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शीत युद्ध का सबसे खतरनाक राज, जब अमेरिका ने स्पेन पर गिरा दिए थे 4 परमाणु बम, हिरोशिमा से 100 गुना ताकतवर, जानें कहानी

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मैड्रिड: साल 1966 के 17 जनवरी को स्पेन के लोगों को कोई अंदाजा नहीं था कि एक गलती कैसे पूरे यूरोप को तबाह कर सकता है। स्पेन के नीले आसमान में अमेरिकी बी-52 बमवर्षक विमान अपने नियमित गश्त पर था। इस मिशन का मकसद था, अमेरिका की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना। यानि, यूरोप की आसमान में शक्ति का प्रदर्शन। अमेरिका का ये विमान उस समय परमाणु हथियारों से लैस था। इसे हवा में ईंधन भरना था और इसके लिए वो केसी-135 टैंकर से जुड़ने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान एक विनाशकारी गलती हुई। टैंकर और बमवर्षक विमान आपस में टकरा गए। आसमान में आग का गोला उठ खड़ा हुआ और मलबा जलता हुआ जमीन पर गिरने लगा। ये वो गलती थी जो समूचे यूरोप का नामोनिशान मिटा सकता था। इस दौरान एक दो नहीं, बल्कि चार परमाणु बम गिरे थे। इस भयानक दुर्घटना के दो साल बाद BBC के रिपोर्टर क्रिस ब्रैशर ने इस विनाशकारी हादसे की हकीकत दुनिया को बताई, जिसे अमेरिका दबाने की कोशिश में लगा हुआ था।रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के करीब 60 साल पहले एक खोया हुआ परमाणु हथियार, जिसकी अमेरिकी सेना 80 दिनों से बेसब्री से तलाश कर रही थी, वो आखिरकार मिल गया। ये परमाणु बम, हिरोशिमा पर गिराए गए बम की तुलना में 100 गुना ज्यादा विस्फोटक शक्ति वाले वारहेड के साथ था। इसे भूमध्य सागर से 2850 फीट की गहराई से बेहद सावधानी से बाहर निकाला गया। इसे बाहर निकालने के लिए USS पेट्रेल को मिशन में लगाया गया था। विमान में बम रखने के बाद बहुत सावधानी से उसे निष्क्रिय किया गया, जिसके लिए थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस के आवरण को सावधानीपूर्वक काटा गया। जब ये काम पूरा हो गया, उसके बाद ही सभी ने राहत की सांस ली थी। स्पेन के एक गांव में चार परमाणु बमबीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक टक्कर के बाद बी-52 बॉम्बर्स से चार हाइड्रोजन बम नीचे गिर गये थे। तीन स्पेन के पालोमार्स गांव के पास गिरे थे और एक हाइड्रोजन बम भूमध्य सागर में गिर गया था, जिसे 80 दिनों के बाद बाहर निकाला गया। हालांकि बमों के गिरने से परमाणु विस्फोट नहीं हुआ, लेकिन दो बमों के पारंपरिक विस्फोटकों के फटने से रेडियोधर्मी प्लूटोनियम गांव में बिखर गया। ये जहर स्पेन की खेतों, सड़कों और लोगों की जिदगियों में घुल गया। ये घटना गांव के लोगों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं था। उस वक्त उन्होंने जरा भी अंदाजा नहीं था कि वो बम क्या था, कितने शक्तिशाली थे और अगर धमाका होता तो क्या अंजाम हो सकता था। बम गिरने के बाद अमेरिकी सैनिकों ने फौरन पूरे गांव को घेर लिया। चारों तरफ से हेलीकॉप्टर्स की आवाजें आ रही थीं, सैनिकों का हलचल मता था। ये सब एक जासूसी थ्रिलर फिल्म की तरह लग रहा था, लेकिन ये एक वास्तविक घटना थी, जिसे अमेरिका ने अंजाम दिया था।1968 में घटनास्थल से रिपोर्ट करते हुए बीबीसी संवाददाता क्रिस ब्रैशर ने खुलासा किया था कि "परमाणु हथियारों से जुड़ी यह पहली दुर्घटना नहीं थी। बल्कि पेंटागन ने हाइड्रोजन बम ले जाने वाले विमानों से हुई कम से कम नौ दुर्घटनाओं की लिस्ट बनाई है। लेकिन यह विदेशी धरती पर हुई पहली दुर्घटना थी, जिसमें आम नागरिकों में तबाही मच सकती थी, यूरोप तबाह हो सकता था। इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था।"