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एक साल में 21% गिरा शेयर, अब महंगे क्रूड का प्रेशर! जानें एशियन पेंट्स के निवेशकों के लिए अलार्म या मौका?

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मिडल ईस्ट में तनाव बढ़ने से दुनियाभर के बाजारों में हलचल मच गई है. इजराइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष के कारण कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. जब भी क्रूड महंगा होता है, तो इसका सीधा असर उन कंपनियों पर पड़ता है जो इससे बने प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं. एशियन पेंट्स जैसी कंपनियों के लिए यह स्थिति चुनौती भरी हो सकती है, क्योंकि इनके पेंट्स और कोटिंग्स बनाने में कई ऐसे केमिकल्स और डेरिवेटिव्स का इस्तेमाल होता है, जो क्रूड ऑयल पर बेस्ड होते हैं.



जैसे ही क्रूड महंगा होता है, इन कंपनियों की लागत बढ़ जाती है और मुनाफा घटने की आशंका बढ़ जाती है. इससे शेयर प्राइस पर दबाव आ सकता है. हालांकि, अगर कंपनी लागत को प्राइस हाइक के जरिए पास ऑन कर दे और डिमांड बनी रहे, तो असर सीमित हो सकता है. इसके साथ ही, अगर निवेशकों को कंपनी के लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस पर भरोसा हो, तो शेयर में मजबूती भी देखने को मिल सकती है. आइए समझते हैं कि इजराइल-ईरान टेंशन के कारण क्रूड ऑयल की कीमते बढ़ने से एशियन पेंट्स पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.

  • प्रोडक्शन कॉस्ट में बढ़ोतरी : पेंट इंडस्ट्री में क्रूड डेरिवेटिव्स जैसे रेजिन, सॉल्वेंट्स और पिगमेंट्स का इस्तेमाल होता है. क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी से इन सामग्रियों की लागत बढ़ जाती है, जिससे प्रोडक्शन कास्ट में इजाफा होता है.
  • मुनाफे में कमी : हाई प्रोडक्शन कॉस्ट के कारण कंपनियों के मुनाफे पर दबाव पड़ता है. यदि कंपनियां बढ़ी हुई लागत को कस्टमर्स पर नहीं डाल पातीं, तो उनका मार्जिन कम हो सकता है.
  • शेयर मूल्य में उतार-चढ़ाव : क्रूड की कीमतों में बढ़ोतरी से निवेशकों का विश्वास प्रभावित हो सकता है, जिससे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
क्या पहले से बने प्रोडक्ट के कारण एशियन पेंट्स का मुनाफा बढ़ सकता है?

हां, बिल्कुल. कम से कम शॉर्ट टर्म में कंपनी का मुनाफा बढ़ सकता है. क्योंकि अगर एशियन पेंट्स के पास पहले से सस्ते रॉ मटीरियल पर बना स्टॉक मौजूद है (यानि जब क्रूड सस्ता था), तो वह उसे हाई कीमत पर बेच सकती है, जबकि उसकी प्रोडक्शन कॉस्ट (उत्पादन लागत) पहले जैसी ही बनी रहती है. इससे मार्जिन बढ़ता है और प्रॉफिट में इजाफा हो सकता है. अगर कंपनी अगली तिमाही या सालाना नतीजों में बेहतर मुनाफा दिखाती है, तो शेयरहोल्डर का सेटीमेंट पॉजिटिव हो सकता हैं और शेयर की कीमत बढ़ सकती है. लेकिन यह बढ़त स्थायी नहीं होगी अगर क्रूड के दाम लगातार ऊंचे बने रहते हैं. जब इन्वेंटरी खत्म हो जाएगी और कंपनी को महंगे कच्चे माल से नए प्रोडक्ट बनाने होंगे, तो लागत बढ़ेगी और मार्जिन घट सकता है.

  • शॉर्ट टर्म में : पुराने स्टॉक की वजह से कंपनी का मुनाफा बेहतर रह सकता है और शेयर पर पॉजिटिव असर हो सकता है.
  • लॉन्ग टर्म में : अगर क्रूड की कीमतें ऊंची बनी रहती हैं, तो यह मुनाफा दबाव में आ सकता है और शेयर पर निगेटिव असर संभव है.
पिछले 1 साल में 21.95% गिर चुका है एशियन पेंट्स का शेयर

आज यानी 18 जून को एशियन पेंट्स का शेयर 0.57% की मामूली तेजी के साथ 2,277.80 रुपए के स्तर पर बंद हुआ. पिछले 1 महीने में इस शेयर में 2.30% की गिरावट देखने को मिली है. इस साल अब तक की बात करें तो एशियन पेंट्स के शेयर में 1.17% की गिरावट देखने को मिली है. जबकि, पिछले 1 साल में इस शेयर ने 21.95% का निगेटिव रिटर्न दिया है.



डिस्क्लेमर : यह सिर्फ एक जानकारी है. इसे निवेश की सलाह ना समझें. निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर बात करें. बाजार में पैसा लगाने में जोखिम होता है और जो शेयर पहले अच्छा या बुरा रिटर्न दे चुका है, जरूरी नहीं कि वह भविष्य में भी वैसा ही रिटर्न देगा. इसलिए खुद सोच-समझकर ही निवेश करें.

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