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ऑप्शन ट्रेडिंग बंद करने का समय, रिटेल ट्रेडर्स डेरिवेटिव ट्रेड में लगातार कर रहे हैं नुकसान, सेबी के आंकड़े हैरान कर देंगे

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शेयर मार्केट में एक दुनिया है इन्वेस्टमेंट की जिसमें मिड टर्म और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में कहा जाता है कि निवेशक अगर अपने स्टॉक सिलेक्शन में सावधानी बरतें तो कुछ न कुछ रिटर्न यहां लेकर ही जाएंगे. इसके विपरित डेरिवेटिव सेगमेंट में Future and Option ट्रेडिंग इतनी वोलेटाइल है कि यहां फैसला तुरंत होता है और अधिकतर इस सेगमेंट में रिटेल ट्रेडर्स नुकसान उठाते हैं. सिक्यिरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया याने सेबी का प्रचलित डेटा है कि एफएंडओ में 93% लोग नुकसान करते हैं. अब सेबी का नया डेटा आपको और चौंका देगा.



मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सोमवार को एक स्टडी में कहा कि इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में भारत के रिटेल इन्डिविजुअल ट्रेडर्स ने वित्त वर्ष 2025 में नेट लॉस उठाया जो 41% बढ़कर 1.06 ट्रिलियन रुपये हो गया. यह स्टडी रिटेल इन्वेस्टर्स द्वारा संचालित डेरिवेटिव ट्रेडिंग में उछाल के बैक ड्रॉप में आया है, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी की संख्या को सीमित करने और ऐसे ट्रेडों को अधिक महंगा बनाने के लिए लॉट साइज़ बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है. इसके बावजूद डेरिवेटिव सेगमेंट में लॉस बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2025 के बीच कड़े उपाय लागू किये गए, जिससे छोते ट्रेडर्स घाटे से बच सकें.



स्टडी में टॉप 13 स्टॉकब्रोकर शामिल किए गए, जिनका जॉइंट क्लाइंट बेस 9.6 मिलियन यूनिक ट्रेडर्स का था, जबकि कुल बाजार आकार 10.7 मिलियन ट्रेडर्स का था.



इस महीने की शुरुआत में सेबी ने अमेरिकी सिक्योरिटी ट्रेड कंपनी जेन स्ट्रीट को अगले आदेश तक स्थानीय बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था और उसकी 567 मिलियन डॉलर की धनराशि जब्त कर ली थी और कहा था कि जांच में पाया गया कि कंपनी ने डेरिवेटिव में पोजीशन लेकर स्टॉक सूचकांक में हेरफेर किया था.



नियामक ने कहा कि सख्त उपायों के परिणामस्वरूप प्रीमियम शर्तों के अनुसार इंडेक्स ऑप्शन टर्नओवर में साल-दर-साल 9% की गिरावट आई है. हालांकि दो साल पहले की तुलना में प्रीमियम शर्तों के अनुसार इंडेक्स ऑप्शन वॉल्यूम में 14% की वृद्धि हुई है.



फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन के अनुसार भारत दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव मार्केट है, जो अप्रैल में वैश्विक स्तर पर कारोबार किए गए 7.3 बिलियन इक्विटी डेरिवेटिव में से लगभग 60% का प्रतिनिधित्व करता है.



सेबी ने लॉट साइज़ बढ़ाया, बीएसई और एनएसई एक्सचेंज की अब एक ही इंस्ट्रुमेंट में वीकली एक्सपायरी सीमित की, लेकिन ये उपाय भी छोटे ट्रेड्रर्स को डेरिवेटिव मार्केट से दूर नहीं कर पाए और उनका नुकसान बढ़ गया. सेबी के नए आंकड़े नए और छोटे डेरिवेटिव ट्रेडर्स के लिए एक चेतावनी है कि अब समय आ गया है कि फ्यूचर एंस ऑप्शन ट्रेडिंग बंद कर दी जाए और आने वाले संभावित नुकसान से बचा जाए.



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