पटना: क्या इंडिया गठबंधन के वास बड़े वादाें को पूरा करने का विजन है? क्यों इंडिया गठबंधन में अंत तक उलझन की स्थिति बनी रही? लालू यादव परिवार में विवाद का कारण क्या है? नीतीश कुमार के महिला वोटर को किस तरह अपने पक्ष में कैसे करेंगे? जंगलराज के आरोप का किस तरह जवाब देंगे? इन तमाम सवालों पर इंडिया गठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने एनबीटी के नरेन्द्र नाथ से बात की। पेश है बातचीत के अहम अंश।
सवाल- चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या लग रहा है?
तेजस्वी यादव- जनता ने तथाकथित डबल इंजन सरकार को देख लिया है। विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार और बेरोजगारी मिली है। इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। शिक्षा और स्वास्थ्य का है। नौजवानों के पास काम नहीं है और आमजन महंगाई से परेशान है। हम नौकरियों की बात करते हैं - यही असली मुद्दा है। इस तथाकथित "डबल इंजन" सरकार में दो इंजन तो हैं पर दोनों रेलगाड़ी को दो अलग-अलग छोरों से खींच रहे हैं। खींच-तान चल रही है – साफ़ ज़ाहिर है। रेलगाड़ी तो छोड़िये, लोको ड्राइवर खुद रिमोट कण्ट्रोल से चलाये जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन बहुमत और जीत की तरफ़ अग्रसर है। जमीनी स्तर पर जनता का गुस्सा साफ दिख रहा है - वे बदलाव चाहते हैं और वह बदलाव इंडिया गठबंधन से ही आएगा। हर रैली में, हर गांव में, हर मोहल्ले में हमें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है।
सवाल- नीतीश सरकार ने चुनाव से पहले डेढ़ करोड़ महिलाओं को 10 हज़ार दिया। मैंने खुद देखा जमीन पर इसका बड़ा असर है। आपकी क्या योजना है?
तेजस्वी यादव- यह चुनावी स्टंट है! एक बार का 10 हजार देकर वोट खरीदने की कोशिश हो रही है। हमारी योजना स्थायी है - हम हर महीने महिलाओं को 2500 रुपये देंगे। सालाना 30 हजार रुपये। और यह 30 हजार पहले साल सरकार बनने के तुरंत बाद 14 जनवरी को देंगे ताकि महंगाई से निबट सके महिलाएं। यह महिला सशक्तिकरण की असली नीति है। साथ ही महिलाओं को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी। हम एक बार का भुगतान नहीं, बल्कि महिलाओं की आर्थिक आजादी चाहते हैं। नीतीश जी ने चुनाव आते ही याद किया महिलाओं को - पिछले पांच साल कहां थे? हमारी केवल योजना नहीं, महिलाओं के सम्मान और अधिकार की गारंटी है।
सवाल- कहा गया कि हर घर में सरकारी नौकरी का वादा व्यवाहारिक नहीं है। आपका ब्लूप्रिंट क्या है?
तेजस्वी यादव- बिल्कुल तैयार है। और यह सिर्फ हवाई वादा नहीं है। यह एक ठोस योजना है जो अनुभव और प्रदर्शन पर आधारित है। याद कीजिए 2014 में में मोदी जी ने क्या वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां देंगे। वे नौकरियां कहां हैं? 11 साल में 22 करोड़ नौकरियां देनी थीं - न मिलीं नौकरियां, न मिला हिसाब। बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। जब मैं डिप्टी सीएम था, तो मैंने रोजगार एजेंडा को प्राथमिकता दी और उसे पूरा किया। हमने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया को लागू किया, रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरा, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को खत्म किया, और युवाओं को वास्तविक अवसर दिए, न कि सिर्फ झूठे आश्वासन। यही वह अनुभव है जो हमें इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने का विश्वास देता है। हमारा ब्लूप्रिंट तीन मुख्य स्तंभों पर खड़ा है। पहला, सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं और हम उनके लिए हम त्वरित भर्ती प्रक्रिया शुरू करेंगे - कोई देरी नहीं, कोई बहाना नहीं। दूसरा, हम अगले 10 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए पदों की मैपिंग करेंगे, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, प्रशासन का विस्तार होगा, साथ ही डिजिटल सेवाओं, ग्रीन एनर्जी, और नई तकनीकों के लिए पद सृजित होंगे। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण, हम पूरी तरह पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रक्रिया लाएंगे जहां कोई पेपर लीक नहीं होगा, कोई भाई-भतीजावाद नहीं होगा, और योग्यता ही एकमात्र मानदंड होगी। हर परिवार में एक सरकारी नौकरी - यह हमारी प्रतिबद्धता है, हमारी गारंटी है।
सवाल- बीजेपी-नीतीश आरजेडी और जंगलराज का आरोप लगाते हैं। इसके लिए आपका क्या काउंटर है?
