नोएडा, 2 मई (आईएएनएस)। गर्मियों की तपती धूप और बढ़ता तापमान हर किसी के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय विशेष रूप से सावधानी बरतने का होता है। गर्मी के मौसम में गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल की ज़रूरत है। इसी संबंध में समाचार एजेंसी आईएएनएस ने नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. मीरा पाठक से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने गर्मी के मौसम में गर्भवती महिलाओं को होने वाली समस्याओं और उनसे बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. मीरा पाठक ने बताया कि गर्भावस्था में शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे महिलाओं को पहले से ही पेट भरा हुआ महसूस होता है। इसके अलावा, जी मिचलाना, चक्कर आना, घबराहट और थकावट जैसे लक्षण होते हैं। गर्मी का मौसम इन लक्षणों को और अधिक बढ़ा देता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के शरीर में दो जीवन पल रहे होते हैं, इसलिए डिहाइड्रेशन के खतरे और भी अधिक हो जाते हैं। गर्मी में ब्लड प्रेशर गिरने या बढ़ने की संभावना रहती है, जिससे मां और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।
डॉ. ने कहा कि गर्मियों में बाहर का खाना जल्दी खराब हो जाता है, जिससे पेट से जुड़ी बीमारियों जैसे डायरिया, टाइफॉइड, और जॉन्डिस का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर होती है, जिससे संक्रमण जल्दी पकड़ में आ सकता है और इसका असर सीधे बच्चे पर भी पड़ सकता है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि गर्भवती महिलाओं की त्वचा ज्यादा संवेदनशील हो जाती है, जिससे स्किन रैशेज, इंफेक्शन और पिगमेंटेशन की संभावना बढ़ जाती है। गर्मी के दौरान शरीर का तापमान संतुलित रखना चुनौती बन जाता है, क्योंकि बाहर का तापमान 42-43 डिग्री तक पहुंच सकता है, जबकि शरीर को 37 डिग्री पर बनाए रखना जरूरी होता है। इससे हीट वेव और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी सावधानियां और सुझाव पर बात करते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि डिहाइड्रेशन से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी या अन्य तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, और घर के बने फ्रेश जूस पीना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैकेट या बाहर के जूस से परहेज करें। उन्होंने बाहर का या बासी खाना खाने से बचने की भी सलाह दी। डॉ. ने कहा कि इससे पेट के संक्रमण, उल्टी, दस्त, और जॉन्डिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में हाइड्रेटिंग फल शामिल करना चाहिए। तरबूज, खरबूजा, अंगूर, केला, खीरा और ककड़ी जैसे फलों को आहार में शामिल करें। ये शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखते हैं। दूध की जगह दही खाएं, क्योंकि इसमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो पेट की सेहत को दुरुस्त रखते हैं और इसकी तासीर भी ठंडी होती है।
डॉ. मीरा ने गर्मी के मौसम में गर्भवती महिलाओं को हल्के रंग के, ढीले और सूती कपड़े पहनने की सलाह दी। इसके साथ ही उन्होंने घर से बाहर जाने के दौरान सिर को दुपट्टा या टोपी से ढकने, सनस्क्रीन का प्रयोग करने और टाइट जूते, हील्स और मोज़े न पहनने की सलाह दी।
उन्होंने आगे कहा कि गर्भवती महिलाओं को एसी या कूलर का प्रयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए कि कमरे का तापमान 24 से 26 डिग्री पर रहे। एसी की समय-समय पर सर्विसिंग कराएं और सीधे हवा से बचें। कमरे में वेंटिलेशन अच्छा होना चाहिए। इसके अलावा, योग और व्यायाम के लिए सुबह जल्दी या शाम के समय का चयन करें, जब मौसम ठंडा हो। उन्होंने यह भी कहा कि खुली और हवादार जगह में प्राणायाम, तितली आसन जैसे हल्के योगासन फायदेमंद होते हैं।
डॉ. मीरा पाठक ने आगे कहा कि यदि अधिक पसीना आ रहा है, बुखार हो रहा है, पेट में तेज दर्द है, दस्त हो रहे हैं, पेशाब कम या गाढ़े रंग की हो रही है, बच्चा कम हरकत कर रहा है, चक्कर या बेहोशी जैसा महसूस हो रहा है, तो यह गंभीर संकेत हैं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी सलाह देते हुए डॉ. ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं को अपने शरीर के संकेतों को समझना चाहिए और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, संतुलित और पौष्टिक आहार लेना बेहद महत्वपूर्ण है, जिसमें कम से कम पांच अलग-अलग रंगों के खाद्य पदार्थ जैसे हरी सब्जियां, फल, अनाज और प्रोटीन शामिल हों।
इसके अलावा, उन्होंने पर्याप्त नींद पर भी जोर दिया और कहा कि रात में 8 घंटे की नींद और दिन में 2 घंटे का आराम जरूरी है। उन्होंने गर्भवती महिलाओं को तनाव से बचने और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने की सलाह दी, क्योंकि तनाव मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। साथ ही, नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराने और उनकी सलाह का पालन करने की बात कही। डॉ. पाठक ने विशेष रूप से गर्मियों में अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी, क्योंकि इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही मां और बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने अंत में जोर देकर कहा कि सतर्कता और सही देखभाल से गर्भावस्था को सुरक्षित और स्वस्थ बनाया जा सकता है।
--आईएएनएस
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