यह कहानी उत्तर प्रदेश की है, जहां एक टैक्सी चालक ने एक लड़की की जान बचाई। टैक्सी ड्राइवर का नाम राजवीर है, और जिस लड़की की जान उसने बचाई, उसका नाम आशिमा है। सड़क पर होने वाली दुर्घटनाएं आम हैं, लेकिन यह घटना विशेष रूप से दिलचस्प है।
आजकल के समय में, जब अपने भी मदद नहीं करते, तब एक टैक्सी ड्राइवर ने एक अनजान लड़की की जान बचाकर एक मिसाल पेश की।
आशिमा अपने कॉलेज की ओर जाते समय सड़क पार कर रही थी, तभी उसका एक्सीडेंट हो गया। वह सड़क पर काफी देर तक पड़ी रही, लेकिन वहां से गुजरने वाले कई लोगों ने उसकी मदद नहीं की। तब राजवीर ने उसे देखा और उसकी स्थिति को देखकर दया आई। उसने उसे अपनी टैक्सी में बैठाया और अस्पताल पहुंचाया।
जब डॉक्टर ने राजवीर को बताया कि आशिमा का तुरंत ऑपरेशन करना होगा, तो उसने बिना किसी देरी के अपनी टैक्सी को ढाई लाख में बेच दिया और उसका इलाज कराया। राजवीर टैक्सी चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था और हाल ही में उसने नई टैक्सी खरीदी थी।
जब आशिमा ठीक होकर घर लौटी, तो उसने राजवीर के घर जाकर उसकी स्थिति के बारे में जाना। राजवीर ने अपनी रोजी-रोटी के लिए अपनी टैक्सी बेच दी थी। आशिमा ने उसे बताया कि उसकी पढ़ाई पूरी हो गई है और उसका कन्वोकेशन है। राजवीर उसकी सफलता पर खुश हुआ और अपने परिवार के साथ कार्यक्रम में शामिल हुआ।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने आशिमा का नाम लिया और उसे गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। आशिमा ने मेडल देने के बजाय अपने भाई राजवीर को धन्यवाद दिया और उनकी कहानी सुनाई, जिससे वहां मौजूद लोगों की आंखों में आंसू आ गए।
इसके बाद, आशिमा ने राजवीर को एक नई टैक्सी दी और उसके साथ रहने लगी। यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमें समाज में ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए, जो मजबूर हैं।
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