Mumbai , 5 सितंबर . प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई ने शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने मित्र और आध्यात्मिक गुरु ओशो को श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने social media पर ओशो की तस्वीर पोस्ट की और अपने विचार व्यक्त किए.
सुभाष घई ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “मेरे मित्र और शिक्षक ओशो पिछले 40 सालों से मुझे जीवन, लोग, ऊर्जा और सत्य के पीछे के दर्शन से प्रेरित करते हैं. ओशो कहते थे, ‘मेरी बात सुनो, लेकिन मेरा अनुसरण मत करो, बस स्वयं को जानो.’ शिक्षक दिवस पर मैं ओशो को नमन करता हूं, जो भारत को नए विचारों और स्पष्टता के साथ आगे बढ़ाते हैं.”
ओशो का असली नाम रजनीश चंद्र मोहन जैन था. ओशो 20वीं सदी के एक भारतीय रहस्यवादी, आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक थे. वे एक विवादास्पद गुरु थे, जिन्होंने किसी भी संगठित धर्म को स्वीकार नहीं किया. उनका मानना था कि आध्यात्मिक अनुभव को किसी धार्मिक ढांचे में नहीं बांधा जा सकता. दुनियाभर में उनके लाखों अनुयायी हैं, जो उनके विचारों से प्रेरित हैं.
इससे पहले निर्माता-निर्देशक Mumbai के रोटरी क्लब में एक कार्यक्रम में गए थे, जहां उन्होंने सेंसरशिप के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने सिनेमा और अन्य कला के लिए सेंसरशिप को जरूरी बताया.
सुभाष ने कार्यक्रम की तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके लिखा था, “जैसे परिवार में बच्चों को यह सिखाया जाता है कि क्या देखना चाहिए और क्या बोलना चाहिए, वैसे ही सिनेमा और अन्य कंटेंट पर सेंसरशिप जरूरी है. जैसे ट्रैफिक लाइट्स सड़क पर व्यवस्था बनाए रखती हैं, वैसे ही समाज में सामाजिक मूल्यों को सुरक्षित रखने के लिए कंटेंट पर मर्यादा जरूरी है. हम सब एक परिवार की तरह हैं, और परिवार में कुछ नियम और सीमाएं होती हैं.”
सुभाष घई 1980 और 1990 के दशक के सबसे सफल हिंदी फिल्म निर्माताओं में से एक हैं. उन्होंने ‘कर्ज’, ‘हीरो’, ‘राम लखन’, ‘सौदागर’ और ‘खलनायक’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में दी हैं.
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एनएस/एबीएम
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