Patna, 12 अक्टूबर . बिहार की राजनीति में हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र एक विशेष महत्व रखता है. यह सीट वैशाली जिले में स्थित है, जो गंगा नदी द्वारा प्रदेश की राजधानी Patna से अलग होता है. भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक महत्ता के कारण वैशाली को उत्तर बिहार का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. हाजीपुर का नाम सुनते ही लोगों के मन में सबसे पहले केले, वैशाली की धरती और दलित राजनीति के प्रतीक दिवंगत राम विलास पासवान की छवि उभरती है.
हाजीपुर न सिर्फ अपने कृषि और व्यापार के लिए जाना जाता है, बल्कि यह बिहार की सामाजिक और Political चेतना का भी केंद्र रहा है. यहां की मिट्टी उतनी ही उपजाऊ है जितनी इसकी Political जमीन, जिसने बिहार की सत्ता समीकरण को कई बार प्रभावित किया है.
Political दृष्टिकोण से हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र और हाजीपुर Lok Sabha सीट में एक अहम फर्क है. जहां हाजीपुर Lok Sabha सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है, वहीं विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए खुली है. यही कारण है कि विधानसभा स्तर पर पासवान परिवार का सीधा प्रभाव सीमित रहा है, जबकि Lok Sabha चुनावों में राम विलास पासवान ने यहां से कई बार रिकॉर्ड जीत दर्ज की.
साल 1951 में स्थापित हाजीपुर विधानसभा सीट ने समय के साथ कई Political उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन 21वीं सदी के आरंभ से यह सीट भाजपा का गढ़ बन गई. पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 2000 से लगातार चार बार जीत हासिल कर भाजपा की जड़ें यहां मजबूत की. 2014 में राय के Lok Sabha चुनाव जीतने के बाद उपचुनाव में उनके करीबी अवधेश सिंह विधायक बने. सिंह ने 2015 और 2020 दोनों चुनावों में जीत दोहराई, हालांकि हर बार जीत का अंतर घटता गया. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार देव कुमार चौरेशिया को मात्र 3 हजार वोटों के अंतर से हराया.
आगामी विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है. भाजपा जहां अपने पुराने गढ़ को बचाने की कोशिश में है, वहीं महागठबंधन इस क्षेत्र में सेंध लगाने की रणनीति बना रहा है.
हाजीपुर की सामाजिक बनावट भी इसके चुनावी समीकरणों को गहराई से प्रभावित करती है. यहां लगभग 67 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है, जबकि वैशाली का जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर भी इसी क्षेत्र में आता है. जातीय दृष्टि से, अनुसूचित जाति (एससी) मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं, इनकी हिस्सेदारी 21 प्रतिशत से अधिक है. इनके अलावा, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 8 प्रतिशत है, जो कई बार गठबंधन की दिशा तय कर देते हैं. यादव, ब्राह्मण, भूमिहार और बनिया समुदाय भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिससे यह सीट हर चुनाव में बहुजातीय प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन जाती है.
राजद और महागठबंधन का ध्यान इस बार एससी और मुस्लिम मतदाताओं के एकीकरण पर है, जबकि भाजपा अपने परंपरागत उच्च जाति और पिछड़े वोट बैंक को साधने के साथ-साथ चिराग पासवान के प्रभाव का लाभ उठाने की कोशिश करेगी. चिराग, जो वर्तमान में हाजीपुर Lok Sabha सीट से सांसद हैं, भाजपा के लिए इस क्षेत्र में वोट ट्रांसफर कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
भौगोलिक रूप से हाजीपुर वैशाली जिले का प्रमुख प्रशासनिक और वाणिज्यिक केंद्र है. यह Patna से महात्मा गांधी सेतु के जरिए जुड़ा हुआ है और राज्य के सबसे बड़े केले के थोक बाजारों में से एक है. यह क्षेत्र इतिहास और आधुनिकता का संगम है. एक तरफ भगवान बुद्ध और महावीर की विरासत है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक Political संघर्ष की कहानी.
2024 में चुनाव आयोग के अनुसार, हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,80,810 है, जिसमें 3,06,888 पुरुष और 2,73,922 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,52,082 है. इनमें 1,84,575 पुरुष, 1,67,487 महिलाएं और 20 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.
–
डीकेपी/
You may also like
सिवनीः संघ के शताब्दी वर्ष पर सिवनी में महाविद्यालयीन छात्रों ने निकाला पथ संचलन
सिवनीः कर्माझिरी अभ्यारण से होकर जाने वाले मार्ग का पुन संचालन
उज्जैन रेलवे स्टेशन पर रिमॉडलिंग कार्य के चलते 4 ट्रेन निरस्त, 12 को शॉर्ट टर्मिनेट किया गया
मुख्यमंत्री भावांतर योजना: उज्जैन में किसानों ने निकाली धन्यवाद रैली
क्रिकेटर सूर्यकुमार ने किए महाकाल दर्शन