दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जंगपुरा में बारापुला नाले के किनारे स्थित झुग्गी बस्ती मद्रासी कैंप में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाया गया है। यह कार्रवाई नाले की सफाई और जीर्णोद्धार के लिए क्षेत्र को खाली करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद की जा रही है।
अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस की भारी तैनाती के बीच शुरू हुए इस अभियान का लक्ष्य 300 से अधिक झुग्गियों को हटाना है। इलाके के निवासियों ने अपर्याप्त पुनर्वास के बारे में चिंता जताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जबकि कुछ परिवारों को नरेला में वैकल्पिक आवास की पेशकश की गई है।
साइट पर स्थित 370 झुग्गियों में से, 215 परिवारों को प्रधानमंत्री की 'जहां झुग्गी वहां मकान' पुनर्वास योजना के तहत पुनर्वास के लिए पात्र के रूप में पहचाना गया है और उन्हें नरेला में फ्लैट की पेशकश की गई है।
शुरुआत में, पुनर्वास योजना में केवल 189 परिवारों को शामिल किया गया था। हालांकि, एक संशोधित सूची में 26 और परिवारों को जोड़ा गया।
अपना घर टूटता देख एक निवासी ने कहा, "अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा है। 'जहां झुग्गी वहां मकान' एक झूठ है। वे घर आवंटित करने के बारे में झूठ बोलते हैं। वे जो कुछ भी कहते हैं, वह सब झूठ है। अभी तो मुझमें इस बारे में बोलने की हिम्मत भी नहीं है।"
मद्रासी कैंप, जिसे 1968 और 1970 के बीच स्थापित किया गया था। इसे 16 किलोमीटर लंबे बारापुला नाले से जुड़ी एक जीर्णोद्धार परियोजना के लिए साफ किया जा रहा है। यह एक मुगलकालीन संरचना है जिसके लगभग 400 साल पुराने होने का अनुमान है।
तोड़फोड़ अभियान दिल्ली उच्च न्यायालय के 9 मई के आदेश का परिणाम है, जिसमें अधिकारियों को नाले की सफाई और जीर्णोद्धार की सुविधा के लिए अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था।
न्यायालय का यह आदेश 2024 के मॉनसून के दौरान दायर एक जनहित याचिका के बाद आया है। न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) समेत कई नागरिक एजेंसियों को भविष्य में बाढ़ को रोकने के लिए कार्रवाई करने और नाले को बहाल करने का निर्देश दिया था।
1 सितंबर, 2024 को, एमसीडी ने तोड़फोड़ का प्रारंभिक चरण पूरा किया, जिसमें कई घरों को तोड़ दिया गया और इलाके से सभी स्ट्रीट वेंडरों को बेदखल कर दिया गया।
कई परिवारों को अभी तक फ्लैट आवंटन नहीं मिला है, जिससे निवासियों में असंतोष और बढ़ गया है। पिछले 8 महीनों में, मद्रासी कैंप राजनीतिक टकराव और प्रशासनिक संघर्ष का केंद्र बिंदु रहा है। विभिन्न नागरिक एजेंसियों और राजनीतिक दलों के बीच तोड़फोड़ की प्रक्रिया और जिम्मेदारी को लेकर असहमति रही है।
जब सितंबर 2024 में पहली बार तोड़फोड़ की गई, तो दिल्ली में उस समय सत्ता में रही आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर बेदखली की साजिश रचने का आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी के नेता भी इस कदम के विरोध में निवासियों के एक वर्ग में शामिल हो गए।
इस साल फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक लड़ाई तेज हो गई जब दोनों दलों के नेताओं ने इलाके का दौरा किया और प्रभावित परिवारों को समर्थन देने का वादा किया।
पीएम मोदी के वादे क्या हुआ?गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली विधानसभ चुनाओं के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने चुनावी भाषण के दौरान कहा था कि मैं आपसे कहता हूं कि दिल्ली में एक भी झुग्गी-झोपड़ी नहीं तोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा था कि यह मोदी की गारंटी है कि एक भी झुग्गी-झोपड़ी को नहीं तोड़ा जाएगा। पीएम मोदी के इस वादे के बावजूद दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ा जा रहा है।
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