बेंगलुरु: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे ऐसा लगा कि सीएम सिद्धारमैया के निशाने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आ गया है। पहले कर्नाटक सरकार ने कर्मचारियों के लिए आरएसएस के कार्यक्रमों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। फिर मंत्री प्रियांक खरगे की मांग पर सार्वजनिक स्थलों पर सभा या कार्यक्रम करने के लिए प्रशासन की अनुमति अनिवार्य कर दी। इसके बाद स्कूल-कॉलेजों में संघ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संघ पर प्रतिबंध लगाने की डिमांड कर दी। अपनी स्थापना की 150वीं वर्षगांठ मना रहे आरएसएस के लिए इन आदेशों से मुसीबतें बढ़ गईं। इसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने आरएसएस के रजिस्ट्रेशन का सवाल उठाया।
संघ के नेताओं ने कांग्रेस को करारा जवाब
सिद्धारमैया सरकार के फैसलों से ऐसा संदेश गया कि कांग्रेस कर्नाटक में आरएसएस की गतिविधियों को रोकने की कोशिश कर रही है। आरएसएस ने कर्नाटक सरकार के आदेशों का सीधा विरोध तो नहीं किया, मगर संघ के नेताओं ने करारा जवाब वाला बयान दिया। मल्लिकार्जुन खरगे को जवाब देते हुआ आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संगठन पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि कोई ऐसा चाहता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले भी तीन बार प्रतिबंध लगा चुकी है, तब समाज ने क्या कहा? कोर्ट ने क्या कहा, उसे इतिहास से सीखना चाहिए। अब रजिस्ट्रेशन वाले बयान पर खुद कार्यवाह मोहन भागवत ने जवाब दिया।
संघ को रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस का काम संविधान के दायरे में है। संगठन गैरकानूनी नहीं है, इसलिए हमें रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि 1925 में संघ की स्थापना हुई थी तो क्या हम ब्रिटिश सरकार से रजिस्ट्रेशन कराते? संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगा और हर बार कोर्ट ने इसे वैध संस्था बता प्रतिबंध खत्म कर दिए। कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए उन्होंने पूछा कि हिंदू धर्म क्या रजिस्टर्ड है फिर भी यह हमारे दैनिक जीवन में मौजूद है। भागवत ने कहा कि जब आजादी हुई तो तब कई गैर रजिस्टर्ड संगठनों को भी कानूनी मान्यता मिली। इसी कड़ी में संघ को भी मान्यता मिली।
सिद्धारमैया ने बीजेपी पर फाड़ी पर्ची
संघ प्रमुख के बयान के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने सफाई दी। उन्होंने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेजों को लेकर जारी आदेश में आरएसएस का जिक्र नहीं है। नए आदेश में वही दोहराया है जो बीजेपी सरकार ने 2013 में दिया था। सिद्धारमैया ने कहा कि 2013 में जगदीश शेट्टार के कार्यकाल में स्कूल और कॉलेज कैंपस में संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रदेश के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि कई पैरेंट्स और छात्रों ने आइडोलॉजिक एक्टिविटी की शिकायत की थी, इसके बाद शासन ने आदेश जारी किया।
संघ के नेताओं ने कांग्रेस को करारा जवाब
सिद्धारमैया सरकार के फैसलों से ऐसा संदेश गया कि कांग्रेस कर्नाटक में आरएसएस की गतिविधियों को रोकने की कोशिश कर रही है। आरएसएस ने कर्नाटक सरकार के आदेशों का सीधा विरोध तो नहीं किया, मगर संघ के नेताओं ने करारा जवाब वाला बयान दिया। मल्लिकार्जुन खरगे को जवाब देते हुआ आरएसएस के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संगठन पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि कोई ऐसा चाहता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले भी तीन बार प्रतिबंध लगा चुकी है, तब समाज ने क्या कहा? कोर्ट ने क्या कहा, उसे इतिहास से सीखना चाहिए। अब रजिस्ट्रेशन वाले बयान पर खुद कार्यवाह मोहन भागवत ने जवाब दिया।
संघ को रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस का काम संविधान के दायरे में है। संगठन गैरकानूनी नहीं है, इसलिए हमें रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि 1925 में संघ की स्थापना हुई थी तो क्या हम ब्रिटिश सरकार से रजिस्ट्रेशन कराते? संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगा और हर बार कोर्ट ने इसे वैध संस्था बता प्रतिबंध खत्म कर दिए। कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए उन्होंने पूछा कि हिंदू धर्म क्या रजिस्टर्ड है फिर भी यह हमारे दैनिक जीवन में मौजूद है। भागवत ने कहा कि जब आजादी हुई तो तब कई गैर रजिस्टर्ड संगठनों को भी कानूनी मान्यता मिली। इसी कड़ी में संघ को भी मान्यता मिली।
सिद्धारमैया ने बीजेपी पर फाड़ी पर्ची
संघ प्रमुख के बयान के बाद कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने सफाई दी। उन्होंने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेजों को लेकर जारी आदेश में आरएसएस का जिक्र नहीं है। नए आदेश में वही दोहराया है जो बीजेपी सरकार ने 2013 में दिया था। सिद्धारमैया ने कहा कि 2013 में जगदीश शेट्टार के कार्यकाल में स्कूल और कॉलेज कैंपस में संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रदेश के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने कहा कि कई पैरेंट्स और छात्रों ने आइडोलॉजिक एक्टिविटी की शिकायत की थी, इसके बाद शासन ने आदेश जारी किया।
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