पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही उन्होंने एक बड़ा आर्थिक फैसला लेते हुए विदेशों से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाने का ऐलान किया है। यह फैसला अमेरिका के इतिहास में बीते 100 वर्षों में सबसे बड़ा टैरिफ बताया जा रहा है, जिससे न केवल अमेरिकी बाजार बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक असर पड़ने की आशंका है।
टैरिफ की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में हड़कंप मच गया है। दो दिनों में ही बाजार में 10% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे निवेशकों में घबराहट है। बाजार की हालत बिगड़ती देख अमेरिकी सरकार ने पहले इस निर्णय को 90 दिनों के लिए टाल दिया था, लेकिन अब 9 अगस्त से इसे लागू करने की पुष्टि कर दी गई है।
अमेरिकी नागरिकों पर असरविशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफ के चलते अमेरिका के हर नागरिक को सालाना लगभग ₹2,00,000 ($2,400) का नुकसान झेलना पड़ सकता है, क्योंकि वस्तुओं की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी होने की संभावना है।
वैश्विक मंदी की आशंकाअमेरिकी एक्सपोर्ट इंडस्ट्री और कई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों ने चेतावनी दी है कि इस टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा और एक बार फिर दुनियाभर में आर्थिक मंदी का खतरा मंडराने लगा है।
आलोचना और समर्थनजहां एक ओर ट्रंप प्रशासन इसे “अमेरिका फर्स्ट” नीति का हिस्सा बताकर देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में कदम बता रहा है, वहीं आलोचकों का मानना है कि इससे घरेलू उत्पादन और रोज़गार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
अर्थशास्त्रियों और व्यापार विशेषज्ञों की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले महीनों में इसका अमेरिका और वैश्विक बाज़ारों पर क्या असर होता है।
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