उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार की सुबह एक भयावह हादसा हुआ जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। भीड़ में फैली एक झूठी सूचना ने श्रद्धा से भरे माहौल को दहशत में बदल दिया। मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ अचानक अफरा-तफरी में बदल गई और कुछ ही मिनटों में जानलेवा भगदड़ मच गई। इस त्रासदी में 6 लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि 15 श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है। सावन के पावन महीने में हरिद्वार का माहौल भक्तिमय बना रहता है। रविवार सुबह लगभग 6 बजे, बड़ी संख्या में श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर में दर्शन के लिए जमा हुए थे। भीड़ अपने चरम पर थी। तभी मंदिर के सीढ़ी मार्ग पर एक अफवाह ने आग की तरह फैलना शुरू कर दिया। कहा गया कि बिजली की तार में करंट है और कुछ लोग उसी तार का सहारा लेकर ऊपर चढ़ रहे हैं। इस डर से लोगों ने इधर-उधर भागना शुरू कर दिया और जल्द ही भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
भीड़ का नियंत्रण क्यों टूटा?
घटना स्थल मंदिर के उस रास्ते पर था जो पहले से ही संकरी गलियों और फिसलन भरी सीढ़ियों से भरा हुआ है। बारिश के कारण रास्ते गीले थे और लोगों की भीड़ बेहद ज्यादा थी। जैसे ही करंट की बात फैली, लोगों ने बिना कुछ समझे भागना शुरू कर दिया। एक-दूसरे को धकेलते हुए, कुचलते हुए लोग आगे बढ़ते गए। इस अव्यवस्थित दौड़ ने कई निर्दोषों की जान ले ली। कुछ श्रद्धालु सीढ़ियों से गिर गए, जबकि कई नीचे दब गए।
प्रशासन का स्पष्टीकरण
हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि कुछ श्रद्धालु ऊपर चढ़ने के लिए तारों का सहारा ले रहे थे। तभी बिजली प्रवाहित होने की अफवाह फैली और भगदड़ मच गई। कोतवाली प्रभारी रितेश शाह ने भी भगदड़ की पुष्टि की और कहा कि प्रारंभिक जांच में अत्यधिक भीड़ और अफवाह दोनों को हादसे का कारण माना जा रहा है।
सावन में बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या
रविवार को श्रद्धालुओं की उपस्थिति अन्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक थी। हरिद्वार के मंदिरों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। मानसून के चलते सड़कें गीली और फिसलन भरी थीं। मंदिर परिसर की ओर जाने वाले मार्ग भी संकरे हैं, जिससे किसी भी आपात स्थिति में राहत कार्य में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में अफवाह फैलते ही श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया। लोग अपनी जान बचाने के लिए दिशाहीन होकर भागने लगे। स्थिति कुछ ही पलों में बेकाबू हो गई।
अंतहीन चीख-पुकार और टूटता भरोसा
मंदिर परिसर के बाहर और भीतर हर ओर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग एक-दूसरे को चेतावनी देने लगे लेकिन भगदड़ थमती नजर नहीं आई। चीख-पुकार के बीच, लोग अपनी जान और अपने परिजनों को बचाने के लिए भागते रहे। कई बच्चे, महिलाएं और बुज़ुर्ग भी इस भयावह दौड़ का हिस्सा बन गए। स्थानीय प्रशासन और राहत दल ने तुरंत मोर्चा संभाला और घायलों को निकाला गया। राहत कार्य देर तक चलता रहा।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को लेकर गहरा दुख जताते हुए कहा: “हरिद्वार के मांसा देवी मंदिर मार्ग पर भगदड़ के कारण हुई जनहानि से अत्यंत दुखी हूं। जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। घायल जल्द स्वस्थ हों, यही कामना है। प्रशासन पीड़ितों की हर संभव सहायता कर रहा है।”
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा: “हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग में भगदड़ की दुखद सूचना मिली है। पुलिस और राहत दल तुरंत मौके पर पहुंच गए हैं। मैं स्वयं हालात पर नजर बनाए हुए हूं और प्रशासन के सतत संपर्क में हूं। माता रानी से सभी श्रद्धालुओं की कुशलता की प्रार्थना करता हूं।”
यह हादसा एक बार फिर प्रशासनिक तैयारियों और भीड़ नियंत्रण उपायों की कमी को उजागर करता है। क्या सावन जैसे संवेदनशील समय में मंदिरों में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात नहीं किए जाने चाहिए थे? हर साल लाखों श्रद्धालु इन तीर्थ स्थलों पर पहुंचते हैं, फिर भी सुरक्षा मानकों में ढिलाई क्यों बरती जाती है? इन सवालों का जवाब अब प्रशासन को देना ही होगा।
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