अमेरिका में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के बीच चल रहा विवाद अब और गंभीर हो गया है। ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड के साथ चल रहे सभी सरकारी अनुबंध खत्म करने के आदेश दिए हैं और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा इंटरव्यू पर भी रोक लगा दी है। इस कदम का सबसे अधिक असर उन भारतीय छात्रों पर पड़ेगा जो अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं या वहां उच्च शिक्षा के लिए जाने की योजना बना रहे हैं।
वीजा इंटरव्यू पर लगी रोक, छात्रों की पढ़ाई पर संकट
मामला काफी जटिल है। अमेरिका की जनरल सर्विसेज़ एडमिनिस्ट्रेशन (GSA) ने सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिया है कि वे हार्वर्ड के साथ अपने सभी अनुबंध समाप्त कर दें। वहीं, ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के दाखिले पर भी रोक लगाई थी, जिसे बोस्टन की एक फेडरल कोर्ट ने फिलहाल अस्थायी रूप से रोक दिया है। इसके बावजूद, वीजा इंटरव्यू पर रोक लगने के कारण नए छात्र हार्वर्ड के लिए वीजा नहीं प्राप्त कर पाएंगे, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है।
डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर हार्वर्ड की आलोचना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों की सही जानकारी साझा करने में असमर्थ है। उन्होंने आरोप लगाया कि हार्वर्ड विदेशी छात्रों से अरबों डॉलर प्राप्त करता है लेकिन सरकार को इस मामले में सहयोग नहीं करता। ट्रंप ने कहा कि उन्हें विदेशी छात्रों के नाम और देश की जानकारी चाहिए, क्योंकि वे फेडरल फंड्स का हिस्सा हैं।
हार्वर्ड में भारतीय छात्रों की संख्या और महत्व
भारतीय छात्रों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ‘ओपन डोर्स 2024’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अब अमेरिका में पढ़ रहे कुल 11 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में लगभग 3.31 लाख भारतीय छात्र हैं, जो कुल विदेशी छात्रों का करीब 30 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हर साल लगभग 500 से 800 भारतीय छात्र दाखिला लेते हैं। वर्तमान में यहां 140 से अधिक देशों के दस हजार से ज्यादा विदेशी छात्र अध्ययनरत हैं। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले से न केवल हार्वर्ड के छात्र प्रभावित होंगे, बल्कि अमेरिका में रहने वाले लाखों विदेशी छात्रों के भविष्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
ट्रंप प्रशासन के इस कदम से भारत सहित कई देशों के छात्रों के लिए अमेरिका में शिक्षा के अवसर सीमित हो सकते हैं, जिससे उच्च शिक्षा की दुनिया में बड़ा झटका लग सकता है।
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