तेजस्वी यादव- जंगलराज की बात करते हैं? आज बिहार में अपराध दर सबसे ज्यादा है! हर दिन हत्या, लूटपाट, महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। मंत्रियों के काफिले पर हमले होते हैं, विधायकों पर गोलियां चलती हैं - यह किसका राज है? असली जंगलराज तो अभी चल रहा है - यौन उत्पीड़न से लेकर हत्या तक, बलात्कार से लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार तक, हर तरह के अपराध और अपराधियों को भाजपा में शरण मिलती है। भाजपा-जेडीयू का जंगलराज के साथ-साथ भ्रष्टाचार का राज भी। पेपर लीक हो या जमीन घोटाला, शराब माफिया हो या भर्ती घोटाला - सब कुछ इनकी सरकार में खुलेआम चल रहा है। जब वे जवाब नहीं दे पाते तो जातिवाद का कार्ड खेलते हैं, लेकिन जनता अब इनकी चालबाजी समझ चुकी है। यह "भेड़िया-भेड़िया" की रट लगाना जातिवादी सोच की सबसे बड़ी हताशा है।
सवाल- नये और युवा वोटर जुड़े, इसके लिए आपने क्या कोशिश की?
तेजस्वी यादव- हमने युवाओं से सीधा संवाद किया है। सोशल मीडिया पर मैं खुद सक्रिय हूं और युवाओं से जुड़ रहा हूं। गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले जाकर युवाओं की समस्याएं सुनीं। बेरोजगारी भत्ता और नौकरियां - यह युवाओं का एजेंडा है। युवा शक्ति ही बिहार का भविष्य है, और वे हमारे साथ हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हम उनकी आवाज हैं। उन्होंने देखा है कि पिछले दस सालों में क्या हुआ और क्या नहीं हुआ। ये युवा अपने सवाल खुद पूछ रहे हैं, अपने हक की बात खुद कर रहे हैं। वे यह तय कर रहे हैं कि उनका भविष्य कैसा होगा और किसके हाथ में होगा - यह उनका अपना फैसला है, और वे इसे बहुत समझदारी से ले रहे हैं।
सवाल- 2020 और इस बार चुनाव में क्या अंतर दिख रहा है? कुछ लोगों का मानना है कि आपका वह पीक था?
तेजस्वी यादव- पीक की बात गलत है, मैं और मजबूत हुआ हूं, पार्टी और मजबूत हुई है। इस बार जनता का आशीर्वाद पूरी तरह हमारे साथ है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि एनडीए के भीतर दरारें साफ दिख रही हैं - गठबंधन कमजोर पड़ चुका है और उनके अपने सहयोगी असंतुष्ट हैं। विरोधी पक्ष की असली समस्या यह है कि उनके पास कोई एजेंडा नहीं है, कोई नया विज़न नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनावों ने बिहार को कुछ नहीं दिया - न विकास, न नौकरियां, न सम्मान। इस बार जनता में एंटी-इनकम्बेंसी की लहर लगातार मजबूत होती जा रही है क्योंकि लोगों को लगता है कि पिछले पूरा एक दशक बर्बाद हो गया। हर वर्ग - किसान हो, मजदूर हो, युवा हो, महिलाएं हों - सभी बदलाव चाहते हैं और यह बदलाव की लहर अब रुकने वाली नहीं है।
सवाल- क्या गठबंधन में सीट शेयरिंग और सीएम पद को लेकर उपजी उलझन को दूर करने में देरी हुई?
l तेजस्वी यादव- देरी नहीं हुई, लोकतांत्रिक प्रक्रिया हुई। गठबंधन में सभी दलों के साथ बातचीत जरूरी है। हम सम्मान और सहयोग के साथ आगे बढ़े हैं। सीएम उम्मीदवार की घोषणा समय से पहले ही कर दी गई थी, जो हमारी स्पष्टता और एकजुटता को दर्शाता है। हम आंतरिक मतभेद नहीं, जनता का भरोसा जीतने पर केंद्रित हैं। सभी सहयोगी दल संतुष्ट हैं। विरोधी पक्ष जो भ्रम फैला रहा है, वह उनकी अपनी कमजोरी को छिपाने का प्रयास है - एनडीए के भीतर तो असली खींचतान चल रही है। जनता को स्पष्ट विकल्प दिखाई दे रहा है - एक तरफ एकजुट इंडिया गठबंधन और दूसरी तरफ बिखरा हुआ एनडीए।
सवाल- आपकी पार्टी ने इस बार कई सिटिंग विधायकों का टिकट काटा। क्या है इसके पीछे कारण?
