मुंबई : गीतकार जावेद अख्तर ने पश्चिम बंगाल उर्दू अकैडमी के मुशायरे में चीफ गेस्ट बनाए जाने पर बवाल पर बड़े शानदार लहजे में जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि विचारों के लिए विरोध का सामना करना उनके लिए कोई नया नहीं है। हिंदू कट्टरपंथी उन्हें जिहादी बताकर पाकिस्तान जाने को कहते हैं और मुस्लिम कट्टरपंथी काफिर बताकर विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि वह खुद को धर्मनिरपेक्ष भारतीय मानते हैं और समाज को नुकसान पहुंचा रहे विषयों पर अपनी राय रखते हैं।
जावेद अख्तर के समर्थन में आए एक्टिविस्ट
पश्चिम बंगाल उर्दू अकैडमी को कोलकाता में 'हिंदी सिनेमा में उर्दू' टॉपिक पर चार दिवसीय प्रोग्राम करने का ऐलान किया था। 31 अगस्त से शुरू होने वाले इस प्रोग्राम में जावेद अख्तर को निमंत्रण दिया गया था। जमीयत उलेमा ए हिंद ने इस कार्यक्रम में जावेद अख्तर की मौजूदगी पर आपत्ति जताई थी। जमीयत नेताओं ने उन्हें मुसलमानों का विरोध करने वाला शैतान और काफिर बताया था। विवाद शुरू होते ही उर्दू अकैडमी ने बिना कारण बताए समारोह को कैंसल कर दिया। इसके बाद से अचानक जावेद अख्तर सुर्खियों में आ गए। एक्टिविस्ट शबनम हाशमी और कई राइटर उनके समर्थन में आ गए। कोलकाता के सीपीएम नेताओं ने इसे कट्टरपंथियों के दबाव में लिया गया फैसला बताते हुए टीएमसी सरकार की तीखी आलोचना की।
पहले भी कई बार मिल चुकी है धमकी
विवाद बढ़ने के बाद अब खुद जावेद अख्तर ने प्रतिक्रिया दी है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे लोग हैं, जो जहर उगलते हैं और वे दोनों तरफ मौजूद हैं। उन्हें लगातार हिंदू और मुस्लिम दोनों कट्टरपंथियों से नफरत मिलती है। कुछ लोग उन्हें 'जिहादी' कहते हैं और पाकिस्तान जाने को कहते हैं। कुछ कहते हैं कि वे 'काफिर' हैं और 100 फीसदी नरक में जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 सालों में मुंबई पुलिस ने उन्हें कम से कम चार बार सुरक्षा दी है हालांकि उन्होंने कभी सिक्युरिटी नहीं मांगी। चार में से तीन बार मुस्लिम संगठनों या लोगों से खतरा था और एक बार दूसरी तरफ से। जमीयत उलेमा ए हिंद की आपत्ति पर जावेद अख्तर का कहना है कि उन्हें इस तरह के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे अपनी बात कहते रहेंगे और समाज के लिए जो सही है, उसके लिए आवाज उठाते रहेंगे।
जावेद अख्तर के समर्थन में आए एक्टिविस्ट
पश्चिम बंगाल उर्दू अकैडमी को कोलकाता में 'हिंदी सिनेमा में उर्दू' टॉपिक पर चार दिवसीय प्रोग्राम करने का ऐलान किया था। 31 अगस्त से शुरू होने वाले इस प्रोग्राम में जावेद अख्तर को निमंत्रण दिया गया था। जमीयत उलेमा ए हिंद ने इस कार्यक्रम में जावेद अख्तर की मौजूदगी पर आपत्ति जताई थी। जमीयत नेताओं ने उन्हें मुसलमानों का विरोध करने वाला शैतान और काफिर बताया था। विवाद शुरू होते ही उर्दू अकैडमी ने बिना कारण बताए समारोह को कैंसल कर दिया। इसके बाद से अचानक जावेद अख्तर सुर्खियों में आ गए। एक्टिविस्ट शबनम हाशमी और कई राइटर उनके समर्थन में आ गए। कोलकाता के सीपीएम नेताओं ने इसे कट्टरपंथियों के दबाव में लिया गया फैसला बताते हुए टीएमसी सरकार की तीखी आलोचना की।
पहले भी कई बार मिल चुकी है धमकी
विवाद बढ़ने के बाद अब खुद जावेद अख्तर ने प्रतिक्रिया दी है। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे लोग हैं, जो जहर उगलते हैं और वे दोनों तरफ मौजूद हैं। उन्हें लगातार हिंदू और मुस्लिम दोनों कट्टरपंथियों से नफरत मिलती है। कुछ लोग उन्हें 'जिहादी' कहते हैं और पाकिस्तान जाने को कहते हैं। कुछ कहते हैं कि वे 'काफिर' हैं और 100 फीसदी नरक में जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 सालों में मुंबई पुलिस ने उन्हें कम से कम चार बार सुरक्षा दी है हालांकि उन्होंने कभी सिक्युरिटी नहीं मांगी। चार में से तीन बार मुस्लिम संगठनों या लोगों से खतरा था और एक बार दूसरी तरफ से। जमीयत उलेमा ए हिंद की आपत्ति पर जावेद अख्तर का कहना है कि उन्हें इस तरह के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे अपनी बात कहते रहेंगे और समाज के लिए जो सही है, उसके लिए आवाज उठाते रहेंगे।
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