कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक ओर जहां विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अद्भुत संभावनाओं के द्वार खोल रही है, वहीं दूसरी ओर यह तेजी से एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई है जहां से वापसी मुश्किल हो सकती है।
हाल ही में AI के गॉडफादर कहे जाने वाले दिग्गज वैज्ञानिक ज्योफ्री हिंटन (Geoffrey Hinton) सहित कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों ने AI के खतरनाक पहलुओं को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। इनका कहना है कि यदि अब भी सरकारें, उद्योग जगत और समाज इस तकनीक पर नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तो आने वाले वर्षों में इसका परिणाम ‘सभ्यता के अस्तित्व’ पर संकट तक पहुंच सकता है।
AI की असीम शक्ति, लेकिन अनियंत्रित दिशा
AI आज सिर्फ तस्वीरें बनाने या चैटबॉट से बात करने तक सीमित नहीं है। यह अब मानव स्तर की निर्णय क्षमता, रचनात्मकता और भाषा के प्रयोग में प्रवेश कर चुका है।
Geoffrey Hinton ने एक साक्षात्कार में कहा,
“हमें नहीं पता कि ये सिस्टम कैसे सोचते हैं, लेकिन वे हमसे तेज़ी से सीख रहे हैं। यही सबसे बड़ा खतरा है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि AI अब इतनी तेजी से विकसित हो रहा है कि बहुत जल्द यह मानव नियंत्रण से बाहर हो सकता है। Deepfake वीडियो, फेक न्यूज, हथियारों में AI का इस्तेमाल, और स्वायत्त निर्णय लेने वाली मशीनें दुनिया की स्थिरता को खतरे में डाल सकती हैं।
कौन-कौन दे रहा है चेतावनी?
ज्योफ्री हिंटन (AI के जनक)
एलन मस्क (टेस्ला/एक्स के CEO)
युवाल नोआ हरारी (इतिहासकार और लेखक)
सैम ऑल्टमैन (OpenAI के CEO – GPT बनाने वाली संस्था)
इन सभी ने संयुक्त रूप से AI को एक “एक्सिस्टेंशियल थ्रेट” यानी अस्तित्व के लिए खतरा बताया है।
किस तरह की समस्याओं की आशंका?
Deepfake और फेक न्यूज के ज़रिए चुनावों में हस्तक्षेप
AI-संचालित हथियारों का सैन्य उपयोग
स्वतंत्र निर्णय लेने वाले रोबोट्स
नौकरियों पर भारी असर और आर्थिक असमानता
डेटा गोपनीयता और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों ने सुझाया है कि तुरंत प्रभाव से निम्न कदम उठाए जाने चाहिए:
AI डेवलपमेंट पर वैश्विक नियंत्रण तंत्र बनाना
नैतिकता आधारित नीति निर्माण
ट्रांसपेरेंसी और जवाबदेही के सख्त नियम
मानव-अनुकूल (Human-Aligned) AI का विकास
सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा का विस्तार
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