बवासीर, जिसे अर्श भी कहा जाता है, मुख्यतः कब्ज के कारण होता है। जब व्यक्ति अधिक मिर्च-मसाले और बाहर के खाने का सेवन करता है, तो पेट में कब्ज उत्पन्न होती है, जिससे मल सूखा और कठोर हो जाता है। इस स्थिति में मल करते समय जोर लगाना पड़ता है, जिससे बवासीर का रोग विकसित होता है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: खूनी बवासीर और वादी बवासीर। खूनी बवासीर में मल के साथ खून आता है, जबकि वादी बवासीर में मलद्वार पर सूजन होती है, लेकिन खून नहीं आता। बवासीर के अन्य प्रकारों में पित्तार्श, कफार्श, वातार्श, सन्निपातार्श, संसार्गर्श और रक्तार्श शामिल हैं।
बवासीर के कारण
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज है। जब कोई व्यक्ति अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन का सेवन करता है, तो उसकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है, जिससे कब्ज उत्पन्न होती है। इसके परिणामस्वरूप मलद्वार में चोट लगने से मस्से बन जाते हैं।
बवासीर के लक्षण
बवासीर के लक्षणों में मलद्वार से बाहर मांसांकुर का निकलना, शौच के दौरान खून आना, चलने में परेशानी, और सिर में चक्कर आना शामिल हैं।
बवासीर के घरेलू उपचार
हारसिंगार: हारसिंगार के फूलों को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करने से बवासीर में राहत मिलती है।
कपूर: कपूर और अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण बनाकर सेवन करने से भी बवासीर में सुधार होता है।
वनगोभी: वनगोभी के पत्तों का रस बवासीर के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।
मूली: मूली का रस और जलेबी का सेवन करने से बवासीर ठीक हो सकता है।