Next Story
Newszop

जन्मदिन विशेष : ध्यानचंद के छोटे भाई रूप सिंह, जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक में देश को दिलाया गोल्ड

Send Push
image मौजूदा समय में क्रिकेट की दुनिया में जो मजबूत स्थान भारतीय क्रिकेट टीम का है, वही स्थान एक समय भारतीय हॉकी टीम का था। ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर भारतीय हॉकी टीम के सामने कोई दूसरी टीम खड़ी नहीं हो पाती थी। भारतीय हॉकी के स्वर्णिम दौर की जब भी बात चलती है, तो मेजर ध्यानचंद का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उस दौर में और भी खिलाड़ी थे, जिनका हॉकी में भारत को विश्व चैंपियन की प्रतिष्ठा दिलाने में अहम योगदान रहा था। यह खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि ध्यानचंद के ही छोटे भाई रूप सिंह थे।

रूप सिंह का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में 8 सितंबर 1908 को हुआ था। हॉकी को लेकर उनके मन में बचपन से ही जुनून था। इसी जुनून की वजह से वह भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने। 1932 और 1936 ओलंपिक में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाने में निर्णायक भूमिका रूप सिंह की रही थी।

1932 का ओलंपिक लांस एंजिल्स, अमेरिका में खेला गया था। भारत ने जापान को 11-1 और अमेरिका को रिकॉर्ड 24-1 से हराकर गोल्ड मेडल जीता था। जापान के खिलाफ रूप सिंह ने 3 जबकि अमेरिका के खिलाफ 10 गोल दागे थे। अमेरिका को हराकर भारत ने गोल्ड जीता था।

1936 का ओलंपिक जर्मनी में खेला गया था और भारतीय टीम ने इस ओलंपिक में भी गोल्ड जीता था। ध्यानचंद की कप्तानी में भारतीय टीम ने लीग चरण में जापान को 9-0, हंगरी को 4-0 और यूएसए को 7-0 से हराया था। सेमीफाइनल में भारत ने फ्रांस को 10-0 से हराया। फाइनल मुकाबला जर्मनी के खिलाफ खेला गया था। भारतीय टीम ने 8-1 से मैच जीत गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था। फाइनल में रूप सिंह ने 4 गोल किए थे, जबकि ध्यानचंद 3 गोल कर पाए थे। 1936 ओलंपिक में ध्यानचंद और रूप सिंह दोनों ने 11-11 गोल किए थे।

फाइनल में जर्मनी की हार के बाद भारतीय टीम को मेडल पहनाने हिटलर आया था। वह रूप सिंह का खेल देख मंत्रमुग्ध था और उन्हें बेहतरीन खिलाड़ी बताया। ध्यानचंद के साथ ही रूप सिंह को भी हिटलर ने जर्मनी में नौकरी का प्रस्ताव दिया था। दोनों भाइयों ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था।

1936 का ओलंपिक जर्मनी में खेला गया था और भारतीय टीम ने इस ओलंपिक में भी गोल्ड जीता था। ध्यानचंद की कप्तानी में भारतीय टीम ने लीग चरण में जापान को 9-0, हंगरी को 4-0 और यूएसए को 7-0 से हराया था। सेमीफाइनल में भारत ने फ्रांस को 10-0 से हराया। फाइनल मुकाबला जर्मनी के खिलाफ खेला गया था। भारतीय टीम ने 8-1 से मैच जीत गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था। फाइनल में रूप सिंह ने 4 गोल किए थे, जबकि ध्यानचंद 3 गोल कर पाए थे। 1936 ओलंपिक में ध्यानचंद और रूप सिंह दोनों ने 11-11 गोल किए थे।

Also Read: LIVE Cricket Score

जर्मनी के म्यूनिख शहर में एक सड़क का नाम रूप सिंह के नाम पर है। ग्वालियर में रूप सिंह के नाम पर एक क्रिकेट स्टेडियम भी है। हॉकी के अलावा, रूप लॉन टेनिस और क्रिकेट भी खेलते थे। उन्होंने ग्वालियर स्टेट का प्रतिनिधित्व रणजी ट्रॉफी में किया था। इस महान खिलाड़ी की मृत्यु 16 दिसंबर 1977 को ग्वालियर में हो गई थी।

Article Source: IANS
Loving Newspoint? Download the app now