटर गहराई पर एक प्राचीन नदी तंत्र भी मिला है, जिसे सरस्वती नदी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा एक नरकंकाल भी मिला, जिसे जांच के लिए इजरायल भेजा गया है।
अवशेषों ने दिला दी महाभारत काल की याद
एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार, यहां मिट्टी के खंभों से बनी इमारतें, परतदार दीवारों के लिए बनाई गई खाई, भट्टियां, हड्डी से बने औजार, अर्धकीमती पत्थरों के मनके और शंख की चूड़ियां मिली हैं। इसी तरह जनपद काल के यज्ञ कुंडों में मिट्टी और छोटे बर्तन भी पाए गए हैं, जो उस समय की सभ्यता के वास्तु ज्ञान को दर्शाते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि खुदाई में मिले बर्तन व कपड़े महाभारत काल के कपड़ों से प्रतीत होते हैं। इस दौरान खुदाई में महाभारत काल और मौर्य काल की मूर्तियां, शुभ वंश के सिक्के तथा ब्राह्मी लिपि की मोहरें भी प्राप्त हुई हैं।
नरकंकाल को जांच के लिए इजराइल भेजा गया
डीग जिले के बहज गांव में पिछले दिनों पुरातत्व विभाग ने खुदाई में इस सभ्यता की खोज की। यह क्षेत्र यूपी के मथुरा से 50 किलोमीटर और भरतपुर से 37 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां प्राचीन सभ्यता की संभावनाओं के देखते हुए पुरातत्व विभाग ने पिछले साल भी इसकी खुदाई की थी। इस साल मई में खुदाई के दौरान इस विकसित सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले है।
इधर, एएसआई ने अपनी रिपोर्ट संस्कृति मंत्रालय को सौंपी है। इसके बाद संभावना है कि यह क्षेत्र राष्ट्रीय पुरातात्विक संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। इस दौरान खुदाई में 23 मीटर गहराई पर एक प्राचीन नदी तंत्र भी मिला है, जिसे सरस्वती नदी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा एक नरकंकाल भी मिला, जिसे जांच के लिए इजरायल भेजा गया है।
अवशेषों ने दिला दी महाभारत काल की याद
एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार, यहां मिट्टी के खंभों से बनी इमारतें, परतदार दीवारों के लिए बनाई गई खाई, भट्टियां, हड्डी से बने औजार, अर्धकीमती पत्थरों के मनके और शंख की चूड़ियां मिली हैं। इसी तरह जनपद काल के यज्ञ कुंडों में मिट्टी और छोटे बर्तन भी पाए गए हैं, जो उस समय की सभ्यता के वास्तु ज्ञान को दर्शाते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि खुदाई में मिले बर्तन व कपड़े महाभारत काल के कपड़ों से प्रतीत होते हैं। इस दौरान खुदाई में महाभारत काल और मौर्य काल की मूर्तियां, शुभ वंश के सिक्के तथा ब्राह्मी लिपि की मोहरें भी प्राप्त हुई हैं।
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