Green Card For Workers : अमेरिका में जॉब कर रहे विदेशी वर्कर्स को स्थायी रूप से बसने के लिए सरकार ग्रीन कार्ड देती है। इस कार्ड को पाने का मतलब है कि वर्कर्स जहां चाहें, वहां रह सकते हैं और जॉब कर सकते हैं। ठीक इसी तरह से ग्रीन कार्ड के जरिए अमेरिकी नागरिकता का रास्ता भी खुल जाता है। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार अब रोजगार या कहें जॉब के आधार पर मिलने वाले ग्रीन कार्ड को लेकर नियमों को कड़ा करना चाहती है, जिससे भारतीय वर्कर्स भी प्रभावित हो सकते हैं।
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फॉर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ( DHS) एक ऐसा नियम लाने की तैयारी कर रहा है, जिससे हाई स्किल वाले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार के आधार पर मिलने वाले ग्रीन कार्ड के लिए क्वालिफाई होने की शर्तें बदल सकती हैं। अभी नियम प्रस्तावित है, जिसके जनवरी 2026 तक पब्लिश होने की उम्मीद है। प्रस्तावित नियम असाधारण क्षमता वाले विदेशी वर्कर्स, बेहतरीन क्वालिफिकेशन वाले प्रोफेसरों और रिसर्चर्स के लिए ग्रीन कार्ड की शर्तों में बदलाव कर सकता है।
सरकार क्या बदलना चाहती है?
DHS के सारांश के मुताबिक, प्रस्तावित नियम असाधारण क्षमता वाले वर्कर्स और बेहतरीन क्वालिफिकेशन वाले प्रोफेसरों और रिसर्चर्स को लेकर बने प्रावधानों को अपडेट करेगा। उनके लिए बनाए गए प्रावधानों को आधुनिक बनाएगा। साथ ही यह फर्स्ट प्रेफरेंस क्लासिफिकेशन, नेशनल इंटरेस्ट वेवर क्लासिफिकेशन (राष्ट्रीय हित छूट वर्गीकरण) ( NIW) और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉक्टर्स के लिए सबूत दिखाने की शर्तों को स्पष्ट करेगा।
इसका मतलब है कि सरकार उन एलिजिबिलिटी और डॉक्यूमेंटेशन स्टैंडर्ड को फिर से परिभाषित करने की योजना बना रही है, जिन्हें रोजगार आधारित परमानेंट रेजिडेंसी के लिए विदेशी वर्कर्स को पूरा करना होगा। आसान भाषा में कहें तो पहले जिस तरह से कुछ खास कैटेगरी के वर्कर्स को आसानी से ग्रीन कार्ड मिल जाता था, अब उन्हें नए नियमों के बाद इसे पाने के लिए ज्यादा दस्तावेजों और सबूतों को दिखाना होगा।
किन वर्कर्स पर नए नियम का असर होगा?
USCIS के मुताबिक, अमेरिका में साइंस, एजुकेशन, बिजनेस या एथलेटिक्स जैसी फील्ड में असाधारण क्षमता रखने वाले लोगों को देश में जॉब के लिए O-1A वीजा दिया जाता है। इस वीजा की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए किसी कंपनी से जॉब स्पांसरशिप की भी जरूरत नहीं होती है। ये वीजा पाने वाले लोग आसानी से ग्रीन कार्ड भी पा सकते हैं, वो भी बिना लंबा इंतजार किए बगैर।
इसी तरह से अमेरिका के हित में काम करने आने वाले लोगों को नेशनल इंटरेस्ट वेवर (NIW) के तहत देश में आने की इजाजत होती है। इन लोगों को सरकार आसानी से ग्रीन कार्ड भी देती है। इन दोनों स्कीम का सबसे ज्यादा फायदा प्रोफेसर्स, टीचर्स, रिसर्चर्स, बिजनेसमैन, खिलाड़ी, वैज्ञानिक जैसे लोगों को मिलता है।
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फॉर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ( DHS) एक ऐसा नियम लाने की तैयारी कर रहा है, जिससे हाई स्किल वाले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार के आधार पर मिलने वाले ग्रीन कार्ड के लिए क्वालिफाई होने की शर्तें बदल सकती हैं। अभी नियम प्रस्तावित है, जिसके जनवरी 2026 तक पब्लिश होने की उम्मीद है। प्रस्तावित नियम असाधारण क्षमता वाले विदेशी वर्कर्स, बेहतरीन क्वालिफिकेशन वाले प्रोफेसरों और रिसर्चर्स के लिए ग्रीन कार्ड की शर्तों में बदलाव कर सकता है।
सरकार क्या बदलना चाहती है?
DHS के सारांश के मुताबिक, प्रस्तावित नियम असाधारण क्षमता वाले वर्कर्स और बेहतरीन क्वालिफिकेशन वाले प्रोफेसरों और रिसर्चर्स को लेकर बने प्रावधानों को अपडेट करेगा। उनके लिए बनाए गए प्रावधानों को आधुनिक बनाएगा। साथ ही यह फर्स्ट प्रेफरेंस क्लासिफिकेशन, नेशनल इंटरेस्ट वेवर क्लासिफिकेशन (राष्ट्रीय हित छूट वर्गीकरण) ( NIW) और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉक्टर्स के लिए सबूत दिखाने की शर्तों को स्पष्ट करेगा।
इसका मतलब है कि सरकार उन एलिजिबिलिटी और डॉक्यूमेंटेशन स्टैंडर्ड को फिर से परिभाषित करने की योजना बना रही है, जिन्हें रोजगार आधारित परमानेंट रेजिडेंसी के लिए विदेशी वर्कर्स को पूरा करना होगा। आसान भाषा में कहें तो पहले जिस तरह से कुछ खास कैटेगरी के वर्कर्स को आसानी से ग्रीन कार्ड मिल जाता था, अब उन्हें नए नियमों के बाद इसे पाने के लिए ज्यादा दस्तावेजों और सबूतों को दिखाना होगा।
किन वर्कर्स पर नए नियम का असर होगा?
USCIS के मुताबिक, अमेरिका में साइंस, एजुकेशन, बिजनेस या एथलेटिक्स जैसी फील्ड में असाधारण क्षमता रखने वाले लोगों को देश में जॉब के लिए O-1A वीजा दिया जाता है। इस वीजा की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए किसी कंपनी से जॉब स्पांसरशिप की भी जरूरत नहीं होती है। ये वीजा पाने वाले लोग आसानी से ग्रीन कार्ड भी पा सकते हैं, वो भी बिना लंबा इंतजार किए बगैर।
इसी तरह से अमेरिका के हित में काम करने आने वाले लोगों को नेशनल इंटरेस्ट वेवर (NIW) के तहत देश में आने की इजाजत होती है। इन लोगों को सरकार आसानी से ग्रीन कार्ड भी देती है। इन दोनों स्कीम का सबसे ज्यादा फायदा प्रोफेसर्स, टीचर्स, रिसर्चर्स, बिजनेसमैन, खिलाड़ी, वैज्ञानिक जैसे लोगों को मिलता है।
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