नालंदा, 28 अप्रैल . बिहारशरीफ के शंभू कुमार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना से मिली वित्तीय मदद का इस्तेमाल कर अपनी छोटी सी शुरुआत को बड़े उद्योग में तब्दील कर दिया. तीन साल पहले रेडीमेड कपड़े बनाने के छोटे से व्यवसाय से शुरुआत करने वाले शंभू आज 35 लोगों के रोजगार का जरिया बन चुके हैं, और उनके उत्पाद बिहार और झारखंड के कई जिलों में बिक रहे हैं. यह कहानी है एक छोटे से सपने के बड़े हकीकत बनने की, जो न केवल शंभू कुमार के लिए, बल्कि उनके कर्मचारियों के लिए भी नया जीवन लेकर आई है.
शंभू कुमार को इस योजना के तहत 25 लाख रुपये का लोन प्राप्त हुआ था, साथ ही उन्हें सरकारी सब्सिडी भी मिली, जिससे उनका व्यापार मजबूती से खड़ा हो सका. उनका व्यवसाय पहले छोटे पैमाने पर था, लेकिन लोन मिलने के बाद मशीनों और कच्चे माल की उपलब्धता में आसानी आई, जिससे उत्पादन में तेजी आई और व्यवसाय को एक नई दिशा मिली.
आज उनकी फैक्टरी में 35 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनमें 20 महिलाएं और 15 पुरुष शामिल हैं. ये सभी कर्मचारी हाफ पैंट, पजामा और अन्य रेडीमेड कपड़े तैयार करते हैं, जिन्हें बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों, जैसे किशनगंज, बेतिया, पूर्णिया, कटिहार और धनबाद में सप्लाई किया जाता है. शंभू कुमार ने बताया कि पहले उनके व्यवसाय की गति धीमी थी, लेकिन लोन मिलने के बाद उत्पादन में वृद्धि हुई और मासिक आय में 50 से 60 हजार रुपये का इजाफा हुआ.
उन्होंने से बात करते हुए कहा कि उनका यह व्यवसाय न केवल उनके लिए बल्कि उनकी फैक्टरी में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी फायदे का सौदा साबित हुआ है. कई महिलाएं, जो पहले अन्य राज्यों जैसे दिल्ली और गुजरात में काम करने जाती थीं, अब अपने घर में ही रोजगार पा रही हैं. शंभू कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना ने न केवल उनका बल्कि उनके कर्मचारियों का जीवन भी बदल दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार की योजनाओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए शंभू कुमार ने कहा, “पहले यहां के लोग रोजगार के लिए दिल्ली और गुजरात जाते थे, लेकिन अब वे अपने घर में ही सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं.” उन्होंने सरकार से अपील की कि वे इसी तरह नई योजनाओं के माध्यम से युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें.
उन्होंने कहा कि पहले हमारे व्यापार की गति धीमी थी, लेकिन लोन मिलने के बाद हमें मशीनों और कच्चे माल की व्यवस्था में आसानी हुई, जिससे उत्पादन बढ़ा और व्यवसाय को गति मिली. अब हमारे पास 35 कर्मचारी हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, जो पहले मशीनों के बारे में कुछ नहीं जानती थीं, आज वे 100 रुपये से 20,000 रुपये तक कमा रही हैं.
लोन के भुगतान के बारे में पूछे जाने उन्होंने बताया कि वह लगभग छह से सात महीनों में इसे चुका देंगे. उन्होंने कहा कि लोन मिलने के बाद हमारी मासिक आय में 50 से 60 हजार रुपये का इजाफा हुआ है. सरकार की नई-नई योजनाओं के लिए हम प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते हैं, जिनकी सोच ने हमारे जैसे छोटे व्यवसायियों को आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया. आज हम बिहार में रोजगार दे रहे हैं और अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं. पहले बाहर जाकर काम करना मुश्किल था, लेकिन अब हम अपने घर में ही सम्मानजनक रोजगार प्राप्त कर रहे हैं.
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पीएसएम/
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