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अदाणी ग्रीन एनर्जी को मिला मेरकॉम इंडिया अवॉर्ड, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिया सम्मान

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New Delhi, 24 जुलाई . राष्ट्रीय राजधानी में Thursday को मेरकॉम इंडिया रिन्यूएबल्स शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें अदाणी ग्रीन एनर्जी को मेरकॉम इंडिया अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. केंद्रीय मंत्री प्रह्वाद जोशी ने यह सम्मान दिया.

अदाणी ग्रीन एनर्जी खावड़ा प्रोजेक्ट के जनरल मैनेजर राहुल सिंह ने कहा कि हमें अपने प्रोजेक्ट के लिए यह अवॉर्ड मिला, जो गुजरात के कच्छ जिले के खावड़ा में स्थित है. हम लोगों ने फर्स्ट क्वार्टर में 250 मेगावाट कमीशन किया. भारत के रिन्यूएबल प्रोजेक्ट में कंट्रीब्यूट करने पर हमें यह सम्मान मिला है. हमारी टीम आगे भी इसी तरह उपलब्धि हासिल करती रहेगी, ऐसा मेरा मानना है.

अदाणी ग्रीन एनर्जी कंस्ट्रक्शन लीड मैकेनिकल खावड़ा के मैनेजर ओंकार सिंह ने कहा कि इतिहास में आज तक किसी ने 250 मेगावाट का टारगेट अचीव नहीं किया था, जो हमने प्राप्त करके दिखा दिया. इसके लिए हमें यह अवॉर्ड मिला है.

वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को गति देने वाली पांच प्रमुख प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए एक लचीले और आत्मनिर्भर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए भारत सरकार के केंद्रित प्रयास पर प्रकाश डाला, जिसमें मजबूत बिजली खरीद समझौते (पीपीए), मजबूत ग्रिड और भंडारण प्रणाली, घरेलू विनिर्माण, भूमि उपयोग अनुकूलन और वित्त तक बेहतर पहुंच शामिल हैं.

उन्होंने मेरकॉम इंडिया रिन्यूएबल्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ये रणनीतिक सुधार भारत को 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता के लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत न सिर्फ अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि उन्हें गति भी दे रहा है.

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि भारत अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त कर चुका है, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) की समय सीमा से पांच वर्ष पहले ही है. वर्तमान में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 245 गीगावाट से अधिक है, जिसमें 116 गीगावाट सौर और 52 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल है.

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के नवीनतम अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि 2024 में भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार से देश को जीवाश्म ईंधन के आयात और प्रदूषण संबंधी लागतों से बचकर लगभग 4 लाख करोड़ रुपए की बचत करने में मदद मिली है. इसमें 14.9 बिलियन डॉलर की जीवाश्म ईंधन बचत, 410.9 मिलियन टन सीओ-2 की बचत और 31.7 बिलियन डॉलर के स्वास्थ्य एवं वायु प्रदूषण लाभ शामिल हैं.

सरकार पीएम सूर्य घर, मुफ्त बिजली योजना जैसी ऐतिहासिक पहलों के माध्यम से इस विकास को सुगम बना रही है, जिसके लिए 58.7 लाख से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं और इसके परिणामस्वरूप 17.2 लाख रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र पूरे हो चुके हैं. इस क्षेत्र में वित्तपोषण और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, 30 गीगावाट घंटे की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बीईएसएस) के लिए 5,400 करोड़ रुपए की व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) योजना शुरू की गई है, जिससे 33,000 करोड़ रुपए के निवेश आने की उम्मीद है.

विद्युत मंत्रालय, सीईए, सीटीयू और पावरग्रिड के समन्वय से 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता की निकासी के लिए एक व्यापक संचरण योजना तैयार की गई है.

डीकेपी/एबीएम

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