नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने भारत द्वारा भारतीय नौसेना के जहाजों से कई रोहिंग्या शरणार्थियों को समुद्र में फेंके जाने की गंभीर घटना की जांच शुरू कर दी है। यह घटना एकदम अमानवीय और अस्वीकार्य कृत्य के रूप में सामने आई है, जिस पर आयोग ने भारत सरकार से रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रति अमानवीय और जानलेवा व्यवहार से बचने का आग्रह किया है। साथ ही, म्यांमार में इन शरणार्थियों को वापस भेजने के खिलाफ भी चेतावनी दी गई है, क्योंकि वहां के हालात पहले ही बेहद खतरनाक हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयुक्त कार्यालय ने कहा है कि यह घटना पूरी दुनिया के लिए चौंकाने वाली है। आयोग ने भारतीय अधिकारियों से इस घटना का पूरा विवरण और जांच की प्रक्रिया साझा करने की अपील की है। म्यांमार में शरणार्थियों के लिए पहले से ही विकट स्थिति और हिंसा का सामना कर रहे रोहिंग्याओं के लिए यह एक और गंभीर संकट पैदा करता है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और म्यांमार में सुरक्षा संकट
संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक टॉम एंड्रयूज ने इस घटना को लेकर कहा कि यह विचार कि रोहिंग्या शरणार्थियों को समुद्र में फेंका गया, अत्यंत अपमानजनक और गैरकानूनी है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह इस कृत्य को अस्वीकार करें और जो कुछ हुआ उसका पूरा विवरण सामने लाए। उन्होंने यह भी कहा कि म्यांमार में शरणार्थियों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के कारण इनकी जबरन वापसी न केवल असंवेदनशील है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का भी उल्लंघन है।
एंड्रयूज ने जोर देकर कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों की जबरन प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया तत्काल बंद होनी चाहिए, और भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें म्यांमार की ओर न भेजा जाए, जहां उनके जीवन और स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है।
हालिया घटनाएँ और भारतीय अधिकारियों की कार्रवाई
बीते सप्ताह, भारतीय अधिकारियों ने दिल्ली में रह रहे दर्जनों रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिया, जिनमें से कई के पास शरणार्थी पहचान दस्तावेज थे। इन शरणार्थियों को बाद में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ले जाया गया, जहां उन्हें भारतीय नौसेना के जहाज में स्थानांतरित कर दिया गया। बताया जाता है कि इस जहाज में शरणार्थियों को लाइफ जैकेट पहनाकर समुद्र में धकेल दिया गया, जहां उन्हें म्यांमार के एक द्वीप के पास तैरने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि, अधिकांश शरणार्थी किनारे तक पहुंचने में सफल रहे, लेकिन उनकी वर्तमान स्थिति और ठिकाना अज्ञात हैं।
इसके अतिरिक्त, भारतीय अधिकारियों ने असम राज्य के हिरासत केंद्र से लगभग 100 रोहिंग्या शरणार्थियों को निकालकर बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाके में स्थानांतरित कर दिया है, हालांकि इनका वर्तमान ठिकाना भी अज्ञात है।
संयुक्त राष्ट्र की अपील और भारत सरकार से अपेक्षाएँ
मार्च महीने में, विशेष प्रतिवेदक टॉम एंड्रयूज ने भारत सरकार को एक पत्र भेजा था जिसमें रोहिंग्या शरणार्थियों की अवैध और मनमानी हिरासत को लेकर चिंता जताई गई थी। उन्होंने भारत से इस प्रकार की हिरासतों को समाप्त करने और शरणार्थियों को उचित सुरक्षा प्रदान करने की अपील की थी।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत सरकार को तत्काल इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए और जो लोग इन अमानवीय कृत्यों के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराना चाहिए।
You may also like
Aaj Ka Ank Jyotish 17 May 2025 : मूलांक 9 वालों को व्यापार के मामले में धन लाभ के मिलेंगे कई अवसर, जन्मतिथि से जानें आज का भविष्यफल
शनिवार को इन 4 राशियों को हर संकट से मिलेगा छुटकारा, चमकने वाले हैं सितारे होगा उदय
BEL और अंबुजा सीमेंट्स को ब्रोकरेज जेफरीज के पोर्टफोलियो में मिली जगह, इन 2 शेयरों को कहा गया 'गुडबाय'
न जॉब की टेंशन, न सिक्योरिटी की चिंता...2025 में विदेश में पढ़ने के लिए ये हैं 5 सबसे अच्छे देश
टेस्ट में क्रिस गेल पर भारी अपने पुज्जी भाई! चेतेश्वर पुजारा के आंकड़े देखकर होश उड़ जाएंगे