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बहराइच अस्पताल में मरे व्यक्ति का इलाज करने का आरोप, परिजनों का हंगामा

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डॉक्टरों पर गंभीर आरोप

अनूप मिश्रा, बहराइच. वर्तमान में पैसों की लालसा हर किसी को प्रभावित कर रही है, जिसमें डॉक्टर भी शामिल हैं। जिन्हें 'धरती का भगवान' कहा जाता है, वे भी इस प्रवृत्ति से अछूते नहीं हैं।


यह स्थिति अधिकांश अस्पतालों में देखने को मिल रही है। सभी इस पैसों के खेल को जानते हैं, लेकिन कोई भी इसके बारे में खुलकर बात नहीं करता, सिवाय उन लोगों के जो इस खेल का शिकार होते हैं। कुछ लालची व्यक्तियों के कारण कई ईमानदार डॉक्टरों की छवि भी धूमिल हो जाती है। ऐसा ही एक मामला बहराइच के बिटाना एंड चंद्रावती अस्पताल से सामने आया है, जहां एक मृत व्यक्ति का इलाज किया जा रहा था।image


परिजनों का आरोप

बिटाना एंड चंद्रावती अस्पताल के प्रबंधन पर एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं। मृतक के परिजनों का कहना है कि एक सड़क दुर्घटना में घायल युवक का इलाज करते समय अस्पताल ने लगभग 9 लाख रुपये की मांग की। घटना के अनुसार, युवक की मृत्यु अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि युवक की मृत्यु 6-7 दिन पहले हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल के डॉक्टर मृत शरीर को रखकर इलाज के नाम पर पैसे वसूल रहे थे।


गुस्साए परिजनों का प्रदर्शन

परिजन और स्थानीय लोग अस्पताल परिसर में पहुंचे और हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने पैसे की वसूली के लिए मृतक की लाश को रखा। इसके बाद परिजन सड़क जाम कर प्रदर्शन करते रहे। प्रशासन को इसकी जानकारी मिली, जिसके बाद एसडीएम और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।


जिला प्रशासन की कार्रवाई

जिला प्रशासन ने हंगामे की सूचना मिलने पर पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचकर गुस्साए परिजनों को शांत कराया। अधिकारियों ने जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया। मृतक की पत्नी ने कहा कि इलाज के दौरान उनके पति की जान चली गई। प्रशासन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।


मृतक की पत्नी का बयान

महिला ने बताया कि 'एक्सीडेंट के बाद राहगीरों ने उन्हें चंद्रावती अस्पताल में भर्ती कराया। जब तक हम पहुंचे, उन्हें आईसीयू में ले जाया गया। हमें कहा गया कि पैसे जमा करें, जिसके लिए हमने अपनी जमीन बेचकर पैसे दिए। अब तक 10 लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। हमें कहा गया कि 1 लाख 70 हजार रुपये लाओ, तभी पति की घोंटी काटकर नलकी डाली जाएगी। हमने कहा कि नलकी मत काटो। इसके बाद हमें खून देने के लिए कहा गया, लेकिन एक भी यूनिट नहीं चढ़ाया गया। हमें बताया गया कि वे जीवित हैं, जबकि हमारे पति को मरे 7 दिन हो चुके हैं।'


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