New Delhi, 10 अक्टूबर . India और यूनाइटेड किंगडम की नौसेनाओं ने द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘कोंकण-25’ को अंजाम दिया है. यह एक समुद्री चरण वाला महत्वपूर्ण अभ्यास था जिसमें उच्च तीव्रता वाले नौसैनिक अभियान शामिल थे. इनमें एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्धाभ्यास, फ्लाइंग ऑपरेशन्स और अन्य सीमैनशिप इवोल्यूशन्स शामिल रहे.
दोनों देशों की नौसेनाओं ने समुद्र में अपने फ्रंटलाइन प्लेटफॉर्म्स तैनात किए, जिनमें विमानवाहक पोत, विध्वंसक, फ्रिगेट्स, पनडुब्बियां तथा हवाई साधन शामिल रहे. दोनों देशों की नौसेना ने यहां अत्याधुनिक सैन्य अभियानों और समुद्री सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया. इसका उद्देश्य अंतर-संचालन क्षमता, ऑपरेशनल तत्परता और समुद्री सहयोग को सुदृढ़ बनाना था.
समुद्री चरण के दौरान दोनों नौसेनाओं ने अनेक जटिल समुद्री अभियानों में भाग लिया, जिनमें रणनीतिक समन्वय और आधुनिक युद्धक कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ. यहां टेक्निकल एयर वॉरफेयर और एयर डिफेंस अभ्यास भी किया गया. नौसेना के मुताबिक अभ्यास में विमानवाहक पोत-आधारित लड़ाकू विमान, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, तथा तटीय समुद्री टोही विमान शामिल रहे. इन यूनिट्स ने यहां विजुअल रेंज से परे हवाई युद्धाभ्यास और समन्वित वायु रक्षा ड्रिल्स को भी अंजाम दिया.
इन अभियानों ने यह सिद्ध किया कि डेक-आधारित वायु संपत्तियां कहीं भी, कभी भी प्रभावी ढंग से संचालन करने की तत्परता रखती हैं. अभ्यास के दौरान सतह से फायरिंग तथा समन्वित पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास आयोजित किए गए. समुद्री गश्ती विमान और हेलीकॉप्टर ने सतह एवं जलमग्न प्लेटफॉर्मों के साथ घनिष्ठ समन्वय में संचालन किया. इससे दोनों नौसेनाओं के बीच रणनीतिक तालमेल और पेशेवर उत्कृष्टता का प्रदर्शन हुआ.
अभ्यास के दौरान उच्च ऑपरेशनल गति बनाए रखी गई, जिससे दोनों नौसेनाओं की मल्टी-डोमेन युद्ध में क्षमताओं और तत्परता का स्पष्ट प्रदर्शन हुआ. भारतीय नौसेना का कहना है कि यह चरण दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री क्षेत्र में सहयोग और सामरिक समझ को और अधिक गहराई प्रदान करता है. सी फेज का समापन एक औपचारिक ‘स्टीमपास्ट’ के साथ हुआ, जिसमें भाग लेने वाले जहाजों ने पारंपरिक नौसैनिक अभिवादन का आदान-प्रदान किया.
इसके बाद जहाज अपने-अपने बंदरगाहों की ओर प्रस्थान कर गए, जहां हार्बर फेज आयोजित होगा. इस चरण में संयुक्त पेशेवर आदान-प्रदान, सहयोगी गतिविधियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल रहेंगे.
विशेषज्ञों का मानना है कि अभ्यास ‘कोंकण-25’ India और यूनाइटेड किंगडम की नौसेनाओं के बीच मजबूत समुद्री संबंधों और बढ़ते सामरिक सहयोग का प्रतीक है. यह न केवल दोनों देशों की संचालनिक क्षमता और पेशेवर साझेदारी को सुदृढ़ करता है, बल्कि क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है.
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जीसीबी/एसके
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