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सिवासागर में गैस रिसाव: सुरक्षा उपायों की कमी पर उठे सवाल

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गैस रिसाव की स्थिति

स्थानीय निवासियों ने 16 दिनों तक कठिनाई झेली, जिसके बाद सिवासागर जिले में ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) के स्वामित्व वाले गैस कुएं को सफलतापूर्वक बंद कर दिया गया। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप पर्यावरण और वायुमंडल में प्रदूषण, खाली घर और कई अनुत्तरित प्रश्न खड़े हो गए हैं।


सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन

गैस रिसाव के विश्वसनीय विश्लेषण ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन और ONGC द्वारा नियुक्त निजी कंपनी की क्षमता और पेशेवरता पर गंभीर चिंताएं उठाई हैं। उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा तंत्र से संबंधित मानक प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई।


ONGC की लापरवाही

यह स्पष्ट है कि निजी ऑपरेटर की तैयारी में कमी थी, लेकिन ONGC ने भी तेल कुएं के संचालन के प्रति लापरवाह दृष्टिकोण अपनाया। गैस रिसाव ने ONGC की आपातकालीन तैयारियों की कमी को उजागर किया।


विशेष संकट प्रबंधन टीम की भूमिका

सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद, दो सप्ताह तक गैस के विशाल उत्सर्जन पर नियंत्रण पाना मुश्किल था। अंततः, अमेरिका से आई एक विशेष संकट प्रबंधन टीम की मदद से गैस कुएं को बंद किया जा सका।


आपातकालीन तैयारियों की आवश्यकता

हमारे पास तेल अन्वेषण का एक लंबा इतिहास है, फिर भी जब भी कोई आपदा आती है, हम हमेशा गलत स्थिति में होते हैं। यह समय है कि हम इस प्रकार की आपदाओं से निपटने में अपनी विशेषज्ञता को सुधारने पर गंभीरता से विचार करें।


भविष्य के लिए सबक

बाघजान गैस कुएं के रिसाव की यादें अभी भी ताजा हैं, जिसने बड़े क्षेत्र को प्रभावित किया था। दुर्भाग्यवश, उस आपदा ने भी अधिकारियों को प्रभावी कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील नहीं किया।


तेल प्रतिष्ठानों की आपात स्थितियों को रोकने के लिए, अधिकारियों को अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए। अनुभव ने दिखाया है कि ऐसे खतरनाक उद्योगों के ऑपरेटरों द्वारा मामलों को लापरवाही से लिया जाता है।


इसलिए, सुरक्षा उपायों का समुचित पुनर्निर्माण, जिसमें उनकी स्थापना, रखरखाव और निगरानी शामिल है, को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।


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