तेजस्वी यादव- हमने प्रदर्शन और जनसंपर्क के आधार पर निर्णय लिया है। हर निर्वाचन क्षेत्र में हमने गहन शोध किया है - वहां की जमीनी हकीकत क्या है, स्थानीय मुद्दे क्या हैं, और लोगों की क्या अपेक्षाएं हैं। पार्टी संगठन के साथ लंबी चर्चा हुई, कार्यकर्ताओं की राय ली गई, और जनता की नब्ज को समझा गया। कई क्षेत्रों में लोगों की आकांक्षाएं बदल गई हैं - वे नए चेहरे चाहते हैं, नई ऊर्जा चाहते हैं, और ताजा नेतृत्व चाहते हैं। यह कोई व्यक्तिगत फैसला नहीं था बल्कि संगठनात्मक जरूरत और जनभावना का सम्मान था।
सवाल- आपने चुनाव में अपने परिवार को दूर रखा। इसका विवाद भी दिखा। क्या संदेश देने की कोशिश की?
तेजस्वी यादव- मेरा संदेश साफ है - पार्टी परिवार से बड़ी है। यहां यह भी कह देना आवश्यक होगा कि राजनीति परिवार का व्यवसाय नहीं, जनसेवा का माध्यम है। मैं योग्यता और कार्यक्षमता में विश्वास करता हूं। जनता को दिखाना चाहता हूं कि आरजेडी वंशवाद की नहीं, लोकतंत्र और विकास की पार्टी है। हमारे पास विजन है, काम करने की इच्छा है। यह फैसला इसलिए भी लिया क्योंकि मैं चाहता हूं कि पार्टी में हर कार्यकर्ता को लगे कि उनके लिए भी अवसर हैं - सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं। यह सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि संगठन को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को जिंदा रखने का फैसला है।
सवाल- अगर चुनाव बाद ऐसी संभावना बनती है तो क्या नीतीश के साथ दोबारा गठबंधन हो सकता है?
तेजस्वी यादव- हमारा फोकस भाजपा-जेडीयू को हराना है। नीतीश कुमार जी ने कई बार धोखा दिया है - पहले हमारे साथ, फिर बीजेपी के साथ, फिर वापस, फिर वापस भाजपा के साथ। जनता उनकी इस चालबाजी से तो तंग आ गई है।
सवाल- चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या लग रहा है?
तेजस्वी यादव- जनता ने तथाकथित डबल इंजन सरकार को देख लिया है। विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार और बेरोजगारी मिली है। इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। शिक्षा और स्वास्थ्य का है। नौजवानों के पास काम नहीं है और आमजन महंगाई से परेशान है। हम नौकरियों की बात करते हैं - यही असली मुद्दा है। इस तथाकथित "डबल इंजन" सरकार में दो इंजन तो हैं पर दोनों रेलगाड़ी को दो अलग-अलग छोरों से खींच रहे हैं। खींच-तान चल रही है – साफ़ ज़ाहिर है। रेलगाड़ी तो छोड़िये, लोको ड्राइवर खुद रिमोट कण्ट्रोल से चलाये जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन बहुमत और जीत की तरफ़ अग्रसर है। जमीनी स्तर पर जनता का गुस्सा साफ दिख रहा है - वे बदलाव चाहते हैं और वह बदलाव इंडिया गठबंधन से ही आएगा। हर रैली में, हर गांव में, हर मोहल्ले में हमें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है।
सवाल- नीतीश सरकार ने चुनाव से पहले डेढ़ करोड़ महिलाओं को 10 हज़ार दिया। मैंने खुद देखा जमीन पर इसका बड़ा असर है। आपकी क्या योजना है?
तेजस्वी यादव- यह चुनावी स्टंट है! एक बार का 10 हजार देकर वोट खरीदने की कोशिश हो रही है। हमारी योजना स्थायी है - हम हर महीने महिलाओं को 2500 रुपये देंगे। सालाना 30 हजार रुपये। और यह 30 हजार पहले साल सरकार बनने के तुरंत बाद 14 जनवरी को देंगे ताकि महंगाई से निबट सके महिलाएं। यह महिला सशक्तिकरण की असली नीति है। साथ ही महिलाओं को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी। हम एक बार का भुगतान नहीं, बल्कि महिलाओं की आर्थिक आजादी चाहते हैं। नीतीश जी ने चुनाव आते ही याद किया महिलाओं को - पिछले पांच साल कहां थे? हमारी केवल योजना नहीं, महिलाओं के सम्मान और अधिकार की गारंटी है।
सवाल- कहा गया कि हर घर में सरकारी नौकरी का वादा व्यवाहारिक नहीं है। आपका ब्लूप्रिंट क्या है?
