जीरा का लैटिन नाम-क्यूमिनम साइमिनम हैं। यह अपच और दर्द को खत्म करता है। जीरा एक स्वादिष्ट मसाला है और औषधियों में भी जीरे का बहुत उपयोग किया जाता है। जीरा भारत में बहुत होता है। यह 3 प्रकार का होता है- सफेद जीरा, शाह जीरा या काला जीरा और कलौंजी जीरा। इनके गुण एक जैसे ही होते हैं। तीनों ही जीरे रूखे और तीखे होते हैं। ये मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।
सफेद जीरा दाल-सब्जी छोंकने और मसालों के काम में आता है तथा शाह जीरे का उपयोग विशेष रूप से दवा के रूप में किया जाता है। ओथमी जीरा और शंखजीरा ये 2 वस्तुएं जीरे से एकदम भिन्न है। ओथमी जीरे को छोटा जीरा अथवा ईसबगोल कहते हैं।
आपके रसोईघर में एक बहुत अच्छी औषधि है उसका नाम है जीरा, जैसे हल्दी है वैसे ही ये जीरा है. जीरा बहुत अच्छी ओषधि है. आपके शरीर में पित्त के जितने भी रोग है ये सब जीरे से ठीक हो जाते है. पित्त के रोग तो आप सब समझते ही है पेट में गैस बनना, पेट में जलन होना, खटी खटी ढकार आना, भोजन का पाचन नही होना, Vomiting होना, बार बार उलटी होना, Vomiting Sensation होना, उबासिया होना, ये सब पित्त के रोग है।
इन पित्त के रोगों की सबसे अच्छी औषधि जीरा है थोडा जीरा ले लीजिए लगभग आधा चम्मच और आधा कप पानी ले लीजिये। इसमें मिला लीजिए पानी को खूब गर्म कर लीजिये। पानी को फिर ठंडा कर लीजिये। ठंडा होने के बाद इस पानी को चाय की तरह से पी लीजिये और जो जीरा इसमें है इसको चबा के खा लीजिये तो नियमित रूप से अपने अगर लेना शुरू किया तो ये जीरा पित्त के सभी रोगों को आपके शरीर से दूर कर देगा।
जीरा के सेवन से गैस बनना बंद हो जाएगी, खट्टी डकारे आना बंद हो जाएगी, भोजन की जो अपच है वो ठीक हो जाएगी, वोमतिंग Sensation बिलकुल ठीक हो जायेगा. ये सब बीमारी पित्त से संबंधित जितनी भी है. जो भी ये कहता है कि उनका पित्त बिगड़ गया है, उनको सबको बोले कि जीरा खाए।
एसिडिटी भी पित्त की ही बीमारी है तो जीरा बहुत अच्छी औसोध है, अब आप सोच रहे होंगे कि कितने दिन तक लेना है, तीन चार महीने ही लेनी है, इसे ज्यादा समय तक कोई भी औसध लेने की जरूरत नही पडती, अगर आप इसका पाउडर खाए तो भी चलेगा चलेगा।
जीरे के पानी को ऐसे भी करें उपयोगजीरे के पानी में अपनी मनपसंद सब्जियां डालकर उबाल लें और पिएं। चावल बनाते समय उसमें जीरे का पानी मिला लें। इससे चावल का टेस्ट बढ़ेगा। साथ ही डाइजेशन भी ठीक रहेगा। छाछ में जीरे का पानी मिलाकर पीने से गर्मी में होने वाली पेट की तकलीफें दूर होती हैं।
इन रोगो के लिए अमृत है जीरापेट में दर्द : पिसा हुआ जीरा 2 ग्राम को शहद के साथ गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।सफेद जीरा को शराब के साथ पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
बारीक पिसा हुआ जीरा 3-3 ग्राम को गर्म के पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से बदन दर्द और पेट के दर्द से छुटकारा मिलता है। भुना काला जीरा 120 मिलीग्राम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
कब्ज : भुना जीरा 120 ग्राम, धनिया भुना हुआ 80 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, नमक 100 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, नींबू का रस 15 मिलीलीटर, देशी खांड 200 ग्राम आदि को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसमें से दो ग्राम की खुराक बनाकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है और भूख बढ़ती है।
25 ग्राम काला और सफेद भुना हुआ जीरा, पीपल 25 ग्राम, सौंठ 25 ग्राम, कालीमिर्च 25 ग्राम और कालानमक 25 ग्राम को मिलाकर पीसकर रख लें, बाद में 10 ग्राम भुनी हुई हींग को पीसकर मिला दें। फिर इस बने चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर छोटी-छोटी बराबर गोलियां बनाकर सुखाकर खाना खाने के बाद दो गोलियां खुराक के रूप में सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है।
पेट की गैस बनना : जीरा, सोंठ, बच और भुनी हींग को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस बने चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
वमन (उल्टी) : कदम के छाल के रस को अगर जीरे और मिश्री के साथ पिलाया जाए तो उल्टी के साथ-साथ बुखार और दस्त हो तो वह भी ठीक हो जाता है। एक चम्मच भुने जीरे के बारीक चूर्ण में एक चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना खाना खाने से बाद लें। इससे उल्टी ठीक होती है।
मुंह के छाले : जीरा को भूनकर और सेंधानमक जीरे के बराबर मिलाकर पीस लें। इसे मुंह में लगाने से छाले ठीक होते हैं।
दस्त : सफेद जीरा के बारीक चूर्ण को आधा से 2 ग्राम की मात्रा में दही के साथ रोजाना 2 से 3 बार खायें। इससे दस्त, भोजन का न पचना और भूख के कम लगने की बीमारी ठीक होती है। सेंके हुए जीरे में आधी चम्मच की मात्रा में शहद को डालकर रोजाना 1 दिन में चाटें। पतले दस्त होने पर जीरे को सेंक कर, पीसकर आधा चम्मच शहद में मिलाकर 4 बार रोज चाटें। खाना खाने के बाद छाछ में सेंका हुआ जीरा, कालानमक मिलाकर पीएं। इससे दस्त बंद हो जाएंगे।