अमेरिकी दस्तावेजों के मुताबिक इस ऑपरेशन का नाम 'क्रोम डोम' था। अमेरिका ने 1960 के दशक में सोवियत संघ े मुकाबला करने के लिए इस ऑपरेशन को डिजाइन किया था। इस ऑपरेशन के तहत अमेरिकी परमाणु-सशस्त्र बी-52 बमवर्षकों का एक गश्ती दल लगातार आसमान में चक्कर लगाता रहता था, जो एक आदेश मिलने के साथ ही मास्को पर हमला करने के लिए तैयार था। लेकिन लगातार उड़ान में रहने की वजह से इन विमानों को हवा में ही ईंधन भरने की जरूरत होती थी और इसीलिए स्पेन के गांव के ऊपर बमवर्षक में ईंधन भरा जा रहा था, जब ये हादसा हुआ। 'ऐसा लगा जैसे आज दुनिया खत्म हो रही हो'BBC के मुताबिक स्पेन के किसान पेड्रो अलारकोन अपने नाती-नातिनों के साथ अपने घर जा रहे थे, तभी एक परमाणु बम उनके टमाटर के खेत में गिरा और टकराने पर फट गया। उन्होंने कहा कि "हम पूरी तरह से डर गए। बच्चे रोने लगे। मैं डर से हिल गया था। एक पत्थर मेरे पेट में लगा और मुझे लगा कि मेरी जान निकल रही है। मैं बच्चों के रोने के बीच मौत जैसा महसूस कर रहा था।" कैप्टन जो रामिरेज, जिन्होंने एक मील दूर से विशाल आग का गोला देखा, उन्होंने बीबीसी को कहा कि "शुक्र है, इससे परमाणु विस्फोट नहीं हुआ। बमवर्षक के वारहेड सशस्त्र नहीं थे और अचानक धमाके को रोकने के लिए सुरक्षा के इंतजाम किए गये थे।दूसरा हाइड्रोजन बम एक कब्रिस्तान के पास जमीन पर गिरने पर फट गया। इन विस्फोटों से विशाल गड्ढे बन गए और कई सौ एकड़ में अत्यधिक विषैले, रेडियोधर्मी प्लूटोनियम धूल को बिखेर दिया। जलते हुए विमान के मलबे ने भी स्पेनिश गांव को धुएं से भर दिया। 1968 में सेनोरा फ्लोरेस नामक एक ग्रामीण ने BBC को बताया कि "मैं रो रहा था और इधर-उधर भाग रहा था। मेरी छोटी लड़की रो रही थी। हमारा घर जल रहा था। हमारे आस-पास बहुत सारे पत्थर और मलबा गिर रहा था। मुझे लगा कि यह हम पर गिरेगा। यह एक भयानक विस्फोट था। हमें लगा कि यह दुनिया का अंत है।" स्पेन और अमेरिका ने की पर्दा डालने की कोशिशपालोमार्स का हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं था बल्कि यह शीत युद्ध की खतरनाक परछाई का प्रमाण था। अमेरिका ने यूरोप और खासकर स्पेन में अपने परमाणु हथियारों को तैनात करके सोवियत संघ को घेरने की नीति अपनाई थी। स्पेन, जो फ्रैंको की तानाशाही के अधीन था, उसने अमेरिका से रक्षा सहयोग के बदले में चुप्पी साध ली। यह सहयोग आगे चलकर नाटो सदस्यता और यूरोपीय पहचान को मजबूत करने का जरिया बना। लेकिन कीमत चुकाई पालोमार्स ने, अपने खेत, अपनी मिट्टी और अपनी आने वाली पीढ़ियों की सेहत से। 2015 में अमेरिका और स्पेन के बीच एक नया समझौता हुआ कि बचे हुए विकिरण वाले क्षेत्रों की सफाई की जाएगी। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह काम अब भी अधूरा है। हर साल परीक्षण होते हैं, लेकिन लोगों को भरोसा नहीं है कि विकिरण आखिरकार खत्म हो पाएगा। पालोमार्स की जमीन आज भी 'रेड जोन' कहलाती है। खेतों में जो फसलें उगती हैं, उन्हें बेचने में किसानों को डर लगता है। बच्चों के शरीर में प्लूटोनियम की मात्रा पाए जाने की अभी भी खबरें आती हैं, लेकिन ना ही स्पेन की सरकार और ना ही अमेरिका को अब इससे कोई मतलब है।
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