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भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन: चीन को चुनौती देने की तैयारी

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भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन बढ़ाने का कदम

भारत ने पहले आईफोन, स्मार्ट टीवी और माइक्रोवेव ओवन के बाद अब उन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है, जो पहले आयात किए जाते थे। इसका उद्देश्य चीन के इलेक्ट्रॉनिक बाजार को चुनौती देना है। हाल ही में, भारत ने रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर, कॉफी मेकर, बिल्ट-इन रेफ्रिजरेटर और एयर फ्रायर जैसे उत्पादों के निर्माण में वृद्धि की है, जो पहले पूरी तरह से आयात किए जाते थे.


सरकारी नीतियों का प्रभाव

उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, यह विकास सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बढ़ती सूची के कारण हो रहा है, जिनके लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) के तहत प्रमाणन आवश्यक है। इसका मुख्य उद्देश्य आयात को नियंत्रित करना और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना है। पिछले आठ से नौ महीनों में, कई उपभोक्ता उत्पाद कंपनियों ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है.


स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन

डिक्सन टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक अतुल लाल ने बताया कि बीआईएस मानदंडों ने कई ब्रांडों को स्थानीय उत्पादन की संभावनाओं की खोज करने के लिए प्रेरित किया है। हाल ही में, डिक्सन ने रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर के निर्माण के लिए यूरेका फोर्ब्स के साथ एक समझौता किया है, जिसका बाजार आकार लगभग 700 करोड़ रुपये है.


यूरोपीय कंपनियों का निवेश

यूरोप की कंपनी लीभेर ने औरंगाबाद में बिल्ट-इन कस्टमाइज्ड रेफ्रिजरेटर के लिए एक प्लांट स्थापित किया है, जिसका उत्पादन अप्रैल में शुरू होगा। कंपनी के एमडी कपिल अग्रवाल ने कहा कि इस साल से रेफ्रिजरेटर के लिए बीआईएस मानदंडों का कार्यान्वयन स्थानीय स्तर पर कारखाना स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.


स्थानीय स्रोतों पर ध्यान

क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि वह इस वित्त वर्ष में स्थानीय स्रोतों को प्राथमिकता देगी। हैवेल्स इंडिया ने भी आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उत्पादों के स्थानीयकरण को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है.


बाजार का आकार

क्यूसीओ लागू होने से पहले कई कंपनियों ने इन उत्पादों का भारी मात्रा में आयात किया था। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि स्टैंडअलोन श्रेणियों के लिए बाजार का आकार भले ही छोटा हो, लेकिन कुल मिलाकर यह 12,000-13,000 करोड़ रुपये का व्यावसायिक अवसर है.


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