बीजिंग, 10 अप्रैल . विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में वस्तु व्यापार परिषद की पहली वार्षिक बैठक आयोजित की. चीन ने एजेंडा तय करने में पहल करके अमेरिका के ‘पारस्परिक टैरिफ’ उपायों और उनके प्रतिकूल प्रभावों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की और अमेरिका से डब्ल्यूटीओ नियमों का ठोस रूप से पालन करने की मांग की, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर नकारात्मक प्रभावों से बच सके.
चीन के भाषण ने सभी पक्षों के बीच तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न की. यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, ब्राजील, पेरू, कजाकिस्तान और चाड सहित 46 डब्ल्यूटीओ सदस्यों ने इस एजेंडे के तहत बात की और अमेरिकी ‘पारस्परिक टैरिफ’ उपायों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए अमेरिका से डब्ल्यूटीओ के नियमों का पालन करने का आह्वान किया.
चीन ने कहा कि अमेरिका की ‘पारस्परिक टैरिफ’ दर डब्ल्यूटीओ में उसके द्वारा प्रतिबद्ध टैरिफ स्तर से कहीं अधिक है. भेदभावपूर्ण टैरिफों का एकतरफा और मनमाना अधिरोपण विश्व व्यापार संगठन के मोस्ट-फेवर्ड-नेशन ट्रीटमेंट के मौलिक सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन है और यह एकतरफावाद, संरक्षणवाद और बदमाशी का विशिष्ट कृत्य है.
चीन ने यह भी कहा कि तथाकथित ‘पारस्परिक टैरिफ’ ‘गलत नुस्खा और गलत दवा’ हैं. इससे न केवल व्यापार असंतुलन की समस्या को सुलझाने में मदद नहीं मिलेगी, बल्कि इससे संयुक्त राज्य अमेरिका पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था गंभीर रूप से बाधित होगी.
टैरिफ युद्धों और व्यापार युद्धों में कोई विजेता नहीं होता. चीन सभी डब्ल्यूटीओ सदस्यों से इतिहास से सबक लेते हुए बहुपक्षीय व्यापार नियमों का पालन करने और उनकी रक्षा करने, बहुपक्षीय वार्ता और सहयोग के माध्यम से मतभेदों को हल करने का आह्वान करता है.
बैठक में यूरोपीय संघ ने कहा कि अमेरिका के ‘पारस्परिक टैरिफ’ उपाय विश्व व्यापार संगठन के बुनियादी सिद्धांतों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं, जो व्यापार असंतुलन की समस्या को हल करने में मदद नहीं करते हैं.
वहीं, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और दक्षिण कोरिया सहित सदस्यों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को बाधित करने और वैश्विक औद्योगिक श्रृंखला व आपूर्ति श्रृंखला के स्थिर संचालन को नष्ट करने के लिए अमेरिका के ‘पारस्परिक टैरिफ’ की आलोचना की और कहा कि इससे संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विभिन्न देशों में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचाएगा.
उधर, पेरू, कजाकिस्तान और चाड जैसे सदस्यों ने अमेरिका के ‘पारस्परिक टैरिफ’ की निंदा की, क्योंकि इससे आर्थिक रूप से कमजोर विकासशील सदस्यों, विशेषकर सबसे कम विकसित देशों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. उन्होंने विकासशील सदस्यों के लिए निष्पक्ष, खुले, पारदर्शी, समावेशी और गैर-भेदभावपूर्ण बहुपक्षीय व्यापार नियम बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला.
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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एबीएम/
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