केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चोर होने के शक में एक शख़्स के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है.
दुर्व्यवहार का आरोप जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों पर ही लगा है कि उन्होंने कथित तौर पर उस शख़्स की कमीज़ उतारकर, उसको जूतों की माला पहनाकर वाहन के बोनट पर घुमाया.
इस घटना के सामने आने के बाद आम लोग और क़ानूनी जानकार अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं.
क्या है मामला?24 जून, मंगलवार को जम्मू के बक्शी नगर इलाक़े में पुलिस ने एक कथित चोर को पकड़ा.
इसके बाद पुलिस ने अभियुक्त को पुलिस वाहन के बोनट पर जूतों की माला पहनाकर बैठाया और कुछ दूरी तक परेड करवाई.
इस घटना के वायरल वीडियो में उस इलाक़े के एसएचओ और दूसरे पुलिसकर्मियों को भी देखा जा सकता है, जो अभियुक्त को पुलिस वैन पर बैठाते हैं.
इस घटना के वीडियो में देखा जा सकता है कि परेड कराते समय अभियुक्त के शरीर के ऊपरी हिस्से पर कोई कमीज़ नहीं थी, उसने सिर्फ़ जींस पहनी हुई थी.
अभियुक्त की पहचान जम्मू-कश्मीर के उरी निवासी के रूप में हुई है.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि अभियुक्त को पुलिस वाहन से दो पुलिसकर्मी बाहर लाकर उसे वाहन के बोनट पर बैठाते हैं. वीडियो में ये भी देखा जा सकता है कि परेड के समय एसएचओ अभियुक्त का सिर ऊपर उठा रहे हैं और पुलिस वाहन के साथ-साथ चल रहे हैं.
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इस घटना की कड़ी निंदा के बाद पुलिस विभाग ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
जम्मू के एसएसपी जोगिंदर सिंह ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है. इसमें बताया गया है, "एसएसपी जम्मू ने संदिग्ध चोर को वाहन के बोनट पर बांधकर सार्वजनिक परेड कराने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक व्यक्ति को पुलिस स्टेशन बक्शी नगर के अधिकार क्षेत्र में थाने के पुलिसकर्मियों द्वारा सार्वजनिक रूप से परेड कराई गई."
इसमें लिखा है, "इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं. जांच रिपोर्ट एक हफ़्ते के भीतर विभाग को सौंप दी जाएगी."
बक्शी नगर थाने के एसएचओ आज़ाद मन्हास ने जम्मू से बीबीसी हिंदी को फ़ोन पर बताया, "ये मामला कल (मंगलवार) का है. अभियुक्त ने एक व्यक्ति से चालीस हज़ार रुपये लूटने की कोशिश की थी. उस व्यक्ति ने इसे पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन अभियुक्त ने तेज़ धार वाले हथियार से हमला किया. उस व्यक्ति का हाथ कट गया. हमें जैसे ही सूचना मिली तो हम भी फ़ौरन घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां हमने देखा कि क़रीब सौ लोग इसको पीट रहे थे. उसकी शर्ट भी उतारी गई थी."
वीडियो में अभियुक्त को वाहन के बोनट पर बैठाते समय एसएचओ और पुलिसकर्मी भी नज़र आ रहे हैं. इस पर उनका कहना था, "जब एक बड़ी भीड़ उसको पीट रही थी, तो हालात को काबू करने के लिए ऐसा कुछ करना पड़ा."
"हम कुल तीन पुलिसकर्मी थे. भीड़ से बचाने के लिए कुछ मिनटों के लिए हमने ऐसा किया ताकि उसकी जान बच जाए. केबिन में जो लोग बैठते हैं, उन्हें नहीं मालूम कि हालात को कैसे सामान्य बनाना है. हमने बहुत कोशिश की थी कि ऐसा नहीं करेंगे, लेकिन लोग नहीं माने."
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सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इस घटना को लेकर पुलिस के ख़िलाफ़ सख़्त नाराज़गी ज़ाहिर की जा रही है
पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के युवा अध्यक्ष आदित्य गुप्ता ने एक्सहैंडल पर इस घटना के संबंध में पूछा है, "क्या जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अदालतों को बंद करने की सिफ़ारिश करने का फ़ैसला किया है? जम्मू-कश्मीर पुलिस अब सड़कों पर न्याय कर रही है. एक संदिग्ध चोर को कार के बोनट से बांधकर उसे जूतों की माला पहनाई जा रही है. क्या ये पुलिसिंग है या सार्वजनिक तमाशा?"
एक और यूज़र नासिर कहुएहामी ने एक्स हैंडल पर पुलिस के इस व्यवहार पर लिखा है, "जम्मू में बक्शी नगर पुलिस ने एक संदिग्ध चोर को गिरफ़्तार किया और उसके गले में जूतों की माला पहनाकर और उसे अपनी सरकारी गाड़ी के बोनट पर बैठाकर सार्वजनिक तमाशा बना दिया."
"स्टैंडर्ड प्रक्रिया का पालन करने और उसे पुलिस वैन में रखने की बजाए अधिकारियों ने उसे पूरे सार्वजनिक प्रदर्शन में परेड कराने का विकल्प चुना. जम्मू-कश्मीर पुलिस इस अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार को कैसे उचित ठहरा सकती है."
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क़ानूनी जानकार इस घटना को क़ानून का उल्लंघन, अपमानजनक और जंगलराज बता रहे हैं.
वकील हाबील इक़बाल बताते हैं, "ये सरासर अपमानजनक है. धरती पर कोई भी क़ानून इसकी इजाज़त नहीं देगा. इस तरह की घटना एक लक्षण है, असल बीमारी तो कहीं और पर है. हम आए दिन सड़क न्याय को देखते हैं. ये सब कुछ सालों से हो रहा है. आप गोरक्षकों के मामलों को ही लीजिए. कई राज्यों में सरकार का उन्हें साथ है. ये सब कुछ भीड़ को हौसला देता है और फिर इस तरह की घटनाएं घटती हैं. अगर अभियुक्त को क़ानून ने दोषी भी ठहराया होता, तब भी उन्हें इस तरह की सज़ा नहीं दी जा सकती."
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता रियाज़ खावर पुलिस की इस हरकत को मानवाधिकार का उल्लंघन बताते हैं.
बीबीसी हिंदी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "भारत के संविधान में इस तरह के किसी भी शारीरिक दंड की कोई गुंजाइश नहीं है. उनका ये भी कहना था कि भारत के किसी भी क़ानून में पुलिस की तरफ़ से ऐसा व्यवहार करने की कोई जगह नहीं है."
वह बताते हैं कि भारत के क़ानून के मुताबिक़, तब तक कोई भी व्यक्ति दोषी नहीं है, जब तक उसे अदालत दोषी घोषित न करे.
रियाज़ खावर कहते हैं, "इस व्यक्ति को वाहन के बोनट से बांधा गया था, जो मानवाधिकार का ख़तरनाक उल्लंघन है. इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए और पुलिस के ख़िलाफ़ मामला दर्ज होना चाहिए. किसी भी हाल में ऐसा नहीं होना चाहिए था. अगर आज इन पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होगी, तो कल कोई भी ऐसा कर सकता है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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