New Delhi, 26 जुलाई . शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश जारी किया है. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं के अनुसार स्कूलों और बच्चों से संबंधित सुविधाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट, कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण और परामर्श एवं सहकर्मी नेटवर्क के माध्यम से मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना शामिल है. शिक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर सुझाव दिए हैं.
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी सुझाव के अनुसार, बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्कूलों और सार्वजनिक सुविधाओं का राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं और आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए. फायर सेफ्टी, इमरजेंसी एग्जिट और इलेक्ट्रिक वायर के साथ-साथ संरचनात्मक अखंडता का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें निकासी अभ्यास, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हैं. स्थानीय अधिकारियों (एनडीएमए, अग्निशमन सेवाएं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियां) के साथ सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि समय-समय पर प्रशिक्षण सत्र और मॉक ड्रिल आयोजित की जा सकें.
शारीरिक सुरक्षा के अलावा, परामर्श सेवाओं, सहकर्मी सहायता प्रणालियों और सामुदायिक सहभागिता पहलों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. बच्चों या युवाओं को संभावित नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी खतरनाक स्थिति, निकट-चूक या घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर निर्दिष्ट राज्य या केंद्र शासित प्रदेश प्राधिकरण को दी जानी चाहिए. देरी, लापरवाही या कार्रवाई न करने की स्थिति में सख्त जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए. माता-पिता, अभिभावकों, सामुदायिक नेताओं और स्थानीय निकायों को सतर्क रहने और स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों या बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले परिवहन के साधनों में असुरक्षित स्थितियों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
मंत्रालय शिक्षा विभागों, स्कूल बोर्डों और संबद्ध अधिकारियों से उपरोक्त उपायों को लागू करने में बिना किसी देरी के कार्रवाई करने का आग्रह करता है. शिक्षा मंत्रालय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ अपनी साझा जिम्मेदारी की पुष्टि करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी बच्चे या युवा को रोके जा सकने वाली परिस्थितियों के कारण जोखिम में न डाला जाए.
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डीकेपी/एबीएम
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