खाना खाने के बाद छाछ में सिंका हुआ जीरा को काले नमक में डालकर खाने से दस्त में लाभ मिलता है। एक चम्मच जीरा, 2 कली लहसुन की पुती, एक चम्मच सोंठ, एक चम्मच सौंफ, 2 लौंग और अनार के फल के 4 दानों को डालकर भूनकर पीस लें, फिर इस बने चूर्ण को आधी चम्मच की मात्रा में एक दिन में 3 बार सेवन करने से दस्त में लाभ मिलता है। जीरा और चीनी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर 1 चम्मच की मात्रा में छाछ के साथ पिलाने से अतिसार का बार-बार आना बंद हो जाता है।
हिचकी का रोग : आधा से 2 ग्राम सफेद जीरा सुबह-शाम घी के साथ सेवन करने से हिचकी की बीमारी दूर होती है।
अजीर्ण : 3 से 6 ग्राम भुने जीरे एवं सेंधानमक के चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार जरूर लें। इससे अजीर्ण का रोग समाप्त हो जाता है।
पेचिश : सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में चार बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
खट्टी डकारें : 5-10 ग्राम जीरे को घी में मिलाकर गर्म कर लें, इसे भोजन के समय चावल में मिलाकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हैं।
बुखार : जीरे का 5 ग्राम चूर्ण पुराने गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से बुखार व जीर्ण बुखार उतर जाता है।
अम्लपित्त के कारण सीने में जलन : अम्लपित्त के कारण भोजन के बाद होने वाली छाती की जलन में धनिया और जीरे का चूर्ण एक साथ लेने से लाभ मिलता है।
खांसी : जीरे का काढ़ा या इसके कुछ दानों को चबाकर खाने से खांसी एवं कफ दूर होता है।
पुराना बुखार : कच्चा पिसा हुआ जीरा 1 ग्राम इतने ही गुड़ में मिलाकर दिन में 3 बार लगातार सेवन करें। इससे पुराना से पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है।
पाचक चूरन : जीरा, सोंठ, सेंधानमक, पीपल, कालीमिर्च प्रत्येक सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच खाना खाने के बाद ताजा पानी के साथ खाने से भोजन जल्दी पच जाता है।
खूनी बवासीर : जीरा, सौंफ, धनिया को एक-एक चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो इसे छान लें, फिर इसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में रक्त गिरना बंद हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में ज्यादा फायदेमंद होता है।
प्रदर रोग : 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण और 1 ग्राम मिश्री के चूर्ण को कडुवे नीम की छाल के काढे़ में मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर नष्ट होता है। जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है। 1 चम्मच जीरा लेकर तवे पर भून लें। फिर इसे पीसकर थोड़ी-सी चीनी मिलाकर फांक लें। इससे श्वेतप्रदर मिट जाता है।
पथरी : जीरे और चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में तीन बार ठण्डे पानी के साथ फांकी लेने से पथरी ठीक होती है।
अम्लपित्त : जीरा, धनिया और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में पीसकर मिलाकर 2-2 चम्मच सुबह और शाम भोजन के बाद ठण्डे पानी से फंकी लेने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
बवासीर (अर्श) : जीरा और मिश्री को कूटकर पानी के साथ खाने से बवासीर (अर्श) के दर्द में आराम रहता है। जीरा, सौंफ और धनिया 1-1 चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर आधा पानी खत्म होने तक उबालें, फिर पानी को छानकर उस में 1 चम्मच घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग में आराम मिलता है।
हार्ट प्रॉब्लम का खतरा : इससे बॉडी में कोलेस्ट्रोल लेवल कम होता है. यह हार्ट प्रॉब्लम से बचाता है।
डायबटीज की संभावना : इससे बॉडी में ग्लूकोज का लेवल बना रहता है यह डायबटीज से बचाता है।
मसल्स पैन : इस ड्रिंक से ब्लड संचालन ठीक होता है. इससे मसल्स रिलैक्स होती है और पैन दूर होता है।
स्किन प्रॉब्लम : इससे बॉडी के Toxins दूर होते है, यह स्किन प्रॉब्लम जैसे पिम्पल्स से बचाता है।
डाइजेशन ख़राब : इसमे मौजूद फाइबर डाइजेशन बढ़ाते है, इससे एसिडिटी जैसी पेट की बीमारी से बचाता है।
वजन ज्यादा : इससे बॉडी का मेटाबोलिज्म बढता है और वजन कम होता है।
खून की कमी : इसमें आयरन होता है जो एनीमिया (खून की कमी) से बचाता है।
ब्लड प्रेसर की प्रॉब्लम : इससे ब्लड संचालन सही से होता है, यह ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल करता है।
नींद कम आती है : जीरे का पानी पीने से ब्रेन रिलेक्स रहता है और नींद अच्छी आती है।
खाज-खुजली : जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से शरीर की खुजली और पित्ती (गर्मी) मिट जाती है।
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