आजकल विज्ञान इतना आगे निकल गया है कि हमने कई मामलों में प्रकृति को भी मात दे दी है. पर इस विकास में इंसानों से कई प्रकार की गलतियां भी हो जाती हैं. एक अमेरिकी महिला के साथ भी ऐसा ही हुआ. ये महिला बिना पति के प्रेग्नेंट हुई. वो अपनी प्रेग्नेंसी से बहुत खुश थी. पर जब उसका बच्चा पैदा हुआ तो वो बेहद हैरान हो गई. उसने बच्चे का अपने साथ डीएनए टेस्ट करवाया, जिसके बाद उस सच से पर्दा उठा, जिसके बारे में वो महिला भी नहीं जानती थी.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जॉर्जिया की रहने वाली क्रिस्टीना मुर्रे (Krystena Murray) ने मई 2023 में कोस्टल फर्टिलिटी क्लीनिक में IVF का ट्रीटमेंट करवाया था. वो शादीशुदा हैं या नहीं, इसके बारे में तो जानकारी नहीं है, पर बिना पार्टनर या पति के ही वो आईवीएफ के जरिए प्रेग्नेंट हुई थीं. प्रेग्नेंट होने के लिए उन्होंने एक स्पर्म डोनर के स्पर्म का इस्तेमाल किया था. आपको बता दें कि आईवीएफ एक ऐसा प्रोसीजर होता है जिसके तहत एक महिला के एग को पुरुष के स्पर्म के साथ लैब में फर्टिलाइज किया जाता है. इसके बाद भ्रूण को उस महिला के गर्भाशय में प्लांट किया जाता है, जहां वो प्राकृतिक रूप से बढ़ता है.
महिला ने करवाया डीएनए टेस्ट क्रिस्टीना एक श्वेत महिला थीं, पर जब उन्होंने दिसंबर 2023 में बच्चे को जन्म दिया तो वो दंग रह गईं, क्योंकि वो अश्वेत था. बच्चा न ही उनके जैसा था और न ही उस स्पर्म डोनर के जैसा लग रहा था, वो पूरी तरह अलग था. इस गलती के बावजूद भी महिला उस बच्चे को अपनी संतान की तरह रखकर पालना चाहती थी. उसने कुछ महीनों तक ऐसा ही किया मगर बाद में कोर्ट द्वारा उसके असली मां-बाप को उसकी कस्टडी सौंप दी गई. महिला ने बच्चे से अपना संबंध जांचने के लिए घर पर डीएनए टेस्ट किट मंगवाई और टेस्ट भी किया. उसे टेस्ट के नतीजे 2024 में मिले जो वैसे ही थे, जैसा महिला ने अंदाजा लगाया था. बच्चा किसी और का था, महिला से उसका कोई संबंध नहीं था.
कोर्ट पहुंचा मामला महिला उस बच्चे से प्यार करने लगी थी, हालांकि, वो न ही परिवार, न ही दोस्तों को उससे मिलने देती थी, जिससे किसी को पता न चल जाए कि वो उसका बच्चा नहीं है. महिला ने इस बीच क्लिनिक के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवाई. उसने जब क्लिनिक को इस गलती के बारे में बताया तो उन्होंने बच्चे के असली माता-पिता को भी सूचित कर दिया. जब बच्चा 3 महीने का हुआ, तो उन्होंने क्रिस्टीना के खिलाफ केस किया और बच्चे की कस्टडी मांगी. जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो क्रिस्टीना ने खुद ही बच्चे की कस्टडी सौंप दी. उसकी लीगल टीम ने साफ कह दिया था कि ये केस उसके जीतने का कोई चांस नहीं है. बच्चा अब अपने बायोलॉजिकल पैरेंट्स के साथ दूसरे राज्य और दूसरे नाम के साथ रह रहा है. अभी तक महिला को नहीं पता चला कि आखिर ये गलती हुई कैसे. महिला की ओर से कोर्ट में कहा गया कि किसी बच्चे को जन्म देना, वो पीड़ा सहना, उसे पालना अपने आप में एक अलग अनुभव था, अब क्रिस्टीना बच्चे से बिछड़ने के दर्द से आजाद नहीं हो पाएगी।
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