AI not taking jobs : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के आने के बाद से नौकरियों पर संकट की चर्चा हो रही है। layoffs.fyi की एक रिपोर्ट की मानें तो तीन साल में 5 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। बीते कुछ महीनों में 169 टेक कंपनियों ने 80 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। इसका जिम्मेदार AI को माना जा रहा है। लेकिन हाल ही में सामने एक स्टडी में पता चला है कि नौकरियां जाने की वजह सिर्फ AI नहीं है।
दरअसल, एआई की वजह से दुनियाभर में बदलाव हो रहे हैं। एआई लगभग हर फील्ड पर असर डाल रहा है। जॉब मार्केट में बने रहना है तो एआई स्किल सीखना जरूरी हो गया है। अगर आप भी एआई के दौर में नए बदलावों के साथ बने रहना चाहते हैं तो NBT Upskill's AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप ज्वॉइन कर सकते हैं। क्योंकि कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि टेक कंपनियों इंसानों से ज्यादा एआई में विश्वास दिखा रही हैं। खुलकर एआई में इन्वेस्ट कर रही हैं।
AI नहीं छीन रहा आपकी नौकरी: रिपोर्टकंपनियों के ऑटोमेशन पर जाने को लाखों लोगों की नौकरियों पर खतरा माना जा रहा है। लेकिन येल यूनिवर्सिटी की एक स्टडी इसका तीखा खंडन करती है। स्टडी से पता चला है कि एआई को लेकर नौकरियों के खतरे की बात सही नहीं है। एआई नौकरियां नहीं छीन रहा। रिपोर्ट में इसे फैक्ट से ज्यादा काल्पनिक माना गया है।
AI की वजह से नहीं है बेरोजगारीहालांकि रिपोर्ट यह बिल्कुल नहीं कहती है कि एआई की वजह से बदलाव नहीं हो रहे। एआई चीजें बदल रहा है, एआई स्किल की डिमांड बढ़ी है, लेकिन ऑटोमेशन की वजह से नौकरियों पर संकट नहीं है। येल की स्टडी में नवंबर 2022 में OpenAI द्वारा ChatGPT लॉन्च किए जाने के बाद से 33 महीनों के अमेरिकी श्रम आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
स्टडी के अनुसार, बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को AI से जोड़कर देखना फैक्ट के हिसाब से सही नहीं पाई गई। रिसर्च टीम ने AI के अलग-अलग हाई, मीडियम और लो लेवल पर काम करने वालों पर स्टडी की जिनके वर्कफ्लो में बहुत कम या कोई बदलाव नजर नहीं आया।
45 साल पुराने खतरे के सामने कुछ भी नहींरिसर्च टीम ने एआई के असर को समझने के लिए 45 साल पहले टेक्निकल बूम या तकनीकी क्रांति से भी जोड़कर देखा। आज से 45 साल पहले यानी 1980 के दशक में जब पर्सनल कंप्यूटर का उदय हुआ तब इसे नौकरियों पर बड़ा खतरा माना गया है। इसके बाद 1990 के दशक में इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल पर भी इसी तरह का डर जताया गया, लेकिन जो हुआ आज सभी के सामने है। इनकी वजह से नौकरियां कम होने के बजाय बढ़ीं।
वहीं एआई के आने के बाद से अभी तक हुए बदलाव के मुकाबले कंप्यूटर और इंटरनेट से ज्यादा परिवर्तन हुए थे। यानी इसमें कोई शक नहीं कि एआई परिवर्तनकारी है, लेकिन कंप्यूटर या वेब की तुलना में यह उतना असर नहीं डाला।
तो कौन छीन रहा है नौकरियां?यह भी सच है कि बीते कुछ सालों में लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी हैं, पहले के मुकाबले भर्तियां कम हुई हैं, तो इनके पीछे कौन है? येल यूनिवर्सिटी ने इसका जवाब ढूंढने की कोशिश और जो पता चला वह कुछ लोगों को हैरान कर सकता है। स्टडी से पता चला इसकी बड़ी वजह आर्थिक बदलाव है, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2022 में अपनी शून्य-ब्याज दर नीति को खत्म करने का फैसला। इस कदम ने हाई रिस्क वाले स्टार्टअप्स को आसानी से मिल जाने वाली आर्थिक सहायता यानी मनी को कम कर दिया।
