New Delhi, 17 अक्टूबर . India के कमर्शियल रियल एस्टेट मार्केट में वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारी उछाल दर्ज किया गया है और ऑफिस लीजिंग लगातार छठी तिमाही में सप्लाई से अधिक रही है. यह जानकारी Friday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 की तीसरी तिमाही में नेट लीजिंग पिछले वर्ष की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़कर 15.9 मिलियन वर्ग फुट हो गई, जबकि निर्माण कार्य पूरा होने की दर पिछले वर्ष की तुलना में 44 प्रतिशत बढ़कर 13.6 मिलियन वर्ग फुट हो गई, जिसके परिणामस्वरूप रिक्तियों की दर 14.2 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 240 आधार अंकों की गिरावट और पिछली तिमाही की तुलना में 60 आधार अंकों की गिरावट को दर्शाता है.
नुवामा ने वर्ष 2025-26 में सालाना 50-54 मिलियन वर्ग फुट निर्माण कार्य पूरा होने का अनुमान लगाया है, हालांकि कुछ प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यम अवधि में रिक्तियों के स्तर में मामूली गिरावट आने की संभावना है, जबकि वार्षिक किराये में वृद्धि में तेजी आने की उम्मीद है.
ग्रॉस लीजिंग क्रमिक रूप से 5 प्रतिशत बढ़कर 22.3 मिलियन वर्ग फुट हो गई, जो लगातार आठवीं तिमाही है जिसमें अब्सॉर्प्शन 20 मिलियन वर्ग फुट या उससे अधिक रहा. सभी प्रमुख शहरों में किराए में वृद्धि हुई, जो डेवलपर्स और मकान मालिकों की बढ़ती मूल्य निर्धारण शक्ति को दर्शाता है.
Bengaluru में रिक्तियों का स्तर सबसे कम 9.2 प्रतिशत रहा, जबकि हैदराबाद में 22 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक रहा.
Mumbai महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में रिक्तियों में 10.6 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो 2015 के बाद से सबसे कम है. एनसीआर क्षेत्र में 2012 के बाद से सबसे कम रिक्तियों की दर 20.2 प्रतिशत दर्ज की गई.
टेक्नोलॉजी सेक्टर ने लीजिंग में 31 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हुए लीजिंग एक्टिविटी पर हावी रहा, इसके बाद वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) का स्थान रहा, जिसने तिमाही के दौरान ग्रॉस लीजिंग में 38 प्रतिशत का योगदान दिया.
जीसीसी एक्टिविटी में Bengaluru सबसे आगे रहा, जहां लगभग 38 प्रतिशत लेनदेन हुए. हालांकि घरेलू ऑक्यूपायर्स की हिस्सेदारी दूसरी तिमाही के 52 प्रतिशत से थोड़ी कम होकर तीसरी तिमाही में 46 प्रतिशत रह गई, लेकिन बहुराष्ट्रीय और वैश्विक क्षमता केंद्रों से मांग मजबूत बनी रही.
ब्रोकरेज का कहना है कि आर्थिक रूप से मजबूत डेवलपर्स अपनी मार्केट पॉजिशन को कंसोलिडेट कर रहे हैं क्योंकि कमजोर प्लेयर्स अपनी हिस्सेदारी खो रहे हैं.
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि बड़े रेंटल पोर्टफोलियो वाले डेवलपर्स इस मजबूत ऑफिस स्पेस मांग का लाभ उठाने की सबसे अच्छी स्थिति में हैं.
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एसकेटी/
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