उदयपुर, 11 नवंबर (Indias News)। भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी (Integrated Zinc Producer), हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) ने समग्र शिक्षा, कौशल विकास और समावेशी शिक्षण के माध्यम से देश के भविष्य — अगली पीढ़ी — को सशक्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
कंपनी के प्रमुख सामुदायिक कार्यक्रम — नंद घर (Nand Ghar), शिक्षा संबल (Shiksha Sambal), ऊँची उड़ान (Unchi Udaan) और जीवन तरंग (Jeevan Tarang) — ने पिछले पांच वर्षों में 10 लाख से अधिक बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है।
हिंदुस्तान जिंक की शिक्षा संबल पहल के तहत 140 स्कूलों में 35,000 से अधिक छात्रों को विज्ञान, गणित और अंग्रेजी (Science, Math & English) विषयों में मजबूत बुनियादी शिक्षा दी जा रही है। अब तक 30,900 से अधिक कक्षाओं का संचालन किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कक्षा 10 में 95% छात्र सफल हुए हैं, जबकि 66 में से 23 स्कूलों का परिणाम 100% रहा।
कंपनी ने उदयपुर और पंतनगर में चार STEM प्रयोगशालाएँ (STEM Labs) स्थापित की हैं, 26 मॉडल स्कूल विकसित किए हैं और बेहतर शिक्षण माहौल के लिए 10 स्कूलों का नवीनीकरण किया है।
हिंदुस्तान जिंक के सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा (Arun Misra) ने कहा —
‘ऊँची उड़ान’ से ग्रामीण युवाओं को मिली नई दिशा“हर बच्चे को बिना किसी सीमा के सीखने, बढ़ने और सपने देखने का अवसर मिलना चाहिए। हमारी शिक्षा पहलें सिर्फ कक्षाओं तक सीमित नहीं हैं; इनका उद्देश्य आत्मविश्वास, जिज्ञासा और योग्यता का निर्माण करना है। एजुकेशन डे और बाल दिवस के अवसर पर मैं सभी से अपील करता हूँ कि युवा मस्तिष्कों को सशक्त करें — यही भारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं।”
ऊँची उड़ान कार्यक्रम (Unchi Udaan Programme) के तहत ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के प्रतिभाशाली छात्रों को देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के अवसर मिले हैं। अब तक 150 छात्रों ने IITs और सरकारी कॉलेजों में प्रवेश पाया है। इनमें से 32 छात्रों को शीर्ष संगठनों में नियुक्ति मिली है, जिनका औसत पैकेज ₹10 लाख और अधिकतम ₹21 लाख रहा है।
‘जीवन तरंग’ से दिव्यांग बच्चों को सशक्त किया जा रहा है2017 में शुरू की गई जीवन तरंग पहल (Jeevan Tarang Initiative) के तहत अब तक 2,600 से अधिक दिव्यांग बच्चे लाभान्वित हुए हैं। कार्यक्रम में सांकेतिक भाषा सत्र (Sign Language Awareness), मानसिक स्वास्थ्य व स्वच्छता कार्यशालाएँ, और पूर्व-व्यावसायिक प्रशिक्षण (Pre-Vocational Training) शामिल हैं।
अजमेर, भीलवाड़ा और उदयपुर में चल रहे ये समावेशी कार्यक्रम सुनिश्चित करते हैं कि सभी क्षमताओं वाले बच्चों को समान अवसर और शिक्षा मिले।
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (Anil Agarwal Foundation) की प्रमुख पहल ‘नंद घर’ को ICDS के सहयोग से विकसित किया गया है। यह पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और महिला सशक्तिकरण के चार स्तंभों पर आधारित है।
लगभग 2,000 नंद घरों के माध्यम से हिंदुस्तान जिंक ने 3.7 लाख महिलाओं और बच्चों (Women & Children) को लाभान्वित किया है। ये केंद्र डिजिटल लर्निंग टूल्स, सौर ऊर्जा, सुरक्षित पेयजल और महिलाओं के कौशल विकास के अवसरों से सुसज्जित हैं।
खेलों को युवा विकास का प्रमुख स्तंभ मानते हुए हिंदुस्तान जिंक ने राजस्थान के जावर (Zawar) में जिंक फुटबॉल अकादमी (Zinc Football Academy) स्थापित की है — यह अपनी तरह की पहली आवासीय खेल अकादमी है। अब तक 3,250 से अधिक युवा एथलीट्स यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, जिनमें से कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
हिंदुस्तान जिंक की ये पहलें केवल शिक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समुदाय के समग्र विकास (Community Transformation) की दिशा में एक सशक्त कदम हैं। कंपनी का उद्देश्य है — हर बच्चे को अपनी क्षमता के अनुरूप अवसर और साधन उपलब्ध कराना।
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