पानी हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि हमारे शरीर की सभी जैविक प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चलती रहें। शरीर को हाइड्रेटेड रखने का सबसे प्रभावी तरीका पानी पीना है।
इंसान के शरीर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना होता है। आपने अक्सर सुना होगा कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण? आइए जानते हैं कि खड़े होकर पानी पीने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद के अनुसार, खड़े होकर पानी पीने से पेट की दीवारों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं, तो यह सीधे भोजन नलिका से पेट में चला जाता है, जिससे पेट के आस-पास के अंगों को नुकसान हो सकता है।
इसका मुख्य कारण यह है कि खड़े होकर पानी पीने पर शरीर पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है।
किडनी और मूत्राशय पर प्रभाव
जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं, तो यह बिना किडनी से छने सीधे बह जाता है। इससे किडनी और मूत्राशय में गंदगी जमा हो सकती है, जिससे मूत्रमार्ग में संक्रमण या किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
शारीरिक मुद्रा का महत्व
पानी पीने की मुद्रा और शरीर की स्थिति का गहरा संबंध है। खड़े होकर पानी पीने से उत्पन्न उच्च दबाव का प्रभाव शरीर के संपूर्ण जैविक तंत्र पर पड़ता है, जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा, यह आर्थराइटिस जैसी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।
फेफड़ों पर प्रभाव
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि खड़े होकर पानी पीने से फेफड़ों को भी नुकसान होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस स्थिति में भोजन नलिका और श्वसन नलिका में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
यदि आप नियमित रूप से खड़े होकर पानी पीते हैं, तो इससे फेफड़ों और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
सही तरीके से पानी पीने के लाभ
इसलिए, पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए। बैठकर पानी पीने से पानी का प्रवाह धीमा होता है, जिससे शरीर इसे आसानी से पचा सकता है।
आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि पूरे दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीना स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आप किस मुद्रा में पानी पीते हैं।
पानी पीने का सही तरीका
हमें पानी को हमेशा बैठकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। घूँट-घूँट करके पीने से हमारे मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जाती है और पाचन में मदद करती है।
जब हम खाना चबाते हैं, तो लार भोजन के साथ मिलकर पाचन क्रिया को सुचारू बनाती है।
पानी पीने की आदतें
व्यक्ति को कभी भी खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए। ऐसा करने से घुटनों के दर्द से बचा जा सकता है।
जब भी आप घर से बाहर से लौटें, तो थोड़ी देर रुकें और फिर पानी पीएं। खाना खाने से कम से कम डेढ़ घंटे पहले पानी पीना चाहिए।
सुबह उठते ही बासी मुँह एक गिलास पानी पीना फायदेमंद होता है। यह रात भर में बने जीवाणुनाशक लार को पेट में पहुंचाता है।
कितना पानी पीना चाहिए?
आयुर्वेद के अनुसार, अपने वजन का 10वां भाग निकालकर उसमें से 2 घटाने पर जो मात्रा मिलती है, उतना पानी पीना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपका वजन 70 किलो है, तो आपको 5 लीटर पानी पीना चाहिए।
यह कब्ज, अपच और मोटापे जैसी समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है।
खड़े होकर पानी पीने के नुकसान
खड़े होकर पानी पीने से पेट पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम को नुकसान होता है।
इससे किडनी को गंभीर नुकसान हो सकता है और फेफड़ों पर भी बुरा असर पड़ता है।
खड़े होकर पानी पीने से तृप्ति का एहसास नहीं होता, जिससे बार-बार प्यास लगती है।
You may also like
शौच के लिए गई महिला, पीछे पीछे आया देवर. जिस हालत में देखा भाभी को हो गया बेहोंश ⁃⁃
PSEB Class 5 Result 2025 Expected Soon: Check Scorecard via Direct Link at pseb.ac.in
भारत की 10 मंदिरें जहां दिल खोलकर दान करते हैं भक्त ⁃⁃
LPG price: जनता को लगा महंगाई का झटका, आज से घरेलू गैस सिलेंडर के लिए देने होंगे इतने रुपए ज्यादा, जानें क्या है आपके शहर में कीमत
08 अप्रैल को इन राशियों को आर्थिक मामलो मे मिल सकता है किस्मत का साथ