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Yusuf Pathan: कहां हैं सांसद... मुर्शिदाबाद हिंसा के बीच यूसुफ पठान को लेकर क्या TMC में सबकुछ ठीक नहीं?

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद बहरमपुर के तृणमूल कांग्रेस सांसद यूसुफ पठान विवादों में हैं। विपक्ष, स्थानीय लोग और टीएमसी के कुछ सदस्य उनकी गैरमौजूदगी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि जिले में अशांति के समय उन्हें यहां होना चाहिए था। हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई है और 270 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं। वहीं यूसुफ पठान ने हिंसा के समय चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट करके लोगों के गुस्से को बढ़ा दिया है। इसे पूरे मामले में बीजेपी जहां सवाल उठा रही है, वहीं टीएमसी के कुछ नेता सीधे पठान के विरोध में उतर आए हैं। टीएमसी नेताओं में गुस्से का आलम यह है कि एक विधायक ने पठान को अगले चुनाव में पार्टी से टिकट न देने की गुजारिश की है। टीएमसी के नेता-कार्यकर्ता क्यों नाराज?दरअसल यूसुफ पठान की गैरमौजूदगी से तृणमूल कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता नाराज हैं। सत्तारूढ़ पार्टी ने दंगा प्रभावित इलाकों में कई शांति बैठकें की हैं। इन बैठकों में जिले के दो अन्य सांसद- मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान और जंगीपुर के सांसद खलीलुर्रहमान और स्थानीय पार्टी के विधायक शामिल हुए। अबू ताहिर ने कहा कि वह (यूसुफ पठान) बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं। उन्होंने अब तक दूर रहने का फैसला किया। लेकिन इससे लोगों को गलत संदेश जाता है। हमारे सांसद, विधायक और यहां तक कि बूथ कार्यकर्ता भी लोगों तक पहुंच रहे हैं। टीएमसी विधायक का यूसुफ पठान पर हमलाअबू ताहिर ने यह भी कहा कि शमशेरगंज में एक शांति बैठक थी। मैं वहां पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर तक गया। सांसद खलीलुर्रहमान और कई टीएमसी विधायक भी वहां मौजूद थे। लेकिन वह अनुपस्थित थे। कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा इलाका नहीं है और ये मेरे लोग नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं जाऊंगा। भरतपुर के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने पठान पर हमला करते हुए कहा कि वह एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं, जो गुजरात में रहते हैं। उन्होंने लोगों के वोटों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा चुनाव में हराया। यह सज्जन अब मतदाताओं के साथ खेल खेल रहे हैं। वह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। 'यूसुफ पठान को अगली बार टिकट न दें पार्टी'विधायक हुमायूं कबीर ने यह भी कहा कि यूसुफ पठान को सांसद बने हुए लगभग एक साल हो गया है। अगर वह अपना व्यवहार नहीं बदलते हैं और लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते हैं, तो मैं पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी शिकायत करूंगा। मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा कि अगली बार उन्हें पार्टी का टिकट न मिले। वह ममता बनर्जी की विकास पहलों का हिस्सा नहीं हैं और वह इस संकट के समय में लोगों के साथ खड़े नहीं हैं। क्यों विवादों में यूसुफ पठान?दरअसल बहरमपुर, मुर्शिदाबाद जिले की तीन लोकसभा सीटों में से एक है। बाकी दो सीटें जंगीपुर और मुर्शिदाबाद भी तृणमूल कांग्रेस के पास हैं। 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए। ये प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। इन इलाकों में शमशेरगंज, धुलियान और सूती शामिल हैं। ये सभी जंगीपुर संसदीय क्षेत्र में आते हैं। उसी दिन पठान ने इंस्टाग्राम पर चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट कीं। उन्होंने लिखा कि आसान दोपहर अच्छी चाय और शांत वातावरण। बस पल का आनंद ले रहा हूं। उनकी इस पोस्ट से हंगामा मच गया। 42 वर्षीय क्रिकेटर से नेता बने पठान विपक्ष के निशाने पर आ गए। यूसुफ पठान आखिरी बार इलाके में कब दिखे?BJP और अन्य लोगों ने उनकी आलोचना की। लोगों ने कहा कि जब जिले में हिंसा हो रही है और तीन लोगों की जान जा चुकी है, तो उन्हें ऐसी पोस्ट नहीं करनी चाहिए थी। पुलिस ने इस मामले में 270 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पठान को आखिरी बार बहरमपुर में ईद से पहले देखा गया था। ईद 31 मार्च को मनाई गई थी। रमजान के महीने में उन्होंने मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस की ओर से आयोजित कुछ इफ्तार पार्टियों में भाग लिया था। कई लोगों का मानना है कि अगर पठान जिले में होते और युवाओं को शांति का संदेश देते तो इससे शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद मिलती। बीजेपी ने भी साधा निशानाप्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने भी पठान के हिंसाग्रस्त जिले से गायब रहने पर निशाना साधा है। पार्टी के बहरमपुर यूनिट के प्रमुख मोलोय महाजन ने कहा कि लोकसभा चुनाव पठान के लिए आईपीएल इवेंट की तरह था। उन्होंने चुनाव जीता और मैच खत्म हो गया। अब उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में क्यों आना चाहिए? हम जानते थे कि ऐसा होगा। वह यहां रहने का इरादा नहीं रखते थे। जिन लोगों ने उन्हें वोट दिया, उन्हें सवाल पूछना चाहिए और वे उनसे सवाल कर रहे हैं। टीएमसी ने किया बचावहालांकि तृणमूल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर पठान का बचाव किया है। पार्टी का कहना है कि हिंसा प्रभावित इलाके उनके निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा नहीं हैं। टीएमसी के मुर्शिदाबाद जिला अध्यक्ष अपूर्बा सरकार ने कहा कि यह घटना बहरमपुर के बाहर हुई। अगर कहीं कुछ होता है, तो क्या पठान को वहां जाना चाहिए? विपक्ष उनके खिलाफ यह सब फैला रहा है। हम सभी अपने-अपने इलाकों में काम कर रहे हैं। बूथ कार्यकर्ताओं की बैठकें कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे कार्यकर्ता लोगों तक पहुंचें और उन्हें बताएं कि टीएमसी वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ है और हमने संसद में इसके खिलाफ वोट दिया था। अधीर रंजन चौधरी को हराकर जीती थी बहरमपुर सीट2024 के लोकसभा चुनाव में TMC के टिकट पर अपनी चुनावी शुरुआत करते हुए पठान ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के बहरमपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को 85,022 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया था। बहरमपुर शहर के टेक्सटाइल कॉलेज क्रॉसिंग पर टीएमसी कार्यालय में पठान का एक होर्डिंग लगा हुआ है। बहरमपुर शहर के गिरजा क्रॉसिंग पर ऐप-आधारित मोटरसाइकिल सेवा चलाने वाले 26 साल के आर्य सेन गुप्ता कहते हैं कि अधीर चौधरी की एक अलग छवि थी और वे लंबे समय से सांसद थे। लेकिन यूसुफ पठान को युवाओं ने पसंद किया और वे जीत गए। यह बेहतर होगा यदि सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों के साथ रहें। लेकिन पठान को यहां बहुत कम देखा जाता है।
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