तेजस्वी यादव- बिल्कुल तैयार है। और यह सिर्फ हवाई वादा नहीं है। यह एक ठोस योजना है जो अनुभव और प्रदर्शन पर आधारित है। याद कीजिए 2014 में में मोदी जी ने क्या वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां देंगे। वे नौकरियां कहां हैं? 11 साल में 22 करोड़ नौकरियां देनी थीं - न मिलीं नौकरियां, न मिला हिसाब। बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। जब मैं डिप्टी सीएम था, तो मैंने रोजगार एजेंडा को प्राथमिकता दी और उसे पूरा किया। हमने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया को लागू किया, रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरा, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को खत्म किया, और युवाओं को वास्तविक अवसर दिए, न कि सिर्फ झूठे आश्वासन। यही वह अनुभव है जो हमें इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने का विश्वास देता है। हमारा ब्लूप्रिंट तीन मुख्य स्तंभों पर खड़ा है। पहला, सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं और हम उनके लिए हम त्वरित भर्ती प्रक्रिया शुरू करेंगे - कोई देरी नहीं, कोई बहाना नहीं। दूसरा, हम अगले 10 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए पदों की मैपिंग करेंगे, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, प्रशासन का विस्तार होगा, साथ ही डिजिटल सेवाओं, ग्रीन एनर्जी, और नई तकनीकों के लिए पद सृजित होंगे। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण, हम पूरी तरह पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रक्रिया लाएंगे जहां कोई पेपर लीक नहीं होगा, कोई भाई-भतीजावाद नहीं होगा, और योग्यता ही एकमात्र मानदंड होगी। हर परिवार में एक सरकारी नौकरी - यह हमारी प्रतिबद्धता है, हमारी गारंटी है।
सवाल- बीजेपी-नीतीश आरजेडी और जंगलराज का आरोप लगाते हैं। इसके लिए आपका क्या काउंटर है?
तेजस्वी यादव- जंगलराज की बात करते हैं? आज बिहार में अपराध दर सबसे ज्यादा है! हर दिन हत्या, लूटपाट, महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। मंत्रियों के काफिले पर हमले होते हैं, विधायकों पर गोलियां चलती हैं - यह किसका राज है? असली जंगलराज तो अभी चल रहा है - यौन उत्पीड़न से लेकर हत्या तक, बलात्कार से लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार तक, हर तरह के अपराध और अपराधियों को भाजपा में शरण मिलती है। भाजपा-जेडीयू का जंगलराज के साथ-साथ भ्रष्टाचार का राज भी। पेपर लीक हो या जमीन घोटाला, शराब माफिया हो या भर्ती घोटाला - सब कुछ इनकी सरकार में खुलेआम चल रहा है। जब वे जवाब नहीं दे पाते तो जातिवाद का कार्ड खेलते हैं, लेकिन जनता अब इनकी चालबाजी समझ चुकी है। यह "भेड़िया-भेड़िया" की रट लगाना जातिवादी सोच की सबसे बड़ी हताशा है।
सवाल- नये और युवा वोटर जुड़े, इसके लिए आपने क्या कोशिश की?
तेजस्वी यादव- हमने युवाओं से सीधा संवाद किया है। सोशल मीडिया पर मैं खुद सक्रिय हूं और युवाओं से जुड़ रहा हूं। गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले जाकर युवाओं की समस्याएं सुनीं। बेरोजगारी भत्ता और नौकरियां - यह युवाओं का एजेंडा है। युवा शक्ति ही बिहार का भविष्य है, और वे हमारे साथ हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हम उनकी आवाज हैं। उन्होंने देखा है कि पिछले दस सालों में क्या हुआ और क्या नहीं हुआ। ये युवा अपने सवाल खुद पूछ रहे हैं, अपने हक की बात खुद कर रहे हैं। वे यह तय कर रहे हैं कि उनका भविष्य कैसा होगा और किसके हाथ में होगा - यह उनका अपना फैसला है, और वे इसे बहुत समझदारी से ले रहे हैं।
सवाल- 2020 और इस बार चुनाव में क्या अंतर दिख रहा है? कुछ लोगों का मानना है कि आपका वह पीक था?
