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राहुल गांधी के बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने भी उठाए गंभीर सवाल, EVM प्रबंधन को लेकर किए बड़े खुलासे

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि हालिया चुनावों में वोटों की चोरी हुई है। अब उनके आरोपों को और बल देते हुए महाविकास आघाड़ी (MVA) के दो प्रमुख नेता — एनसीपी (शरद पवार) प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) भी खुलकर मैदान में आ गए हैं। दोनों नेताओं ने दावा किया है कि विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें ऐसे प्रस्ताव मिले थे, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को “मैनेज” करने की पेशकश की गई थी।

शरद पवार का खुलासा — 160 सीटों का ऑफर

शरद पवार ने शनिवार को चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि नवंबर 2024 में विधानसभा चुनाव से पहले दो अज्ञात व्यक्तियों ने उनसे संपर्क किया। उनका दावा था कि वे एमवीए को 288 में से 160 सीटें जिताने में मदद कर सकते हैं, बशर्ते EVM प्रबंधन का सहारा लिया जाए। पवार ने बताया कि उन्होंने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया क्योंकि गठबंधन निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव चाहता था। हालांकि, पवार ने उन व्यक्तियों की पहचान और उनके किसी संगठन से संबंध का खुलासा नहीं किया।

उद्धव ठाकरे को भी मिला वही प्रस्ताव


रविवार को शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि वे स्वयं उस बैठक में मौजूद थे, जिसमें उद्धव ठाकरे से उन्हीं दो लोगों ने संपर्क किया था। उन्होंने ठाकरे को 60-65 कठिन सीटों पर जीत दिलाने का आश्वासन दिया था। लेकिन ठाकरे ने लोकतांत्रिक मूल्यों का हवाला देते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया। राउत के मुताबिक, उस समय एमवीए को अपने लोकसभा प्रदर्शन (48 में से 30 सीटें) के आधार पर विधानसभा चुनाव में भी मजबूत नतीजों की उम्मीद थी।

हार के बाद बढ़े सवाल

लोकसभा चुनाव में दमदार प्रदर्शन के बावजूद, नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में एमवीए को निराशा हाथ लगी। 288 में से महज 50 सीटों पर ही जीत मिली। राउत ने दावा किया कि प्रस्ताव ठुकराने के बाद उन दोनों व्यक्तियों ने चेतावनी दी थी कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने एमवीए की हार सुनिश्चित करने के लिए EVM और मतदाता सूची में गड़बड़ी की योजना बनाई है। इन गंभीर आरोपों पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बयानबाज़ी शायद राहुल गांधी से मुलाकात का असर है। फडणवीस ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें बेबुनियाद करार दिया।

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