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ट्रंप ने BRICS देशों पर साधा निशाना, एक्स्ट्रा टैरिफ की दी धमकी – क्या भारत भी आएगा निशाने पर?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी कड़वी मंशा जाहिर कर दी है। इस बार उनका निशाना बने हैं BRICS देशों के सदस्य। ट्रंप ने खुलकर कहा है कि जो भी देश अमेरिका विरोधी नीतियों का समर्थन करेगा, उस पर अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया जाएगा। उनके इस बयान ने ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए चिंता भी बढ़ा दी है।

यह धमकी ऐसे वक्त पर आई है, जब ब्राजील में आयोजित BRICS 2025 शिखर सम्मेलन में ईरान पर अमेरिका और इज़राइल के हमलों की कड़ी आलोचना की गई। सम्मेलन में शामिल 10 सदस्य देशों – ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, रूस, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त अरब अमीरात – ने मिलकर इन हमलों को अवैध करार दिया और इसकी निंदा की।


मोदी ने उठाई आतंकवाद पर दोहरे रवैये की बात

इस सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी स्पष्ट भूमिका निभाई। उन्होंने विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण में हो रहे हमलों और आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरे मानकों की आलोचना की। मोदी ने कहा कि जब बात आतंकवाद की आती है, तो दुनिया को एक जैसी संवेदनशीलता और कार्रवाई दिखानी चाहिए, न कि अपने फायदे के हिसाब से रवैया बदलना चाहिए।

ब्रिक्स की संयुक्त घोषणा में पहलगाम हमले का भी जिक्र


BRICS की संयुक्त घोषणा में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई। साथ ही आतंकियों की सीमा पार आवाजाही, फंडिंग, और सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने की जरूरत पर भी जोर दिया गया। घोषणापत्र में साफ तौर पर कहा गया कि आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए और दोहरे मानदंडों को सिरे से खारिज करना चाहिए।

ट्रंप की धमकी और BRICS की चेतावनी – टकराव तय?

BRICS के घोषणापत्र में, अमेरिका का नाम लिए बिना, वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचाने वाले अंधाधुंध टैरिफ बढ़ाने की नीति की आलोचना की गई। इसमें कहा गया कि इस तरह के कदमों से वैश्विक व्यापार कमजोर होता है और सप्लाई चेन पर खतरा मंडराता है।

बता दें कि अमेरिका पहले ही भारत और चीन पर भारी-भरकम टैरिफ की घोषणा कर चुका है। ऐसे में ट्रंप का यह नया बयान संकेत देता है कि अगर BRICS देश अमेरिका की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो और भी कड़े आर्थिक फैसले लिए जा सकते हैं।

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