कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बी आर आंबेडकर के संविधान से छुटकारा पाना चाहते हैं और इसकी जगह मनुस्मृति आधारित संविधान लाना चाहते हैं।
विपक्षी दल ने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जाति जनगणना को देश को बांटने की कोशिश बताया है।
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने दावा किया कि बीजेपी और उसके वैचारिक संरक्षक आरएसएस को संविधान से कई शिकायतें हैं और दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण उनमें से प्रमुख है।
रमेश का यह बयान मोदी द्वारा कांग्रेस पर जातियों और समुदायों को बांटने का खतरनाक खेल खेलने का आरोप लगाने के बाद आया है। रमेश ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस को संविधान और आरक्षण से कई शिकायतें हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में यह बात दर्ज है।
कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में दावा किया, ‘‘26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाये जाने के चार दिन के भीतर ही आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने संविधान की कड़ी आलोचना की थी।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘उस साल 30 नवंबर के अपने अंक में इस पत्रिका ने लिखा था कि ‘भारत के नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है। आज भी मनुस्मृति में बताए गए उनके कानून दुनिया भर में प्रशंसा के पात्र हैं और सहज रूप से उनका पालन और अनुपालन होता है। लेकिन हमारे संवैधानिक पंडितों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘बीजेपी और आरएसएस बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान से छुटकारा पाना चाहते हैं और इसकी जगह मनुस्मृति की विचारधारा पर आधारित संविधान लाना चाहते हैं।’’
भाजपा और RSS को भारत के संविधान और मुख्य रूप से उसमें दलितों, आदिवासियों एवं OBC के लिए आरक्षण को लेकर कई शिकायतें है। इसका ऐतिहासिक रूप से रिकार्ड उपलब्ध है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाए जाने के चार दिनों के भीतर, RSS के मुखपत्र, ऑर्गनाइज़र ने संविधान की तीखी…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 8, 2024
रमेश ने कहा, ‘‘यही कारण है कि महाराष्ट्र में उनके नेता फडणवीस ने संविधान को ‘शहरी नक्सलियों’ से जोड़कर इसकी आलोचना की और ‘नॉन-बायलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने जाति आधारित जनगणना को देश को विभाजित करने की कोशिश बताया जबकि यह बाबासाहेब के संविधान को पूरी तरह साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।’’
रमेश ने ‘एक्स’ पर ‘बीजेपी हटाओ, संविधान बचाओ’ और ‘आरक्षण विरोधी बीजेपी’ हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए अपने पोस्ट में कहा कि जाति जनगणना के बाद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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