नई दिल्ली, 17 अप्रैल . जेठ मास की तपती दोपहर में, जब सूरज आसमान से आग बरसाता है, और पंखे की हवा भी गर्म लपटों-सी लगती है, तब एक पुराना नुस्खा याद आता है खसखस का शरबत. दादी नानी की रसोई में रखी छोटी-सी डिब्बी, जिसमें सफेद-मटमैले रंग के ये छोटे-छोटे दाने भरे होते थे, मानो कोई जादुई औषधि हो. दादी- नानियां कहती थीं, “ये खसखस गर्मी को चुटकियों में भगा देता है.”
आयुर्वेद, चरक संहिता, वैज्ञानिक शोध, और दादी-नानियों की कहानियां एक ऐसी तस्वीर बनाती हैं, जो न सिर्फ सेहत से भरी है, बल्कि हमारी संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा भी है.
खसखस, जिसका वैज्ञानिक नाम पैपावर सोम्नीफेरम है, हजारों सालों से मानव सभ्यता का हिस्सा रहा है. आयुर्वेद में इसे “पोस्तदाना” या “खसतिल” कहा जाता है, और चरक संहिता में इसे पित्त दोष को शांत करने वाली जड़ी-बूटी बताया गया है.
चरक संहिता में खसखस को “उशीरा” के साथ जोड़ा गया है, जिसकी ठंडी तासीर शरीर की गर्मी को कम करती है. यह गर्मियों में पेट की जलन, पैरों में जलन, और त्वचा की समस्याओं को दूर करने में कारगर मानी जाती है. आयुर्वेद के डॉक्टर अमित बताते हैं कि खसखस का शरबत न सिर्फ शरीर को ठंडा रखता है, बल्कि मन को भी शांत करता है. वह कहते हैं, “गर्मी में जब पित्त बढ़ जाता है, तो खसखस का दूध या शरबत पीने से तुरंत राहत मिलती है.”
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो खसखस के बीज पोषक तत्वों का खजाना हैं. इनमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, और आयरन जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. शोध बताते हैं कि खसखस में मौजूद जिंक इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जो गर्मियों में होने वाली मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद करता है. एक अध्ययन बताता है कि खसखस में मौजूद मैग्नीशियम साउंड स्लिप यानी अच्छी नींद का सबब बनता है. यही कारण है कि दादी-नानियां रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में खसखस डालकर पिलाती थीं, ताकि गहरी और सुकून भरी नींद आए. इसके अलावा, खसखस में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम करते हैं.
गर्मी से बचाव में खसखस के चमत्कारिक गुणों की बात करें, तो इसकी ठंडी तासीर इसे गर्मियों का सुपरफूड बनाती है. खसखस का शरबत या दूध पीने से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है, और डिहाइड्रेशन की समस्या दूर होती है. खसखस का पानी पेट के पीएच को संतुलित करता है, जिससे गर्मियों में होने वाली एसिडिटी और पेट की जलन में राहत मिलती है.
आयुर्वेद में खसखस का तेल दर्द निवारक के रूप में प्रयोग होता है, और यह जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में प्रभावी है. हाल के शोध भी खसखस के इन पारंपरिक उपयोगों की पुष्टि करते हैं. डॉक्टर अमित के अनुसार, खसखस पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देता है. इसके अलावा, यह त्वचा के लिए भी लाभकारी है. खसखस को दूध के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से त्वचा की जलन और मुहासे कम होते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि खसखस में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो गर्मियों में सूरज की किरणों से होने वाली त्वचा की समस्याओं के लिए उपयोगी है.
ज्यादातर जानकारी आयुर्वेद और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है, लेकिन वैज्ञानिक शोध भी इसके गुणों को समर्थन देते हैं. कई शोध खसखस को गर्मियों में हाइड्रेशन और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक बेहतरीन विकल्प बताते हैं.
खसखस का इस्तेमाल न सिर्फ आयुर्वेद में, बल्कि पश्चिमी चिकित्सा पद्धतियों में भी किया जाता है. इसका सेवन हृदय के स्वास्थ्य के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना कि पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए. इसके सेवन से शरीर में ठंडक बनी रहती है और यह अत्यधिक गर्मी और थकावट को दूर करने में मदद करता है.
रिसर्च से यह भी सामने आया है कि यह प्राकृतिक रूप से रक्त को शुद्ध करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है. साथ ही, यह मानसिक तनाव को भी कम करता है. इन सभी गुणों के कारण, खसखस का सेवन न केवल शरीर को ठंडा करता है, बल्कि इसे शक्तिशाली भी बनाता है.
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पीएसएम/केआर
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