कर्नाटक के धर्मस्थल में चल रही जांच ने एक चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया है। एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने बताया कि उसने कई वर्षों तक सैकड़ों शवों को गुप्त रूप से दफनाते हुए देखा है। इस जानकारी की पुष्टि के लिए एसआईटी ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक का उपयोग किया, जिससे जमीन के नीचे दबे मानव कंकालों का पता लगाया गया।
जांच की शुरुआत और प्रगति
इस जांच की शुरुआत 29 जुलाई को साइट नंबर 1 से हुई, जिसमें कुल 17 स्थानों पर खुदाई की गई। पहले चरण में 16 साइट्स से मानव कंकाल मिले थे, जिनमें साइट 6 और साइट 11-ए से महत्वपूर्ण सबूत प्राप्त हुए। अब साइट 13 की जांच में जीपीआर तकनीक से बिना मिट्टी खोदे भी मानव अवशेषों की पहचान की गई है।
गवाहों के बयान और जांच कड़ी
शुरुआत में एक सफाई कर्मचारी ने यह जानकारी दी थी, लेकिन अब छह अन्य गवाह भी सामने आए हैं, जिन्होंने यह बताया है कि उन्होंने कई बार शवों को दफनाते देखा है। जांच में धर्मस्थल और बेलाथंगड़ी थानों से 1995 से 2014 तक के लापता व्यक्तियों और दुर्घटनाग्रस्त शवों की सूची मांगी गई है।
सामाजिक विरोध और मानवाधिकार आयोग की निगरानी
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, कुछ पत्रकारों और यूट्यूबर्स पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं। सोशल मीडिया पर एक छात्र ने आरोप लगाया कि उसे एसआईटी जांच और विरोध मार्च में भाग लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की रिपोर्ट पर नजर रखना शुरू कर दिया है।
आगे की प्रक्रिया
कर्नाटक सरकार ने एसआईटी ऑफिस को पुलिस स्टेशन का दर्जा दिया है, जहां लोग सीधे एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। जांच के पहले चरण के नतीजों का इंतजार किया जा रहा है, और आगामी रिपोर्ट से और भी तथ्य सामने आएंगे। यह जांच धर्मस्थल के इतिहास के उन छुपे पहलुओं को उजागर कर रही है जो पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर रहे हैं।
निष्कर्ष
धर्मस्थल की यह जांच मानवाधिकार और न्याय के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाती है। इन गुप्त कब्रगाहों में दबे राजों का खुलासा कर समाज को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। समुदाय के हित में इस जांच का निष्पक्ष और तेज़ पूरा होना आवश्यक है।
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