भारत और पाकिस्तान के बीच इसी साल मई के महीने में जो तीन दिनों तक तनाव की आग सुलगी, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चौंकाने वाला बयान दिया है। ट्रंप ने दावा किया है कि अगर अमेरिका ने दखल न दिया होता, तो यह संघर्ष एक विनाशकारी युद्ध में तब्दील हो सकता था, और शायद मामला परमाणु हथियारों के इस्तेमाल तक पहुंच जाता।
अपने खास अंदाज़ में ट्रंप ने कहा कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने दो परमाणु ताकतों के बीच बढ़ते तनाव को कूटनीति और व्यापारिक दबाव के जरिये संभालने का काम किया। यह बयान एक इंटरव्यू के दौरान आया, जिसमें ट्रंप ने अमेरिका की वैश्विक भूमिका को दोहराया।
"हमने रोकी कई लड़ाइयां, भारत-पाक संघर्ष उनमें से एक था" – ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "हमने कई ऐसी लड़ाइयां रोकी हैं, जिनसे पूरी दुनिया को नुकसान पहुंच सकता था। भारत और पाकिस्तान के बीच की लड़ाई उन्हीं में से एक थी।" उन्होंने आगे कहा, "हमने व्यापार को माध्यम बनाकर दोनों देशों पर दबाव बनाया और कहा कि अगर लड़ाई करोगे, तो हम तुममें से किसी के साथ भी व्यापार नहीं करेंगे।" यह बयान निश्चित ही उन लोगों को हैरान कर गया है जो इस संघर्ष को केवल सीमा पर आम झड़प समझ रहे थे।
ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि उस दौरान दोनों देशों में से कोई एक परमाणु हथियार के निर्माण की तैयारी कर रहा था, इसलिए मामला बेहद संवेदनशील था और इसे कूटनीतिक समझदारी से सुलझाना ज़रूरी हो गया था।
भारत ने दिया था कड़ा जवाब, फिर हुई सीजफायर की घोषणा – लेकिन सच कुछ और था
आपको याद होगा कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया था। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई की दरम्यानी रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया। भारत की इस कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमले किए, लेकिन भारतीय सेना ने हर हमले का करारा जवाब दिया।
इस तीन दिन तक चले लगातार संघर्ष के बाद 10 मई को सीजफायर का ऐलान किया गया, जिसकी घोषणा खुद डोनाल्ड ट्रंप ने की थी। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती — भारत सरकार ने साफ कहा कि सीजफायर की पहल पाकिस्तान की तरफ से हुई थी, और ट्रंप की इसमें कोई सीधी भूमिका नहीं थी।
कूटनीति, दबाव और प्रचार – ट्रंप के बयान पर उठे सवाल
ट्रंप के इस दावे से एक बार फिर यह बहस शुरू हो गई है कि अमेरिका वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका में खुद को कितना अहम मानता है। जहां एक ओर ट्रंप खुद को शांति रक्षक के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं भारत ने दो टूक शब्दों में साफ कर दिया कि उनकी सेना ने अपने दम पर स्थिति को नियंत्रण में रखा, और किसी विदेशी दबाव में कोई कदम नहीं उठाया।
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