नई दिल्ली : पिछले साल 7 अक्टूबर के दिन ही हमास ने इजरायल पर हमला किया था। इसके बाद इजरायल ने हमास पर अटैक शुरू किया जो अब इजरायल के लिए छह फ्रंट वॉर में तब्दील हो गया है। एक साल से मिडिल ईस्ट में तनाव लगातर बढ़ ही रहा है। पिछले हफ्ते इजरायल पर ईरान की तरफ से हुए मिसाइल अटैक के बाद तो संकट और भी गहरा गया है। इजरायल ने अभी ईरान में जवाबी कार्रवाई की नहीं है और लेकिन लगातार इसकी चेतावनी इजरायल की तरफ से आ रही है। इजरायल कहां करेगा हमला?अमेरिकी ने इजरायल को ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर अटैक ना करने का सुझाव दिया है। साथ ही अमेरिका ने ये भी कहा है कि उन्हें नहीं पता कि इजरायल कहां अटैक करेगा। ऐसे में ये कयास लग रहे हैं कि क्या इजरायल ईरान के ऑयल साइट्स पर हमला करेगा या फिर उसके ब्लैस्टिक मिसाइल साइलोज और एयरबेस को निशाना बनाएगा। अमेरिकी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान में दो दर्जन से ज्यादा ऐसी साइट हैं जहां मिसाइल स्टोरेज फैसिलिटी और साइलोज (मिसाइल लॉन्चिंग साइट) हैं। ये जमीन से 500 मीटर नीचे हैं। ये अंडरग्राउंड फैसिलिटी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक केनेष्ट एरिया में बैलेस्टिक मिसाइल स्टोरेज और साइलोज हैं जो इराक से करीब 150 किलोमीटर दूर हैं। इसी बेस में फतेह शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल तैनात है। करमनशाह इलाके में दूसरी बैलेस्टिक मिसाइल फैसिलिटी है। यहां कियाम और फतेह ब्लैस्टिक मिसाइल के अंडग्राउंड साइलोज हैं। इस तरह की करीब 25 साइट्स का जिक्र अमेरिकी एजेंसियों की रिपोर्ट में है। इजरायल और ईरान के बीच की दूरी को देखते हुए मिसाइल अटैक और एयर स्ट्राइक ही विकल्प हो सकते हैं। इसलिए जिस तरह ईरान ने इजरायल के एयरबेस को निशाना बनाया था उसी तह इजरायल भी ईरान की युद्ध क्षमता बाधित करने के लिए ईरान के एयरबेस को निशाना बना सकता है। ताकि उनकी एयरफोर्स को अपने ऑपरेशंस करने में दिक्कत हो। ईरान में 17 एयरबेस हैं जिसमें 10 से ज्यादा फाइटर बेस हैं। कई छोटे एयरफील्ड भी ईरान के पास हैं। इजरायली खतरे को देखते हुए ईरान ने अपने एयरबेस की सुरक्षा भी बढ़ाई है। युद्ध जितना लंबा उतना नुकसानभारत की तरफ से बार बार कहा जा रहा कि संयम बरतते हुए बातचीत के जरिए हल निकाला जाना चाहिए। ईरान और लेबनान की तरफ से भी कहा गया है कि भारत इजरायल से बात कर सकता है और इजरायल को समझा सकता है। यह युद्ध जितना लंबा चलेगा उससे भारत को भी नुकसान है। मिडिल ईस्ट में अशांति का असर भारत की एनर्जी सिक्योरिटी और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। रेड सी जो ग्लोबल ट्रेड की मुख्य लाइन है वहां से मालवाहक जहाजों ने आना बंद कर दिया है क्योंकि यह खतरे से खाली नहीं है। भारत से यूरोप और अमेरिका की ओर जाने और आने वाले जहाजों के लिए यही सबसे छोटा रास्ता है। लेकिन पिछले एक साल से शिपिंग कंपनियां अपने जहाजों को अफ्रीका के केपटाउन के पास केप ऑफ गुड होप के रास्ते भेज रही हैं। यह रास्ता लंबा है जिससे शिपमेंट में 10 दिन अतिरिक्त लगते हैं और खर्चा बढ़ जाता है। युद्ध लंबा खींचने से भारत के कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भी लटके पड़े हैं। ईरान में चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनमिक कोरिडोर (IMEC) में भारत की भागीदारी, सेंट्रल एशिया और यूरोप तक सीधी पहुंच पाने की मकसद से की गई है। लेकिन एक साल से जारी युद्ध की वजह से इसमें देरी ही होती जा रही है। इजरायल दिखा रहा है हमास से जब्त सामानइजरायली डिफेंस फोर्सेस ने एक बयान जारी कर बताया कि इजरायल पर हमास के हमले को एक साल हो गया और इस पर एक प्रदर्शन लगाई गई है। इसमें हमास से जब्त किए गए सामान और गाज़ा पट्टी में युद्ध के दौरान जब्त किए गए उपकरणों को प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी एक हफ्ते तक चलेगी। इसमें पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इज़राइल में घुसपैठ करने के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन और उपकरण शामिल हैं। इसमें पिकअप ट्रक, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, वर्दी, खुफिया दस्तावेज़ और उनके हथियार, जिनमें एंटी-टैंक मिसाइल, आरपीजी रॉकेट, विस्फोटक और हमास संगठन के यूएवी शामिल हैं। इजरायली फोर्स हर तरफ से अलर्टक्या हमास के इजरायल पर हमले की वर्षगांठ पर हमास और अटैक कर सकता है, क्या इजरायल तीनों एच यानी हमास, हिजबुल्लाह और हूती मिलकर एकसाथ अटैक का प्लान कर रहे हैं। जिस तरह इजरायल छह फ्रंट पर एक साथ लड़ रहा है उससे किसी भी तरफ से अटैक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए इजरायल ने अपनी तैयारी भी पुख्ता की है। इजरायली डिफेंस फोर्सेस के मुताबिक गाजा पट्टी के पास अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है। आईडीएफ की सदर्न कमांड ऑफेंसिव और डिफेंसिव ऑपरेशंस के लिए तैयार है।
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