मुरादाबाद, 22 जुलाई . साल 2006 के Mumbai ट्रेन विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के कानूनी सलाहकार सैयद काब रशीदी ने स्वागत योग्य बताया. उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्र और राज्य सरकार को मुसलमानों से माफी मांगनी चाहिए. क्योंकि इस घटना के बाद उस समय मुसलमानों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई शुरू की गई थी.
सैयद काब रशीदी ने से बातचीत के दौरान कहा कि यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है. 2006 के Mumbai लोकल ट्रेन बम विस्फोटों में लगभग 190 लोगों की जान चली गई थी. यह एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी जिसने देश की नींव हिला दी थी. उस समय, मुसलमानों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई शुरू की गई थी. 12 लोगों को आजीवन कारावास और यहां तक कि मौत की सजा सुनाई गई थी.
उन्होंने कहा कि 19 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन सभी को पूरे सम्मान के साथ बरी कर दिया है. इससे सरकार की ऑफिशियल और जांच एजेंसियों पर बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न लगा है कि उन्होंने किस आधार पर मुस्लिम युवाओं को धर्म के नाम पर गिरफ्तार कर पूरे देश में विशेष समुदाय के खिलाफ कैंपेन चलाया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस पूरे केस को धता बता दिया. यह जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बहुत बड़ी जीत है. जमीयत की लीडरशिप का धन्यवाद जिन्होंने इन बेगुनाह लोगों को कानूनी सहायता दी.
उन्होंने कहा कि अभी इंसाफ उस दिन तक अधूरा है, जिस दिन इन बेकसूर लोगों को फंसाने वालों को सजा दी जाएगी. मैं समझता हूं इस फैसले के बाद तत्कालीन कांग्रेस की State government और उस समय की केंद्र सरकार की ऑफिशियल लीडरशिप को मुसलमानों से माफी मांगनी चाहिए. यह सिस्टम की विफलता है, जिसकी वजह से 12 बेगुनाह मुसलमानों को यातनाएं सहनी पड़ी.
बता दें कि 2006 में मुम्बई की लोकल ट्रेन में धमाके मामले में Mumbai हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 12 आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया.
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एएसएच/जीकेटी
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