रिपोर्ट का मानना है कि दिग्गज कंपनियां एआई की आड़ लेकर अच्छी सैलरी पाने वाले लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं। इसके अलावा जो कंपनियां वाकई में एआई पर शिफ्ट हो रही हैं, वो जल्दबाजी में छंटनी कर रही हैं, क्योंकि यह अभी भी शुरुआती दौर में है। अभी एआई से घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन एआई स्किल सीखने की जरूरत है। क्योंकि इसी से नौकरी के नए दरवाजे खुलेंगे।
दरअसल, एआई की वजह से दुनियाभर में बदलाव हो रहे हैं। एआई लगभग हर फील्ड पर असर डाल रहा है। जॉब मार्केट में बने रहना है तो एआई स्किल सीखना जरूरी हो गया है। अगर आप भी एआई के दौर में नए बदलावों के साथ बने रहना चाहते हैं तो NBT Upskill's AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप ज्वॉइन कर सकते हैं। क्योंकि कई रिपोर्ट्स कहती हैं कि टेक कंपनियों इंसानों से ज्यादा एआई में विश्वास दिखा रही हैं। खुलकर एआई में इन्वेस्ट कर रही हैं।
AI नहीं छीन रहा आपकी नौकरी: रिपोर्टकंपनियों के ऑटोमेशन पर जाने को लाखों लोगों की नौकरियों पर खतरा माना जा रहा है। लेकिन येल यूनिवर्सिटी की एक स्टडी इसका तीखा खंडन करती है। स्टडी से पता चला है कि एआई को लेकर नौकरियों के खतरे की बात सही नहीं है। एआई नौकरियां नहीं छीन रहा। रिपोर्ट में इसे फैक्ट से ज्यादा काल्पनिक माना गया है।
AI की वजह से नहीं है बेरोजगारीहालांकि रिपोर्ट यह बिल्कुल नहीं कहती है कि एआई की वजह से बदलाव नहीं हो रहे। एआई चीजें बदल रहा है, एआई स्किल की डिमांड बढ़ी है, लेकिन ऑटोमेशन की वजह से नौकरियों पर संकट नहीं है। येल की स्टडी में नवंबर 2022 में OpenAI द्वारा ChatGPT लॉन्च किए जाने के बाद से 33 महीनों के अमेरिकी श्रम आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
स्टडी के अनुसार, बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को AI से जोड़कर देखना फैक्ट के हिसाब से सही नहीं पाई गई। रिसर्च टीम ने AI के अलग-अलग हाई, मीडियम और लो लेवल पर काम करने वालों पर स्टडी की जिनके वर्कफ्लो में बहुत कम या कोई बदलाव नजर नहीं आया।
45 साल पुराने खतरे के सामने कुछ भी नहींरिसर्च टीम ने एआई के असर को समझने के लिए 45 साल पहले टेक्निकल बूम या तकनीकी क्रांति से भी जोड़कर देखा। आज से 45 साल पहले यानी 1980 के दशक में जब पर्सनल कंप्यूटर का उदय हुआ तब इसे नौकरियों पर बड़ा खतरा माना गया है। इसके बाद 1990 के दशक में इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल पर भी इसी तरह का डर जताया गया, लेकिन जो हुआ आज सभी के सामने है। इनकी वजह से नौकरियां कम होने के बजाय बढ़ीं।
वहीं एआई के आने के बाद से अभी तक हुए बदलाव के मुकाबले कंप्यूटर और इंटरनेट से ज्यादा परिवर्तन हुए थे। यानी इसमें कोई शक नहीं कि एआई परिवर्तनकारी है, लेकिन कंप्यूटर या वेब की तुलना में यह उतना असर नहीं डाला।
तो कौन छीन रहा है नौकरियां?यह भी सच है कि बीते कुछ सालों में लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी हैं, पहले के मुकाबले भर्तियां कम हुई हैं, तो इनके पीछे कौन है? येल यूनिवर्सिटी ने इसका जवाब ढूंढने की कोशिश और जो पता चला वह कुछ लोगों को हैरान कर सकता है। स्टडी से पता चला इसकी बड़ी वजह आर्थिक बदलाव है, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2022 में अपनी शून्य-ब्याज दर नीति को खत्म करने का फैसला। इस कदम ने हाई रिस्क वाले स्टार्टअप्स को आसानी से मिल जाने वाली आर्थिक सहायता यानी मनी को कम कर दिया।
रिपोर्ट का मानना है कि दिग्गज कंपनियां एआई की आड़ लेकर अच्छी सैलरी पाने वाले लोगों को नौकरी से निकाल रही हैं। इसके अलावा जो कंपनियां वाकई में एआई पर शिफ्ट हो रही हैं, वो जल्दबाजी में छंटनी कर रही हैं, क्योंकि यह अभी भी शुरुआती दौर में है। अभी एआई से घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन एआई स्किल सीखने की जरूरत है। क्योंकि इसी से नौकरी के नए दरवाजे खुलेंगे।
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