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रेलवे में बिना पेपर के टीटीई बनी लड़की, 5 साल से कर रही थी नौकरी, लेकिन एक कार्ड ने मेहनत पर फेरा पानी ㆁ

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Railway TTE : रेलवे विभाग दुनिया का सबसे का बड़ा नेटवर्क है जहां पर कईं कर्मचारी है और कईं लोग इसमें काम करते है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया जाने वाला रेलवे विभाग विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के माध्यम से ही भर्ती की जाती है। लेकिन एक वाकया रेलवे में आया है जहां पर फर्जी टीटीई (Railway TTE) का मामला सामने आया है। आइए जानते है उनके बारे में।

Railway TTE: रेलवे विभाग में फर्जी टीटीई का मामला image

लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन पर एक युवती फर्जी टीटीई (Railway TTE) बनकर टिकट चेक कर रही थी। जीआरपी टीम ने स्टेशन मास्टर की मदद से उसे पकड़ लिया। उसके पास से टीटीई का आईडी कार्ड भी मिला, हालांकि उस पर नंबर फर्जी है। इस मामले में जीआरपी ने स्टेशन अधीक्षक की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली है।

लखनऊ में फर्जी टीटीई का मामला आया सामने image

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से फर्जी महिला टीटीई (Railway TTE) को गिरफ्तार किया गया है। वह टीटीई की वर्दी पहनकर, गले में आईडी कार्ड लटकाए और हाथ में कॉपी-पेन पकड़कर यात्रियों के टिकट चेक कर रही थी।

रेलवे अधिकारियों को फर्जी टीटीई काजल पर शक हुआ तो उन्होंने उससे पोस्टिंग, ट्रेनिंग और विभाग से जुड़े सवाल पूछे। काजल किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकी। इसके बाद अधिकारियों ने उसे तत्काल हिरासत में ले लिया।

काजल सरोज नाम की युवती हुई गिरफ्तार image

चारबाग के जीआरपी इंस्पेक्टर धर्मवीर सिंह ने बताया कि एडीजी प्रकाश डी के नेतृत्व में नियमित चेकिंग अभियान चल रहा है स्टेशन मास्टर के मांगने पर उसने अपना आईकार्ड भी दिया। आईकार्ड में उसका नाम काजल सरोज पुत्री छोटेलाल सरोज है। पता ग्राम मालेपुर, संत रविदास नगर (भदोही) लिखा था।

आईकार्ड नंबर 20137081345 था। स्टेशन मास्टर ने आईकार्ड नंबर चेक किया तो पता चला कि ऐसा कोई नंबर टीटीई (Railway TTE) चेकिंग संवर्ग में दर्ज नहीं है। इसके बाद उसने जीआरपी को लिखित शिकायत दी।

22 साल की उम्र में बनी फर्जी टीटीई image

रेलवे में टीटीई के पद पर सीधी नियुक्ति नहीं होती है। महिला व पुरुष टीसी से प्रमोशन पाकर टीटीई (Railway TTE) बनते हैं। प्रमोशन मिलने में करीब 14 से 15 साल का समय लगता है। काजल की उम्र महज 22 साल है। आईडी कार्ड पर उसकी जन्मतिथि 16 2002 लिखी मिली।

रेलवे अपने कर्मचारियों का सीरियल नंबर अलग तरीके से जारी करता है। कर्मचारी की तैनाती का साल पहले लिखा जाता है, आईडी कार्ड में नियुक्ति की तारीख 25 2021 लिखी है। जबकि कर्मचारी का सीरियल नंबर 2013 से शुरू हो रहा था।

महिला टीसी को शक होने पर हुई कार्रवाई image

मामले में बताया गया है कि महिला की पोस्टिंग (Railway TTE) का स्थान लखनऊ दिखाया गया था और आईडी कार्ड के मुताबिक वह करीब चार साल से वहां तैनात है। जबकि स्टेशन अधीक्षक ने इससे पहले महिला को कभी नहीं देखा था। घटना का पता तब चला जब काजल रेलवे वेटिंग रूम के वॉशरूम में यात्रियों के टिकट चेक कर रही थी।

तभी वहां एक महिला टीसी (Railway TTE) पहुंची जिसने काजल को देखकर शक जताया और रेलवे अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने काजल को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ शुरू कर दी। फिलहाल इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन शामिल है? इसकी जांच की जा रही है।

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