(8वें वेतन आयोग का नवीनतम अपडेट): कर्मचारियों की सैलरी में कई घटक शामिल होते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण बेसिक सैलरी है। यह सैलरी वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार निर्धारित की जाती है। इसी बेसिक सैलरी के आधार पर महंगाई भत्ते (8वें वेतन आयोग का DA) और एचआरए जैसे भत्ते तय होते हैं। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू हुए लगभग 9 वर्ष हो चुके हैं, जिससे 8वें वेतन आयोग के गठन की मांग बढ़ गई है।
कर्मचारियों की बेसिक सैलरी की जानकारी
2014 में 7वें वेतन आयोग की स्थापना की घोषणा की गई थी, जिसे 2016 में लागू किया गया। इस आयोग के अनुसार, कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये और अधिकतम बेसिक सैलरी 2,50,000 रुपये है।
8वें वेतन आयोग पर सरकार का जवाब
कर्मचारी वर्ग 8वें वेतन आयोग की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इस विषय पर लंबे समय से चर्चा चल रही है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने लोकसभा में 8वें वेतन आयोग के संबंध में एक महत्वपूर्ण उत्तर दिया है, जिसने कर्मचारियों में नई चर्चाओं को जन्म दिया है।
सरकार का स्पष्ट उत्तर
3 दिसंबर 2024 को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में 8वें वेतन आयोग को लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इससे कर्मचारियों में निराशा का माहौल है।
सैलरी का वर्तमान ढांचा
मंत्री ने बताया कि कर्मचारियों को अभी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही सैलरी मिलेगी। नए वेतन आयोग के गठन की कोई योजना नहीं है, जिससे 8वें वेतन आयोग के गठन पर सवाल उठ गए हैं।
कर्मचारियों की दीर्घकालिक मांग
कर्मचारी लंबे समय से 8वें वेतन आयोग की मांग कर रहे हैं। आमतौर पर हर दस साल में नया वेतन आयोग लागू किया जाता है, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि 2014 के बाद अब नए आयोग की घोषणा की जानी चाहिए।
महंगाई भत्ते पर उम्मीदें
सरकार के उत्तर से यह स्पष्ट हो गया है कि फिलहाल 8वां वेतन आयोग लागू नहीं होगा। ऐसे में कर्मचारियों को जनवरी में महंगाई भत्ते में वृद्धि की उम्मीद है।
सैलरी संशोधन का नया फॉर्मूला
कर्मचारियों की मांग है कि 7वें वेतन आयोग के तहत मिल रही सैलरी वर्तमान समय में पर्याप्त नहीं है। इसलिए, वे 8वें वेतन आयोग की मांग के साथ-साथ सैलरी संशोधन के लिए नए फॉर्मूले की भी मांग कर रहे हैं।
8वें वेतन आयोग की उम्मीदें
सरकार ने जो उत्तर दिया है, उसके अनुसार फिलहाल 8वें वेतन आयोग के गठन की कोई योजना नहीं है। हालांकि, भविष्य में इस पर निर्णय लिया जा सकता है, और कर्मचारियों की मांग का दबाव भी सरकार पर पड़ सकता है।
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