तेजस्वी यादव- पीक की बात गलत है, मैं और मजबूत हुआ हूं, पार्टी और मजबूत हुई है। इस बार जनता का आशीर्वाद पूरी तरह हमारे साथ है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि एनडीए के भीतर दरारें साफ दिख रही हैं - गठबंधन कमजोर पड़ चुका है और उनके अपने सहयोगी असंतुष्ट हैं। विरोधी पक्ष की असली समस्या यह है कि उनके पास कोई एजेंडा नहीं है, कोई नया विज़न नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनावों ने बिहार को कुछ नहीं दिया - न विकास, न नौकरियां, न सम्मान। इस बार जनता में एंटी-इनकम्बेंसी की लहर लगातार मजबूत होती जा रही है क्योंकि लोगों को लगता है कि पिछले पूरा एक दशक बर्बाद हो गया। हर वर्ग - किसान हो, मजदूर हो, युवा हो, महिलाएं हों - सभी बदलाव चाहते हैं और यह बदलाव की लहर अब रुकने वाली नहीं है।
सवाल- क्या गठबंधन में सीट शेयरिंग और सीएम पद को लेकर उपजी उलझन को दूर करने में देरी हुई?
l तेजस्वी यादव- देरी नहीं हुई, लोकतांत्रिक प्रक्रिया हुई। गठबंधन में सभी दलों के साथ बातचीत जरूरी है। हम सम्मान और सहयोग के साथ आगे बढ़े हैं। सीएम उम्मीदवार की घोषणा समय से पहले ही कर दी गई थी, जो हमारी स्पष्टता और एकजुटता को दर्शाता है। हम आंतरिक मतभेद नहीं, जनता का भरोसा जीतने पर केंद्रित हैं। सभी सहयोगी दल संतुष्ट हैं। विरोधी पक्ष जो भ्रम फैला रहा है, वह उनकी अपनी कमजोरी को छिपाने का प्रयास है - एनडीए के भीतर तो असली खींचतान चल रही है। जनता को स्पष्ट विकल्प दिखाई दे रहा है - एक तरफ एकजुट इंडिया गठबंधन और दूसरी तरफ बिखरा हुआ एनडीए।
सवाल- आपकी पार्टी ने इस बार कई सिटिंग विधायकों का टिकट काटा। क्या है इसके पीछे कारण?
तेजस्वी यादव- हमने प्रदर्शन और जनसंपर्क के आधार पर निर्णय लिया है। हर निर्वाचन क्षेत्र में हमने गहन शोध किया है - वहां की जमीनी हकीकत क्या है, स्थानीय मुद्दे क्या हैं, और लोगों की क्या अपेक्षाएं हैं। पार्टी संगठन के साथ लंबी चर्चा हुई, कार्यकर्ताओं की राय ली गई, और जनता की नब्ज को समझा गया। कई क्षेत्रों में लोगों की आकांक्षाएं बदल गई हैं - वे नए चेहरे चाहते हैं, नई ऊर्जा चाहते हैं, और ताजा नेतृत्व चाहते हैं। यह कोई व्यक्तिगत फैसला नहीं था बल्कि संगठनात्मक जरूरत और जनभावना का सम्मान था।
सवाल- आपने चुनाव में अपने परिवार को दूर रखा। इसका विवाद भी दिखा। क्या संदेश देने की कोशिश की?
तेजस्वी यादव- मेरा संदेश साफ है - पार्टी परिवार से बड़ी है। यहां यह भी कह देना आवश्यक होगा कि राजनीति परिवार का व्यवसाय नहीं, जनसेवा का माध्यम है। मैं योग्यता और कार्यक्षमता में विश्वास करता हूं। जनता को दिखाना चाहता हूं कि आरजेडी वंशवाद की नहीं, लोकतंत्र और विकास की पार्टी है। हमारे पास विजन है, काम करने की इच्छा है। यह फैसला इसलिए भी लिया क्योंकि मैं चाहता हूं कि पार्टी में हर कार्यकर्ता को लगे कि उनके लिए भी अवसर हैं - सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं। यह सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि संगठन को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को जिंदा रखने का फैसला है।
सवाल- अगर चुनाव बाद ऐसी संभावना बनती है तो क्या नीतीश के साथ दोबारा गठबंधन हो सकता है?
तेजस्वी यादव- हमारा फोकस भाजपा-जेडीयू को हराना है। नीतीश कुमार जी ने कई बार धोखा दिया है - पहले हमारे साथ, फिर बीजेपी के साथ, फिर वापस, फिर वापस भाजपा के साथ। जनता उनकी इस चालबाजी से तो तंग आ गई है।
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